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Indus Water Treaty: भारत और पाकिस्तान सिंधु जल आयोग के तहत भारत और पाकिस्तान एक बार फिर वार्ता के लिए आमने-सामने होंगे. पाकिस्तान का 3 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल सप्ताह के अंत में भारत का दौरा करने वाला है. वार्ता, सिंधु जल समझौते के तहत जल बंटवारे के मुद्दों पर होगी. इससे पहले भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने स्थायी सिंधु आयोग (पीआईसी) की वार्षिक बैठक के लिए इस्लामाबाद का दौरा किया था. स्थायी आयोग की बैठक 1-3 मार्च को हुई थी और इसका नेतृत्व सिंधु जल के भारतीय आयुक्त पीके सक्सेना ने किया था.
पिछले कुछ हफ्तों में भारत का दौरा करने वाला यह दूसरा पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल है. इस महीने की शुरुआत में एक पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) क्षेत्रीय आतंकवाद विरोधी संरचना (आरएटीएस) की बैठक के लिए दिल्ली आया था.
मार्च सिंधु जल आयोग की बैठक के दौरान, भारतीय पक्ष ने इस बात पर जोर दिया कि इसकी सभी परियोजनाएं सिंधु जल संधि के प्रावधानों का पूरी तरह से अनुपालन करती हैं और स्थिति के समर्थन में तकनीकी विवरण प्रदान करती हैं. दोनों पक्षों ने फाजिल्का नाले के मुद्दे पर भी चर्चा की और पाकिस्तान ने आश्वासन दिया कि सतलुज नदी में फाजिल्का नाले के मुक्त प्रवाह को सुनिश्चित करने के लिए सभी आवश्यक कार्रवाई जारी रहेगी.
1960 की सिंधु जल संधि के तहत, 3 पूर्वी नदियों - सतलुज, ब्यास और रावी का पानी अप्रतिबंधित उपयोग के लिए भारत को आवंटित किया गया है. जबकि 3 पश्चिमी नदियों - सिंधु, झेलम और चिनाब का पानी पाकिस्तान को आवंटित है. भारत को 3 पश्चिमी नदियों पर नदी परियोजनाओं के माध्यम से जलविद्युत उत्पन्न करने का अधिकार है. संधि के तहत पाकिस्तान पश्चिमी नदियों पर भारतीय जलविद्युत परियोजनाओं के डिजाइन पर आपत्ति उठा सकता है.
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