Air Pollution in Bhopal: एमपी की राजधानी भोपाल में भी दिल्ली जैसा वायु प्रदूषण देखने को मिल रहा है. यहां कई इलाकों में AQI 300 के पार चला गया है.
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Air Pollution in Bhopal: राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली की तरह ही एमपी की राजधानी भोपाल में वायु प्रदूषण बढ़ने लगा है. शहर के चारों ओर खेतों में जल रही पराली के कारण पीएम 2.5 के कण बढ़ गए हैं. शनिवार को टीटी नगर में एक्यूआई 317, अरेरा कॉलोनी में 323 और पुराने शहर 302 दर्ज किया गया. यही स्थिति राजधानी भोपाल के कई इलाकों की बनी हुई है.
दिल्ली की तरह ही भोपाल की हवा में भी जहर घुलने लगी है. बीते शनिवार को जहां दिल्ली का एक्यूआई 352 था. वहीं, भोपाल के कई इलाकों में AQI 300 पार चला गया है. शहर का औसत एक्यूआई 8 नवंबर को यह 264 और शनिवार को 275 रिकॉर्ड हुआ. जो बहुत पुअर श्रेणी में आती है. अगर यह स्थिति लंबे समय तक ऐसी रही तो सांस संबंधी समस्याएं बढ़ सकती है.
बता दें कि मध्य प्रदेश में पराली जलाने की 1 दिन में 474 घटनाएं सामने आई हैं. सेटेलाइट से मिले आंकड़ों के मुताबिक, 8 नवंबर को प्रदेश के 21 जिलों में पराली जलाने की 474 घटनाएं हुईं. इसमें से सबसे अधिक मामले श्योपुर में 161 और होशंगाबाद 79 में दर्ज किए गए. भोपाल में भी 4 घटनाएं रिकॉर्ड हुईं. चारों ओर खेतों में जल रही पराली के कारण पीएम 2.5 के कण बढ़ गए हैं.
जानिए कैसे बढ़ता है वायु प्रदूषण
दरअसल, जब वातावरण में धूल, धुआं, हानिकारक गैसों के कणों की अधिकता हो जाती है तो हवा की शुद्धता प्रभावित होने लगती है. इसके अलावा संयंत्रों और औद्योगिक गतिविधियों में गैसों का इस्तेमाल होता है, उसके उपयोग से भी हानिकारक कण वातावरण में मिलते हैं. जिसके कारण हवा प्रदूषित होती जाती है और AQI का लेवल बढ़ता जाता है. इसका असर मानव स्वास्थ्य, पर्यावरण, पक्षियों व वन्यजीवों पर देखने को मिलता है.
सर्दियों में बढ़ते वायु प्रदुषण के पीछे एक मुख्य वजह हवा का घनत्व बढ़ना और तापमान का कम होना भी है. जिसके चलते प्रदूषण नीचे की ओर रहता है और स्मॉग के रूप में दिखता है. कोहरे के दौरान परानी ले निकलने वाले धुएं और औद्योगिक गतिविधियों से निकलने वाले खतरनाक गैस मिलकर एक जहरीला मिश्रण बना देती हैं. जिससे वायु प्रदूषण बढ़ जाता है. राजधानी भोपाल में बढ़ते वायु प्रदूषण के प्रमुख कारणओं में पराली जलाना भी है, जो प्रदूषण बढ़ाता है.
गौरतलब है कि पराली जलाने के लिए सरकार की तरफ से कई योजनाएं चलाई जा रही हैं. पराली जलाने से रोकने के लिए कृषि विभाग की तरफ से हैपीसीडर और सुपर सीडर जैसे उपकरण हैपीसीडर और सुपर सीडर जैसे उपकरण दिए जा रहे हैं. इसके बावजूद किसान अपनी आदत से बाज नहीं आ रहे हैं और आए दिन पराली जला रहे हैं. जिससे वायु की गुणवक्ता खराब हो रही है.