Jaipur Bomb Blast: जयपुर बम धमाके में हाईकोर्ट ने पलटा फैसला, चार दोषियों को फांसी की सजा रद्द की
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Jaipur Bomb Blast: जयपुर बम धमाके में हाईकोर्ट ने पलटा फैसला, चार दोषियों को फांसी की सजा रद्द की

Jaipur Bomb Blast Case: जयपुर सीरियल ब्लास्ट मामले में निचली अदालत में सभी आरोपियों के लिए फांसी की सजा तय की गई थी लेकिन हाईकोर्ट ने निचली अदालत के फैसले को पलट दिया और सभी आरोपियों को रिहा कर दिया है.

फाइल फोटो

Jaipur Bomb Blast Case: जयपुर सीरियल ब्लास्ट मामले में हाईकोर्ट ने सभी आरोपियों को बरी कर दिया है, इसके साथ ही सलमान नाम के एक आरोपी को नाबालिग मानते हुए उच्च न्यायालय ने उसे किशोर न्यायालय में भेज दिया है. आपको बता दें कि इससे पहले निचली अदालत में आरोपियों को फांसी की सजा सुनाई थी लेकिन हाईकोर्ट ने निचली अदालत के फैसले को पलट दिया और सभी आरोपियों को रिहा कर दिया है. जस्टिस पंकज भंडारी और जस्टिस समीर जैन की खंडपीठ ने इस मामले की सुनावई की. इससे पहले सैफ, सैफूर्रहमान और सरवर आजमी को आरोपी करार देते हुए निचली अदालत ने फांसी की सजा सुनाई थी.

क्या है पूरा मामला?

राजस्थान की राजधानी जयपुर में 13 मई 2008 को सीरियल ब्लास्ट का मामला सामने आया था जिसमें माणक चौक खंडा, बड़ी चौपड़, सांगानेरी गेट, छोटी चौपड़, त्रिपोलिया गेट, जौहरी बाजार और चांदपोल गेट पर एक के बाद एक बम धमाके देखे गए थे. इन भयानक बम धमाकों से पूरा इलाका दहल उठा था. इस दिल दहला देने वाली दर्दनाक घटना में करीब 71 लोग मारे गए थे और 185 लोगों के घायल होने की खबर आई थी. इसके अलावा सुरक्षा में तैनात जवानों को एक जिंदा बम भी बरामद हुआ था जिसे बम निरोधक दस्ते की मदद से निष्क्रिय कर दिया गया था. यह बम रामचंद्र मंदिर के पास लगाया गया था.

जांच अधिकारियों के खिलाफ होगी कार्रवाई

हाईकोर्ट ने कहा है कि जांच अधिकारी को लीगल जानकारी नहीं है. इसके अलावा कोर्ट ने जांच अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए डीजीपी को आदेश दिए हैं. बम धमाकों के आरोपियों को बरी करने पर बीजेपी के पूर्व अध्यक्ष सतीश पूनिया ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है. पुनिया ने कहा 13 मई 2008 को हुए दंगों में 71 लोग मारे गए थे. दिसंबर 2019 में कोर्ट ने आरोपियों को फांसी की सजा सुनाई थी. कोर्ट ने सबूत काफी नहीं माने हैं इसलिए जांच का पक्ष भी शंका पैदा करने वाला है. सतीश पूनिया का कहना है कि इतने संगीन मामले में सरकार की ओर से पैरवी में लापरवाही की गई.

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