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T Raja DNA Analysis: भारत का संविधान देश के हर नागरिक को बोलने की स्वतंत्रता का मौलिक अधिकार देता है . बोलने का अधिकार इसलिए है ताकि हम अपने विचारों को बिना डरे सामने रख सकें, लोगों तक अपनी बात पहुंचा सकें. लेकिन यही संविधान हमारी बोलने की आजादी पर अंकुश भी लगाता है. जिससे राष्ट्र की एकता, अखंडता या फिर सुरक्षा को खतरा हो, ऐसी बात बोलने की आजादी संविधान नहीं देता. लेकिन कुछ लोग होते हैं, जो बोलने के संवैधानिक अधिकार को अपना जन्मसिद्ध अधिकार मान लेते हैं. ऐसे लोग भूल जाते हैं कि संविधान में बोलने का अधिकार है, लेकिन कुछ भी बोलने का अधिकार नहीं है. पूर्व बीजेपी नेता नुपुर शर्मा का उदाहरण देश के सामने है, जिनके पैगंबर मोहम्मद पर दिये विवादित बयान के बाद देश में नफरत की जो आग फैली थी, उस आग में हैदराबाद से पेट्रोल छिड़का गया है. इस खबर में चार मुख्य किरदार हैं.
पैगंबर मोहम्मद पर विवादित बयान
पहले तेलंगाना में बीजेपी के विधायक टी राजा, जिन्होंने पैगंबर मोहम्मद पर विवादित बयान दिया. दूसरे स्टैंड अप कॉमेडियन मुनव्वर फारुकी, जो अकसर अपने शो में हिंदू देवी-देवताओं से जुड़ी अपमानजनक टिप्पणी करते रहे हैं. तीसरा है सर तन से जुदा गैंग..जिसने टी. राजा के बयान के बाद एक बार फिर देश के माहौल को बिगाड़ने की कोशिश की है. चौथे हैं, तेलंगाना में कांग्रेस के सचिव राशिद खान, जिन्होंने विधायक टी. राजा के बयान पर भड़काऊ टिप्पणी की. आगे बढने से पहले हम यह साफ कर दें कि ज़ी न्यूज़ ऐसे किसी भी बयान की निंदा करता है, जो देश के सांप्रदायिक सौहार्द को बिगाड़े.
मुनव्वर फारूकी के शो को लेकर विवाद
तो पहला किरदार है, टी. राजा का. जो तेलंगाना में बीजेपी के विधायक हैं. इस विवाद की शुरुआत का श्रेय उनको ही जाता है. जिन्होंने यूट्यूब पर अपना एक वीडियो रिलीज किया. इसी वीडियो में टी. राजा ने पैगंबर मोहम्मद पर विवादित टिप्पणियां की थीं. यहां हमें ये भी जानना चाहिए कि बीजेपी विधायक टी. राजा के विवादित बयान का बैकग्राउंड क्या है. आखिर वो किस बात पर इतना खफा हो गये कि विवादित बयान दे दिया. इसकी क्रोनोलॉजी भी आपको बताते हैं. दरअसल ये पूरा विवाद स्टैंडअप कॉमेडियन मुनव्वर फारूकी के शो को लेकर है. रविवार को मुनव्वर फारूकी ने हैदराबाद में एक शो किया था. टी. राजा ने इसे लेकर धमकी दी थी. उन्होंने कहा था कि वो शो के सेट को आग लगा देंगे लेकिन मुनव्वर फारुकी को परफॉर्म नहीं करने देंगे. जिसके बाद टी. राजा को पुलिस ने ही घर में नजरबंद कर दिया था. जिसके बाद टी. राजा सिंह ने मुनव्वर के खिलाफ कॉमेडी नाम से एक वीडियो जारी किया था. इसमें उन्होंने फारुकी और उनकी मां के लिए गलत भाषा का इस्तेमाल किया था. उसी वीडियो में टी. राजा ने पैगंबर मोहम्मद पर कथित रुप से विवादित टिप्पणी कर दी थी.
