चंडीगढ़ के सीनियर स्टैंडिंग काउंसिल पंकज जैन ने बताया कि हाइ कोर्ट द्वारा पंजाब और हरियाणा सरकार पर मार्च में 100-100 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया गया था. उस पर भी हाई कोर्ट ने फिलहाल के लिए रोक लगा दी है. कोर्ट मे कहा है कि फिलहाल सुखना लेक के कैटचेमेंट एरिया पर कोई निर्माण कार्य नहीं होगा.
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नई दिल्लीः सुखना लेक के कैटचेमेंट एरिया में रहने वाले हजारों लोगों को पंजाब हरियाणा हाई कोर्ट (Punjab Haryana High Court) से राहत मिली है. दरअसल, सुखना लेक (Sukhna Lake) के केचमेंट एरिया में हुए निर्माणों पर हाई कोर्ट ने अंतरिम स्टे लगा दिया है. पंजाब हरियाणा हाई कोर्ट की डबल बेंच ने हजारों लोगों के साथ-साथ पंजाब और हरियाणा सरकार को भी बड़ी राहत दी है. चंडीगढ़ के सीनियर स्टैंडिंग काउंसिल पंकज जैन ने बताया कि हाइ कोर्ट द्वारा पंजाब और हरियाणा सरकार पर मार्च में 100-100 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया गया था. उस पर भी हाई कोर्ट ने फिलहाल के लिए रोक लगा दी है. कोर्ट मे कहा है कि फिलहाल सुखना लेक के कैटचेमेंट एरिया पर कोई निर्माण कार्य नहीं होगा.
केंद्र सहित पंजाब और हरियाणा सरकार को मिला कोर्ट का नोटिस
बता दें कि पंजाब सरकार और केचमेंट एरिया में रहने वाले लोगों ने पुनर्विचार याचिका दाखिल की थी. जिसकी सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार, चंडीगढ़ प्रशासन, पंजाब सरकार और हरियाणा सरकार को नोटिस जारी किया है मामले की अगली सुनवाई 18 मार्च को होगी. गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट के सुखना कैचमेंट एरिया को लेकर दिए फैसले को लागू न करने पर पंजाब हरियाणा हाई कोर्ट ने मार्च 2020 में पंजाब सरकार और हरियाणा सरकार पर 100 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया था. साथ ही कोर्ट ने तीन माह के भीतर पंजाब एवं हरियाणा के क्षेत्र में सुखना कैचमेंट एरिया के निकट हुए निर्माण को गिराने के आदेश दिए थे.
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हाई कोर्ट ने दिया था इस क्षेत्र में आगे से निर्माण न करने के आदेश
हाई कोर्ट ने मामले में विशेष जांच दल (SIT) गठित कर यह पता लगाने को भी कहा था कि इस क्षेत्र में हुए निर्माण की अनुमति किसने दी. कोर्ट ने कहा था कि जिन लोगों के नक्शे पास हैं उन्हें 25 लाख रुपए का मुआवजा भी दिया जाए. बता दें एक सुनवाई के दौरान सीनियर एडवोकेट ने कोर्ट में बताया था कि सुखना कैचमेंट का ज्यादातर हिस्सा पंजाब में और बाकी का हरियाणा में है. पंजाब के एरिया में हाई कोर्ट की रोक के बावजूद बड़े पैमाने में वर्ष 2010 के बाद से निर्माण कार्य जारी है, जबकि हाई कोर्ट ने आदेश दिए थे कि आगे से इस एरिया में निर्माण कार्य नहीं किया जा सकते.
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कैचमेंट एरिया में रहते हैं कई VIP
बता दें, सुखना कैचमेंट एरिया के दायरे मे हजारों मकान हैं. इनमें कई VIP लोगों के मकान भी शामिल हैं. सबसे ज्यादा वीआईपी कांसल और सुखना एन्क्लेव में रहते हैं. हाई कोर्ट के आदेशों के मुताबिक सुखना कैचमेंट एरिया में आने वाले तमाम घर तोड़े जाने थे और प्रति घर के हिसाब से 25 लाख रुपये मुआवजे के रूप में दिए जाने के आदेश हाई कोर्ट ने दिए थे. इसके अतिरिक्त उन अफसरों की जिम्मेदारी भी तय करने को कहा गया था जिनकी लापरवाही से यह निर्माण हुए. यहां तक कि उन मकानों को भी तोड़ने के आदेश दिए गए जिनके नक्शे पास हुए थे.
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टाटा हाउसिंग प्रोजेक्ट के लिए SC ने किया था इमकार
बता दें सुखना लेक के नजदीक बनने वाले टाटा हाउसिंग प्रोजेक्ट को सुप्रीम कोर्ट ने मंजूरी देने से इनकार कर दिया था. सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि यह प्रोजेक्ट नियमों के अनुरूप नहीं है. यह क्षेत्र सूखना कैचमेंट के अंतर्गत है. करीब 53 एकड़ क्षेत्र में विकसित किए जाने वाले इस प्रोजेक्ट को मिले तमाम प्रशासनिक क्लीयरेंस को खत्म कर दिया था टाटा हाउसिंग का यह प्रोजेक्ट 1800 करोड़ रुपए का था, जिसमें 19 टावर में 92,100 फ्लैट बनने थे. चंडीगढ़ कैपिटल कांप्लेक्स के निकट 53.39 एकड़ जमीन पर बनने वाले सभी टावर 12 से 25 मंजिल के बीच बनने थे. यह प्रोजेक्ट सुखना वाइल्ड लाइफ सेंचुरी से महज 125 मीटर और सुखना लेक से 183 मीटर की दूरी पर था. यह विवाद काफी चर्चित और पुराना है.