घोसी उपचुनाव में मिली जीत से सपा उत्साहित, इंडिया गठबंधन कितना होगा फायदा?
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घोसी उपचुनाव में मिली जीत से सपा उत्साहित, इंडिया गठबंधन कितना होगा फायदा?

Ghosi: इस जीत के मायने विपक्षी इंडिया गठबंधन के लिए भी हैं. उन्हें भी समाजवादी पार्टी के साथ जश्‍न मनाने का मौका मिल गया है. घोसी उपचुनाव में बीजेपी के दारा सिंह चौहान से सीधे मुकाबले में जीत हासिल कर सपा ने घोसी विधानसभा सीट बरकरार रखी है.

घोसी उपचुनाव में मिली जीत से सपा उत्साहित, इंडिया गठबंधन कितना होगा फायदा?

Samajwadi Party: उत्तर प्रदेश के मऊ जिले की चर्चित घोसी सीट पर हुए उपचुनाव के परिणाम में समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी सुधाकर सिंह ने बीजेपी उम्मीदवार दारा सिंह चौहान को 42,759 मतों से हरा दिया है. इसके साथ ही सपा समेत इंडिया गठबंधन की पार्टियों को जश्न मनाने का मौका मिल गया है. घोसी की आसपास सीटों का राजनीतिक पारा अचानक बढ़ गया है. सपा समर्थकों को एक तरफ जहां जश्न मनाने का मौका मिला है तो वहीं उत्साही समर्थक अब 2024 चुनाव की भी भविष्यवाणी करने लगे हैं. इसी कड़ी में आइए नजर डालते हैं कि क्या समीकरण बन रहे हैं.

दरअसल, घोसी विधानसभा उप चुनाव में समाजवादी पार्टी उम्मीदवार सुधाकर सिंह की जीत ने इंडिया गठबंधन के उत्साह को बढ़ा दिया है. मैनपुरी लोकसभा उप चुनाव में जीत के बाद जिस प्रकार से समाजवादी पार्टी एक अलग ही रंग में दिख रही थी. कुछ उसी प्रकार उत्साह घोसी के चुनाव परिणाम के बाद देखा जा रहा है. कम से कम सपा समर्थकों के बीच तो यही है. इसी बीच लोकसभा चुनाव 2024 में सीटों के बंटवारे को लेकर भी कयासबाजियों का दौर शुरू हो गया है और समर्थक दबे स्वर में कह रहे हैं कि समाजवादी पार्टी की इस जीत ने इंडिया गठबंधन के सहयोगियों पर दबाव बढ़ा दिया है.

असल में एक्सपर्ट्स का कहना है कि घोसी की जीत समाजवादी पार्टी के लिए सुखद और बीजेपी के लिए झटका जरूर है लेकिन इसका व्यापक प्रभाव लोकसभा चुनाव में देखने को मिलेगा, यह अभी कहना जल्दबाजी होगी. हां लेकिन यह बात जरूर है कि चुनाव प्रचार अभियान के बीच में सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने उतर एक टोन सेट कर दिया और वह सुधाकर सिंह की जीत का आधार बना. बीजेपी की रणनीति भी इसके आगे कोई खास प्रभाव नहीं डाल पाई. इतना ही नहीं परंपरागत सवर्ण वोट बैंक में बिखराव इसका संदेश दे रहा है.

बीजेपी की सहयोगी सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (एसबीएसपी) के नेता ओम प्रकाश राजभर ने दावा किया था कि वह इस उपचुनाव के बाद यादव परिवार को वापस इटावा भेज देंगे. लेकिन उनका दांव उल्टा पड़ गया. बीजेपी खुद से चौहान की जीत को लेकर अति आश्‍वस्त थी, भले ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सहित उसके पूरे नेतृत्व ने उपचुनावों में जोरदार प्रचार किया था. लेकिन बीजेपी हार गई और इसके साथ इस उपचुनाव ने 2024 के लोकसभा चुनाव  माहौल आसपास की सीटों पर जरूर गर्म कर दिया. 

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