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DNA with Sudhir Chaudhary: पैगंबर मोहम्मद साहब पर एक बयान से दुनियाभर में विवाद छिड़ गया है. इस पूरे विवाद में हमारे देश के लिए भी कई सीख छिपी हैं. पहली सीख ये कि भारत के मुसलमानों में और बाकी देशों के मुसलमानों में बहुत बड़ा फर्क है. हमारे देश के मुसलमान एक लोकतांत्रिक और धर्मनिरपेक्ष व्यवस्था में रहते हैं, जहां उन्हें पूरी आजादी मिली हुई है. वो कुछ भी पहन सकते हैं, कुछ भी खा सकते हैं, अपने हिसाब से धर्म का पालन कर सकते हैं. अपनी इच्छा के अनुसार शादी कर सकते हैं. उन्हें काम करने की भी पूरी आजादी है. जबकि मुस्लिम देशों में ऐसा नहीं है.
आज ईरान में महिलाओं के लिए हिजाब पहनना अनिवार्य है और वहां महिलाएं स्टेडियम में जाकर फुटबॉल का मैच भी नहीं देख सकतीं. वहां जब फुटबॉल का एक मैच चल रहा था तब मुस्लिम महिलाओं को टिकट होते हुए भी प्रवेश नहीं मिला. लेकिन भारत में ऐसा नहीं है. इसलिए भारत के मुसलमान इन देशों के मुसलमानों से अलग हैं और सबसे बड़ी बात वो भारतीय हैं. इसलिए जो मुस्लिम देश, रिमोट कंट्रोल से भारत के मुसलमानों को नियंत्रित करना चाहते हैं, उन्हें ये बात पता होनी चाहिए कि भारत के मुसलमानों बाकी देशों के मुसलमानों से अलग हैं.
दूसरा सीख ये है कि इंडोनेशिया और पाकिस्तान के बाद भारत में दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी मुस्लिम आबादी रहती है. हमारे देश में 20 करोड़ मुसलमान रहते हैं और इस लिहाज से भारत इस्लाम धर्म के सबसे बड़े अभिभावकों में से एक है. इसलिए जो देश, खुद को इस्लाम धर्म का सबसे बड़ा चैम्पियन बताते हैं उन्हें ये बात याद रखनी चाहिए.
#DNA : मुस्लिम देशों की नाराजगी का विश्लेषण@sudhirchaudhary
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— Zee News (@ZeeNews) June 6, 2022
तीसरा, आज भारत के जो मुसलमान हैं, उन्हें तो अंतरराष्ट्रीय समर्थन मिल रहा है. उन्हें अमेरिका भी समर्थन देता है, यूरोपीयन यूनियन भी उनके सहयोग की बातें करता है और संयुक्त राष्ट्र जैसी संस्थाएं भी उनके मानव अधिकारों की बातें करती हैं. लेकिन इस तरह का समर्थन हिन्दुओं को कभी नहीं मिलता. इसलिए भारत के हिन्दुओं को आज Internal Support यानी अपने देश के अन्दर लोगों के समर्थन की जरूरत है.
चौथा, इस घटनाक्रम का असर भारत के लोकतंत्र और अभिव्यक्ति की आजादी के अधिकार पर पड़ेगा. सोचिए, जब टीवी डिबेट में दिए गए एक बयान पर अंतरराष्ट्रीय विवाद खड़ा हो गया तो ऐसे में अभिव्यक्ति की आजादी का क्या होगा? पांचवां पॉइंट ये है कि आज जिस प्रकार से हमारे देश के बहुत सारे हिन्दू, इस मामले में मुसलमानों का साथ दे रहे हैं. यही हमारे देश के मुसलमानों को हिन्दुओं के लिए भी करना चाहिए, तभी धार्मिक सौहार्द कायम होगा.
भारत आज चाहे तो फ्रांस और इजरायल देशों से काफी कुछ सीख सकता है. पिछले साल जब फ्रांस इस्लामिक कट्टरवाद को रोकने के लिए एक कानून लाया था तो पूरी दुनिया में उसकी आलोचना हुई थी और OIC जैसे मुस्लिम देशों के संगठनों ने तब फ्रांस को इस्लाम विरोधी देश कह दिया था. लेकिन इसके बावजूद फ्रांस झुका नहीं और उसने इस कानून को वापस नहीं लिया.
इसी तरह इजरायल ने जब फिलिस्तीनी आतंकवादियों पर कार्रवाई की तो इसे मुस्लिम देशों ने दुनिया के सभी मुसलमानों पर हमला बताया था. लेकिन इजरायल ने अपनी कार्रवाई जारी रखी और दुनिया को ये संदेश दिया कि कोई भी देश उसे अपनी सीमा की सुरक्षा करने से नहीं रोक सकता. लेकिन हमारे देश में ऐसा नहीं होता. ये मुस्लिम देश जब भारत को लेक्चर देते हैं तो हमारे ही देश के लोग, जिनमें कुछ हिन्दू भी हैं, वो इन मुस्लिम देशों के साथ जाकर खड़े हो जाते हैं. यही बात आज आपको समझनी है.