मंदिर जाना है तो पहले लेनी होगी इजाजत... यूनिवर्सिटी प्रशासन के फरमान पर मचा बवाल
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मंदिर जाना है तो पहले लेनी होगी इजाजत... यूनिवर्सिटी प्रशासन के फरमान पर मचा बवाल

प्रयागराज के कुंभ में मुस्लिमों की एंट्री बैन करने पर विवाद अभी खत्म भी नहीं हुआ था कि भोपाल की एक यूनिवर्सिटी में बिना परमिशन मंदिर जाने की मनाही कर दी गई है. भोपाल की बरकातुल्ला यूनिवर्सिटी के होस्टल में रहने वाली हिंदू छात्राओं ने अपनी ही वॉर्डन पर आरोप लगाया है.

मंदिर जाना है तो पहले लेनी होगी इजाजत... यूनिवर्सिटी प्रशासन के फरमान पर मचा बवाल

प्रयागराज के कुंभ में मुस्लिमों की एंट्री बैन करने पर विवाद अभी खत्म भी नहीं हुआ था कि भोपाल की एक यूनिवर्सिटी में बिना परमिशन मंदिर जाने की मनाही कर दी गई है. भोपाल की बरकातुल्ला यूनिवर्सिटी के होस्टल में रहने वाली हिंदू छात्राओं ने अपनी ही वॉर्डन पर आरोप लगाया है. आरोपों में कहा गया है कि अगर हॉस्टल में पहने वाली किसी भी लड़की को मंदिर जाना है तो पहले वार्डन से परमीशन लेनी होगी.

वहीं मंदिर के अलावा किसी धार्मिक आयोजन में जाना है तब लिखित परमिशन लेनी होगी. मंदिर जाने से पहले इजाजत लेने के इन आरोपों का पूरा सच क्या है. इस आदेश का मकसद हिंदू छात्राओं को मंदिर जाने से रोकना है सच्चाई कुछ और है. जी न्यूज ने इस विषय पर ग्राउंड से रिपोर्टिंग की तब छात्राओं ने ज़ी न्यूज़ के कैमरे पर अपनी बात रखी. जब ज़ी न्यूज की टीम भोपाल की बरकातुल्ला यूनिवर्सिटी की छात्राओं से मिली. तो ऐसे आरोपों की लंबी चौड़ी लिस्ट सामने आ गई.

नाराज छात्रों ने किया प्रदर्शन

प्रशासन के इस फरमान से नाराज़ छात्र-छात्राओं ने विशाल प्रदर्शन किया. विरोध करने वाली छात्राएं वीसी और यूनिवर्सिटी के अन्य जिम्मेदार लोगों से पूछ रही हैं कि जब बाजार जाने के लिए अनुमति की जरूरत नहीं तो मंदिर जाने के लिए इजाजत का आदेश क्यों दिया जा रहा है. सवाल ये भी है सभी धर्म के छात्रों पर धार्मिक आयोजन में जाने की अनुमति लागू क्यों नहीं की गई? सिर्फ हिंदू छात्राओं को ही मंदिर जाने पर इजाजत वाली शर्त क्यों लगाई गई? इस बात का जवाब देते किसी ने नहीं बन रहा है. दरअसल लिखित इजाजत मांगने के इस कथित निर्देश को समझ पाना इसलिए भी मुश्किल है क्योंकि जिस मंदिर में जाने को लेकर विवाद उठा है, वो मंदिर भी यूनिवर्सिटी कैंपस के अंदर ही है. ज़ी न्यूज के कैमरे में इस मंदिर की तस्वीरें भी हैं. यूनिवर्सिटी के अंदर बनी सड़क के एक ओर स्वास्थ्य विभाग है और उसके ठीक सामने यानी सड़क पार मंदिर है.

वीसी ने दिया गोलमोल जवाब

यानी मंदिर जाने के लिए छात्राओं को यूनिवर्सिटी कैंपस से बाहर भी नहीं जाना. तो फिर मंदिर जाने से पहले लिखित इजाजत का निर्देश क्यों दिया गया? ये सवाल हमने बरकतुल्ला यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर सुरेश कुमार जैन से भी किया तो उन्होंने एक दम सधा और नपातुला जवाब दिया - 'जांच करेंगे. गलती पर कार्रवाई करेंगे.' वाइस चांसलर साहब जांच का दम तो भर रहे हैं. लेकिन शायद वो ये समझ नहीं रहे या फिर समझना नहीं चाह रहे कि ये मामला छात्राओं की आस्था से जुड़ा है, इसी वजह से विरोध और सवाल दोनों गंभीर हैं.

विवादों को लेकर सुर्खियों में रहती है बरकतुल्ला यूनिवर्सिटी

ये पहली बार नहीं है जब भोपाल की बरकतुल्ला यूनिवर्सिटी से जुड़ा कोई विवाद सामने आया हो. पिछले कुछ महीनों से लगातार यूनिवर्सिटी प्रशासन पर आरोप लगते रहे हैं. कंट्रोवर्सी सामने आती रही हैं. हाल ही में नवरात्र पर दुर्गा उत्सव मनाने को लेकर आदेश जारी किया गया था. तब यूनिवर्सिटी की तरफ से कहा गया था अगर फीस भरी जाएगी तभी कैंपस में दुर्गा उत्सव का आयोजन हो पाएगा. वहीं शहीद भगत सिंह की जयंती पर भी यूनिवर्सिटी प्रशासन से अजब आदेश आया था. यूनिवर्सिटी प्रशासन ने छात्रों को भगत सिंह जयंती मनाने की अनुमति नहीं दी थी. जिसके बाद प्रदर्शन हुए थे और तब कहीं जाकर छात्र जयंती मना पाए थे.

बरकतुल्ला यूनिवर्सिटी कभी भोपाल की पहचान कही जाती थी. लेकिन ऐसे विवादित आदेशों और घटनाओं के बाद यूनिवर्सिटी का कनेक्शन कंट्रोवर्सीज़ से भी जुड़ गया है.

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