Bharat Biotech's nasal vaccine: शुरुआती नतीजों के मुताबिक नाक से दी जाने वाली ये वैक्सीन रेस्पिरेटरी सिस्टम यानी श्वास नली और फेफड़ों में कोरोना से लड़ने के लिए एंटीबॉडीज पैदा कर सकती है, जिससे इंफेक्शन घटता है और संक्रमण कम फैल पाता है.
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कोरोना वयरस से लड़ने के लिए केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने भारत बायोटेक की नेजल वैक्सीन को बूस्टर डोज के तौर पर वैक्सीनेशन प्रोग्राम में शामिल कर लिया है. जल्द ही कोविन प्लेटफॉर्म के जरिए इस इंटरनेशनल वैक्सीन को लोग बुक करा सकेंगे. इस नेजल वैक्सीन की कीमत अभी नहीं बताई गई है. इंट्रा नेजल यानी नाक के जरिए ड्रॉप डालकर इस वैक्सीन को बूस्टर डोज के तौर पर दिया जा सकेगा.
नाक के दोनों छेद में इस वैक्सीन की दो-दो ड्रॉप्स डाली जाएंगी. वो लोग जिनकी उम्र 18 वर्ष से ज्यादा है और जिन्हें बूस्टर डोज नहीं लगा है वो इस वैक्सीन को लगवा सकते हैं. इस वैक्सीन का वैज्ञानिक नाम BBV154 है. बाद में भारत बायोटेक ने इसे iNCOVACC नाम दे दिया था.
नेजल वैक्सीन पर दो तरह के ट्रायल चल रहे थे. पहला ट्रायल कोरोना की दो डोज वाली प्राइमरी वैक्सीन को लेकर चल रहा था और दूसरा ऐसी बूस्टर डोज के तौर पर, जो कोवीशील्ड और कोवैक्सीन लगाने वाले दोनों तरह के लोगों को लगाई जा सके. दोनों के ही तीसरे चरण के ह्यूमन क्लीनिकल ट्रायल पूरे हो गए हैं.
कितने लोगों पर हुआ ट्रायल?
3100 लोगों पर कोरोना की दो डोज वाली नेजल वैक्सीन के ट्रायल किए गए. भारत में 14 जगहों पर ये ट्रायल हुए हैं. वहीं, हेटेरोलोगस बूस्टर डोज को 875 लोगों ट्रायल किया गयापर हुए और भारत की 9 जगहों पर ये ट्रायल किए गए. दोनों स्टडी में जिन लोगों पर ट्रायल किया गया उन्हें किसी तरह की दिक्कत नहीं हुई.
हेटेरोलोगस बूस्टर डोज ऐसी वैक्सीन है जिसे कोवैक्सीन और कोवीशील्ड लगवा चुके लोग भी लगवा सकेंगे. शुरुआती नतीजों के मुताबिक नाक से दी जाने वाली ये वैक्सीन रेस्पिरेटरी सिस्टम यानी श्वास नली और फेफड़ों में कोरोना से लड़ने के लिए एंटीबॉडीज पैदा कर सकती है, जिससे इंफेक्शन घटता है और संक्रमण कम फैल पाता है. हालांकि इसकी और स्टडी भी की जा रही है.
इस वैक्सीन को भारत बायोटेक और वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी सेंट लुईस के साथ मिलकर बनाया है. भारत सरकार के डिपार्टमेंट ऑफ बायोटेक्नोलॉजी ने कोविड सुरक्षा कार्यक्रम के तहत इस वैक्सीन के लिए आंशिक फंडिंग की है.
भारत बायोटेक की ज्वाइंट मैनेजिंग डायरेक्टर सुचित्रा इल्ला ने कहा कि नाक से दी जाने वाली पहली कोरोना वैक्सीन का विकसित होना किफायती कदम है. ये वैक्सीन भी 2 से 8 डिग्री के तापमान पर स्टोरी की जा सकेगी. इसे बनाने का काम गुजरात, कर्नाटक, तेलंगाना और महाराष्ट्र के प्लांट्स में किया जाएगा. वैक्सीन की डोज 28 दिनों के अंतर पर नाक से दी जाएगी.\
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