Gyanvapi Case: ज्ञानवापी परिसर का सर्वे आगे बढ़ेगा या नहीं, इलाहाबाद HC जल्द सुना सकती है अहम फैसला
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Gyanvapi Case: ज्ञानवापी परिसर का सर्वे आगे बढ़ेगा या नहीं, इलाहाबाद HC जल्द सुना सकती है अहम फैसला

Gyanvapi Case Latest News: वाराणसी के ज्ञानवापी परिसर में सर्वे आगे बढ़ेगा या नहीं, इस पर जल्द अहम फैसला आ सकता है. इस मुद्दे पर इलाहाबाद हाई कोर्ट में 28 अगस्त को अहम सुनवाई होने वाली है. 

Gyanvapi Case: ज्ञानवापी परिसर का सर्वे आगे बढ़ेगा या नहीं, इलाहाबाद HC जल्द सुना सकती है अहम फैसला

Gyanvapi Case Latest Updates: वाराणसी के ज्ञानवापी परिसर में ASI सर्वे को चुनौती देने वाली याचिका पर शनिवार को अहम फैसला आ सकता है. इलाहाबाद हाई कोर्ट (Allahabad High Court) के चीफ जस्टिस की कोर्ट शनिवार को इस मामले पर सुनवाई करेगी. इससे पहले  25 जुलाई 2023 को जस्टिस प्रकाश पाडिया की सिंगल बेंच ने मामले में सुनवाई पूरी करते हुए फैसला सुरक्षित रख लिया था. कोर्ट ने इस याचिका पर फैसला सुनाने के लिए 28 अगस्त की तारीख तय की थी. हाईकोर्ट रजिस्ट्रार की ओर 28 अगस्त के लिए जारी की गई काजलिस्ट के मुताबिक अब चीफ जस्टिस की कोर्ट मामले में फिर सुनवाई करेगी.

वाराणसी कोर्ट ने दिया था सर्वे का आदेश

बताते चलें कि वाराणसी कोर्ट ने अप्रैल 2021 में ज्ञानवापी परिसर (Gyanvapi Case Latest News) के एएसआई सर्वे का आदेश पारित किया था. मस्जिद की इंतजामिया कमेटी ने इस आदेश का विरोध करते हुए सिविल वाद की पोषणीयता पर सवाल उठाया था. इसके साथ ही इलाहाबाद हाईकोर्ट में 2 अलग-अलग याचिकाएं दाखिल कर वाराणसी कोर्ट के फैसले को चुनौती दी गई थी.

'ज्ञानवापी प्राचीन शिव मंदिर है'

वाराणसी के ज्ञानवापी मामले (Gyanvapi Case Latest News) पर पूरे देश की निगाहें लगी हुई हैं. कोर्ट में केस लड़ रहे हिंदू पक्ष का कहना है कि ज्ञानवापी कोई मस्जिद नहीं बल्कि प्राचीन शिव मंदिर है, जिसे औरंगजेब के समय में तोड़कर मस्जिद का रूप दे दिया गया था. हिंदू पक्ष के अनुसार, इस अतिक्रमण और जोरजबरदस्ती के बावजूद हिंदुओं ने अपने आराध्य स्थल पर अधिकार नहीं छोड़ा और वहां पर नियमित पूजा करते रहे. लिहाजा यह स्थल 1992 में पास वर्शिप एक्ट में नहीं आता.

'मस्जिद की जगह पर कोई मंदिर नहीं'

वहीं मुस्लिम पक्ष का दावा है कि ज्ञानवापी (Gyanvapi Case Latest News) एक मस्जिद है, जो करीब 400 साल पहले बनाई गई थी. मुस्लिम पक्ष ने सर्वे के आदेश को गलत बताते हुए कहा कि ऐसा करने से ऐतिहासिक मस्जिद को नुकसान पहुंचेगा और यह मुसलमानों की भावनाओं को आहत करेगा. मुसलमानों का दावा है कि मस्जिद की जगह पर कोई मंदिर नहीं था और इस तरह की बात कहना कोरा झूठ है. 

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