वीडियो को यूट्यूब ने बैन किया
टी. राजा के विवादित वीडियो को यूट्यूब ने बैन कर दिया था, लेकिन तबतक वीडियो, जंगल में आग की तरह फैल चुका था. विवाद की शुरुआत होते ही टी. राजा को गिरफ्तार कर लिया गया. विधायक पर धार्मिक भावनाएं भड़काने, हिंसा के लिए लोगों को उकसाने समेत कई धाराओं में केस दर्ज किया गया. लेकिन टी. राजा के तेवर नहीं बदले. वो अब भी कह रहे हैं कि उन्होंने कुछ भी गलत नहीं किया. टी राजा को शाम को कोर्ट में पेश किया गया और शाम को उन्हें जमानत मिल गई. पहले खबर आई कि उन्हें 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है लेकिन ये खबर गलत निकली. बाद में कोर्ट ने टी. राजा को जमानत देकर तुरंत रिहाई का आदेश दिया.
अपने किये पर जरा भी पछतावा नहीं
कोर्ट ने कहा कि आरोपी की गिरफ्तारी के दौरान CrPC की धारा 41 का पालन नहीं किया गया. जो कहती है कि किसी आरोपी को तबतक गिरफ्तार नहीं किया जा सकता जबतक कि उस व्यक्ति के खिलाफ उचित शिकायत ना दर्ज कराई गई हो. साथ ही पुलिस को गिरफ्तार करने के पहले आरोपी के खिलाफ विश्वसनीय जानकारी जुटानी चाहिए. वैसे बीजेपी विधायक टी. राजा को अपने किये पर जरा भी पछतावा नहीं है. उनका इतिहास ही एक खास समुदाय के खिलाफ नफरती भाषा बोलने का रहा है, जिसकी वजह से वर्ष 2020 में फेसबुक और इंस्टाग्राम ने उन्हें बैन कर दिया था . तेलंगाना के गोशमहल सीट से विधायक टी राजा ने वर्ष 2018 में दिये अपने चुनावी हलफनामे में बताया था कि उनके खिलाफ 43 मुकदमे दर्ज हैं. इनमें 16 पर चार्जशीट फाइल हो चुकी है. राजा पर धार्मिक उन्माद फैलाने के 17 मामले हैं. नौ मामले धार्मिक भावनाओं को आहत करने के हैं. इसके अलावा उनके ऊपर आगजनी, दंगा समेत कई तरह के गंभीर आरोप पहले से ही लग चुके हैं.
अब हम आपको टी. राजा के पुराने विवादित बयानों की एक टाइमलाइन भी बताते हैं, जिससे उनके एक खास समुदाय के प्रति नफरती सोच का पता चलता है .
-अप्रैल 2022 में हैदराबाद में रामनवमी शोभा यात्रा के दौरान उन्होंने भीड से...जो राम का नाम न ले उसको भारत से भगाना है...के नारे लगवाए थे.
-वर्ष 2021 में बीजेपी विधायक टी. राजा ने हैदराबाद की ओस्मानिया यूनिवर्सिटी में बीफ फेस्टिवल के आयोजन पर कहा था कि गौमाता की रक्षा के लिए वो किसी को भी मारने या खुद मरने के लिए तैयार है..
-सितंबर 2020 में टी. राजा ने एक और हेट स्पीच दी थी. उन्होंने कहा था कि रोहिंग्या मुसलमान शरणार्थियों को गोली मार देनी चाहिए. उन्होंने तब भारतीय मुसलमानों को भी गद्दार बताया था. जिसके बाद फेसबुक ने उन्हें Dangerous Individual बताकर बैन कर दिया था.
-अगस्त 2018 में टी. राजा ने बीजेपी से ये कहते हुए इस्तीफा दे दिया था कि वो ईद पर गाय की बलि देने वालों को सबक सिखाने के लिए सड़क पर उतरेंगे.
