काम के घंटों को कंट्रोल करने की आजादी मिले तो सैलरी कटवाने के लिए भी तैयार हैं भारतीय, सर्वे में खुलासा
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काम के घंटों को कंट्रोल करने की आजादी मिले तो सैलरी कटवाने के लिए भी तैयार हैं भारतीय, सर्वे में खुलासा

33 हजार कर्मचारियों पर हुए इस खास सर्वे के मुताबिक, प्रत्येक 10 में से 7 या उससे ज्यादा कर्मचारी अपने काम के घंटों में अधिक आजादी पसंद करते हैं. उन्होंने इसे और लचीला बनाने की मांग की. इस रिपोर्ट में भारतीय कर्माचारियों को भी शामिल किया गया.

काम के घंटों को कंट्रोल करने की आजादी मिले तो सैलरी कटवाने के लिए भी तैयार हैं भारतीय, सर्वे में खुलासा

दफ्तर में काम करने वाले कर्मचारियों का एक बड़ा हिस्सा अपने काम के दौरान लचीलापन यानी आजादी पसंद करता है. इस लचीलेपन के लिए कर्मचारी कुछ अन्य चीजों से समझौता करने के लिए भी तैयार है. इस बात की जानकारी हाल में हुई एक सर्वे में निकलकर सामने आई है.

दरअसल, एडीपी रिसर्च इंस्टिट्यूट के ‘पीपल एट वर्क 2022: ए ग्लोबल वर्कफोर्स व्यू’ के तहत सर्वे किया गया, जिसमें 17 देशों में करीब 33,000 कर्मचारियों को शामिल किया गया. इन 33 हजार कर्माचारियों ने सर्वे में काम को लेकर खुलकर बात की और बताया कि वो काम के लिए किस प्रकार का माहौल चाहते हैं.

इन 33 हजार कर्मचारियों पर हुए इस खास सर्वे के मुताबिक, प्रत्येक 10 में से 7 या उससे ज्यादा कर्मचारी अपने काम के घंटों में अधिक आजादी पसंद करते हैं. उन्होंने इसे और लचीला बनाने की मांग की. इस रिपोर्ट में भारतीय कर्माचारियों को भी शामिल किया गया.

सर्वे के मुताबिक भारत में 76 फीसदी दफ्तर में काम करने वाले कर्मचारियों ने अपने कामकाजी घंटों पर कंट्रोल करना पसंद किया. इन भारतीय कर्माचरियों ने कहा कि उन्हें रीमोट या घर से काम करने की सुविधा मिले तो वो इसके लिए अपनी सैलरी में से भी कटौती करवाने के लिए तैयार हैं.

दिलचस्प बात ये है कि सर्वे में भारत के करीब 76.38 फीसदी कर्मचारियों ने कहा कि अगर उन्हें रोज दफ्तर जाने को मजबूर किया गया तो वो इसकी जगह नई नौकरी तलाशने के लिए आगे बढ़ेंगे. सर्वे करने वाली टीम यानी एडीपी के दक्षिण-पूर्व एशिया और भारत के मैनेजिंग डायरेक्टर राहुल गोयल ने कहा, ‘वर्तमान समय में कर्मचारियों को काम पर खुश रखने के लिए सुबह के 9 बजे से शाम के 5 बजे तक की नौकरी की जगह कुछ नए विकल्पों की विचार करने की जरूरत है.’

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