-फरवरी 2018 में उन्होंने मध्य प्रदेश के नीमच में एक चुनावी रैली में बयान दिया था कि अगर कोई हिंदू RSS ज्वाइन नहीं करता तो वो असली हिंदू है ही नहीं, इसलिए वो देश की सेवा करने के काबिल नहीं है .
-अप्रैल 2017 में टी. राजा ने वंदे मातरम को लेकर कहा था कि जो लोग वंदे मातरम नहीं गाते, उन्हें भारत में रहने का हक नहीं है.
बीजेपी ने टी. राजा के बयान से पल्ला झाड़ा
खुद को घोर हिंदूवादी कहने वाले बीजेपी विधायक टी. राजा का इतिहास ऐसे विवादित बयानों से भरा हुआ है. जिसको लेकर पहले कभी बीजेपी ने रियेक्ट नहीं किया. लेकिन नुपुर शर्मा के केस में बैकफुट पर आई बीजेपी को टी. राजा ने एक बार फिर मुश्किल में डाल दिया है. बीजेपी ने टी. राजा के बयान से फौरन पल्ला झाड़ लिया है . टी राजा को बीजेपी ने पार्टी से निलंबित भी कर दिया है. बीजेपी ने राजा को कारण बताओ नोटिस भी जारी किया है और 10 दिन में जवाब मांगा है. नोटिस में उनसे पूछा गया है कि क्यों न आपको पार्टी से निष्कासित कर दिया जाए.
अभिव्यक्ति की आजादी का दुरुपयोग
हमारा मानना है कि टी. राजा ने जो कहा, वो गलत कहा. उन्हें ऐसा नहीं कहना चाहिए था. कम से कम उन्हें माफी तो मांगनी ही चाहिए थी. वैसे माफी तो फारुकी जैसी लोगों को भी मांगनी चाहिए, जो हिंदू-देवी देवताओं पर विवादित टिप्पणी करके अपने कॉमेडी शो की टीआरपी बढ़ाते हैं और इसे अभिव्यक्ति की आजादी से जोड़ देते हैं. लेकिन भूल जाते हैं कि अभिव्यक्ति की यही आजादी दूसरों को भी मिली हुई है. बीजेपी विधायक टी. राजा अपनी सफाई में मुनव्वर फारुकी के हिंदू देवी-देवताओं पर बयान को निशाना बना रहे हैं और अपने बयान को उसी का बदला बता रहे हैं. लेकिन वजह चाहे जो हो, टी. राजा के बयान का समर्थन नहीं किया जा सकता. क्योंकि उन्होंने जो कहा है, वो अभिव्यक्ति की आजादी का दुरुपयोग है.
हैदराबाद में जगह-जगह प्रदर्शन
लेकिन टी. राजा के बयान पर जिस तरह की प्रतिक्रिया, एक खास समुदाय की तरफ से हुई है, वो भी सही नहीं है. टी. राजा के बयान से नफरत का जो माहौल बना, वो तेजी से फैलता चला गया. फिर इसमें एक नया किरदार जुड़ा - सर तन से जुदा गैंग. टी. राजा के बयान के खिलाफ सोमवार रात से ही हैदराबाद में जगह-जगह प्रदर्शन हो रहे हैं, जिसमें सर तन से जुदा करने से जुड़ा गैंग को भी दोबारा एक्टिव होने का मौका मिल गया. टी. राजा की गिरफ्तारी की मांग करते हुए भीड़ ने विवादित नारे लगाने शुरु कर दिये. ये नारे तब लगे, जब टी. राजा के खिलाफ एफआईआर दर्ज हो चुकी थी, उन्हें गिरफ्तार किया जा चुका था. टी. राजा ने जो कहा, वो सही नहीं था. लेकिन सर तन से जुदा के नारे लगाना क्या सही है ? ऐसे ही नारे नुपुर शर्मा के विवादित बयान के बाद भी लगे थे, जिसका नतीजा क्या हुआ, ये देश ने देखा और भुगता भी.
सर तन से जुदा के नारे
राजस्थान के उदयपुर में टेलर कन्हैया लाल का गला काट दिया गया, क्योंकि उसके सोशल मीडिया अकाउंट से नुपुर शर्मा के बयान के समर्थन में पोस्ट की गई थी. दिनदहाड़े हत्या को अंजाम देने के बाद अपराधियों ने वीडियो पोस्ट कर इस घटना का प्रचार किया. महाराष्ट्र के अमरावती में भी केमिस्ट उमेश कोहले को मार डाला गया. क्योंकि उन्होंने भी नपुर के समर्थन में पोस्ट किया था. जिसके बाद से ही उन्हें धमकियां मिल रही थी, उन्होंने पोस्ट डिलीट भी कर दिया था. इसके बावजूद उनका गला काट दिया गया. देश के कई हिस्सों में नफरती गैंग एक्टिव हो गया था, उत्तर से दक्षिण तक सर तन से जुदा गैंग ने हमले किये. जगह-जगह से सर तन से जुदा के नारे लगाए जाने के वीडियो आने लगे . लगातार सर तन से जुदा करने की धमकी लोगों को दी जा रही थी.
मुसलमानों को भड़काया गया
गुस्ताख ए रसूल की एक ही सजा, सर तन से जुदा, सर तन से जुदा. यही वो नारा है, जिसके सहारे नुपुर शर्मा वाले मामले में मुसलमानों को भड़काया गया और अब टी. राजा के मामले में भी यही नारा लगाया जा रहा है . लेकिन आखिर ये नारा आया कहां से और इस नारे का इतिहास क्या है ? भारत में आतंक का पर्याय बन चुके इस नारे का नाता जुड़ा है पाकिस्तान से. 11 साल वर्ष 2011 की बात है, जब पाकिस्तान में पंजाब के गवर्नर सलमान तासीर ने ईशनिंदा कानून की आलोचना कर दी थी, जिसमें मौत की सजा का प्रावधान हैं. इसके बाद गवर्नर सलमान तासीर के खिलाफ पाकिस्तान में आवाज उठी तो उनके ही सिक्योरिटी गार्ड मुमताज कादरी ने उनकी हत्या कर दी थी. इसी दौरान खादिम हुसैन रिजवी नाम के एक मौलाना ने मुमताज कादरी के समर्थन में लोगों को इकट्ठा किया और रैलियां निकालीं. तब पहली बार पाकिस्तान में गुस्ताख ए रसूल की एक ही सजा, सर तन से जुदा, सर तन से जुदा नारे लगाए गए थे.
गार्ड मुमताज कादरी को फांसी
हालांकि पांच साल बाद 2016 में सलमान तासीर की हत्या करने वाले गार्ड मुमताज कादरी को फांसी दे दी गई थी. लेकिन सर तन से जुदा वाला जो नारा पाकिस्तान में लगा, वो अब भारत में भी सभ्य समाज के लिए चुनौती बन चुका है. नुपुर शर्मा के बयान की तरह अब टी. राजा के बयान के बाद सर तन से जुदा गैंग जाग चुका है, जो देश के सांप्रदायिक माहौल को बिगाड़ने के लिए सड़कों पर उतर आया है, जिनकी हौंसला अफजाई करने के लिए कई नेता भी सुपर एक्टिव हो चुके हैं. इनमें सबसे आगे हैं AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी, जो हैदराबाद से सांसद भी हैं. जो खुद को भारत के मुसलमानों का सबसे बड़ा नेता समझते हैं. ओवैसी ने टी. राजा के बयान से एनर्जी लेकर अपनी राजनीति की माइलेज बढ़ाने वाला बयान दिया है. ओवैसी ने ज़ी न्यूज़ को दिये इंटरव्यू में टी. राजा के बयान पर जो प्रतिक्रिया दी है, वो अपने आप में मुसलमानों को भड़काने वाली है.
देश के कानून पर उंगली उठाई
टी. राजा ने जो बयान दिया, उसके खिलाफ पुलिस ने एक्शन लिया और उन्हें गिरफ्तार कर लिया. अब कानून के अनुसार उन्हें सजा मिलेगी. लेकिन अभी इस खबर में चौथे किरदार की एंट्री बाकी है. ये किरदार है - राशिद खान, जो तेलंगाना कांग्रेस के सचिव हैं. जिन्होंने मुसलमानों को सड़कों पर उतरने के लिए भड़काया है. देश के कानून पर उंगली उठाई है. हैदराबाद शहर को आग लगाने की धमकी दी है. आप राशिद खान का बयान सुनेंगे तो आप सोच में पड़ जाएंगे कि बीजेपी विधायक टी. राजा का बयान ज्यादा भड़काऊ है या कांग्रेस सचिव राशिद खान का. राशिद खान खुलेआम मुसलमानों को भड़का रहे हैं. खून की नदियां बहाने के लिए उकसा रहे हैं. टी. राजा का बयान अगर निंदनीय है, तो राशिद खान का बयान बेहद निंदनीय है. लेकिन राशिद खान को अपने इस बयान पर कोई पछतावा नहीं है. ज़ी न्यूज़ ने जब उनसे भड़काऊ बयान पर बात की, तो उन्होंने साफ-साफ कह दिया कि वो अपने बयान पर कायम हैं.
हेट स्पीच का लंबा इतिहास
कांग्रेस सचिव राशिद खान ने जो कहा, बीजेपी विधायक टी. राजा ने जो बयान दिया, ये सब हेट स्पीच के उदाहरण हैं. हमारे देश में हेट स्पीच का लंबा इतिहास रहा है. खासकर नेताओं के बीच हेटस्पीच के मुकाबले चलते हैं. लेकिन हेटस्पीच होती क्या है, और हेट स्पीच की परिभाषा क्या है . Law Commission of India की रिपोर्ट में बताया गया है कि जब किसी नस्ल, धर्म और लिंग के आधार पर किसी विशेष समूह के खिलाफ नफरत फैलाने के मकसद से कोई आक्रामक बयान दिया जाए, तो वो हेट स्पीच की कैटेगरी में आता है. भारत में हेट स्पीच की कोई Crystal Clear कानूनी परिभाषा नहीं है.
क्या है संविधान का आर्टिकल 19?
लेकिन संविधान के आर्टिकल 19 में दिये गए अभिव्यक्ति की आजादी के अधिकार पर कई प्रतिबंध लगाए हैं. IPC में ऐसी कई धाराएं हैं, जिनके अंतर्गत हेट स्पीच के केस दर्ज किये जाते हैं. इनके बारे में भी आपको बताते हैं. IPC के सेक्शन 153(A) में प्रावधान है कि अगर किसी भी नस्ल, धर्म, लिंग से जुड़े समूह विशेष के खिलाफ नफरत या रंजिश की भावनाएं भड़काने वाला कोई शब्द लिखा या बोला जाता है तो ऐसे मामले में दोषी को तीन साल तक की कैद की सजा हो सकते है. IPC के सेक्शन 295(A) में प्रावधान है कि अगर देश के किसी भी समुदाय की धार्मिक भावनाएं आहत करने के मकसद से कोई बयान दिया जाए तो दोषी को तीन साल की कैद हो सकती है. हैदराबाद के बीजेपी विधायक टी. राजा के खिलाफ भी इन्हीं धाराओं के तहत केस दर्ज किया गया है .
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#DNA: BJP MLA राजा सिंह का बयान निंदनीय, और कांग्रेस नेता राशिद खान का ये बयान ?#RajaSingh #Hyderabad #MunawarFaruqui #RashidKhan @irohitr
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— Zee News (@ZeeNews) August 23, 2022