Malkhan Singh: चंबल का वो खूंखार डकैत, जिसके नाम से कांपती थी पुलिस; महिलाओं पर बुरी नजर रखने वालों को खुलेआम मार देता था गोली
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Malkhan Singh: चंबल का वो खूंखार डकैत, जिसके नाम से कांपती थी पुलिस; महिलाओं पर बुरी नजर रखने वालों को खुलेआम मार देता था गोली

Chambal Valley Dacoit: भारत में ऐसे अनेक डकैत हुए हैं, जो जनता से लूटमार और उनके शोषण के लिए कुख्यात रहे हैं. लेकिन चंबल में एक ऐसा खूंखार डकैत हुआ, जिसने लूट-डकैतियां तो खूब डाली लेकिन उसे महिलाओं से जुड़े अपराध बिल्कुल सही नहीं थे. ऐसा करने वालों को वह खुलेआम गोली मार देता था. 

Malkhan Singh: चंबल का वो खूंखार डकैत, जिसके नाम से कांपती थी पुलिस; महिलाओं पर बुरी नजर रखने वालों को खुलेआम मार देता था गोली

Dacoit Malkhan Singh Crime History: चंबल के बीहड़ की बात बागियों के जिक्र के बगैर पूरी नहीं हो सकती और बागियों की सूची डकैत मलखान सिंह के बगैर अधूरी है. लगभग एक दशक तक चंबल में आतंक का पर्याय रहे मलखान सिंह ने अब राजनीति की नई पारी का आगाज कर दिया है. पुरानी पीढ़ी तो डकैत मलखान सिंह से वाकिफ होगी. लेकिन, नई पीढ़ी मलखान सिंह से अनजान ही है, इसलिए हम बताते हैं कि मलखान सिंह कैसे पहुंचा बीहड़ और उसने एक दशक तक किस तरह की अपराधों को अंजाम दिया.

ऐसे बागी हुआ मलखान सिंह

मलखान सिंह (Dacoit Malkhan Singh Crime History) का नाता भिंड जिले के बिलाव गांव से रहा है. उनके चंबल के बीहड़ में कूदने की भी कहानी ज्यादती और अन्याय के खिलाफ लड़ाई लड़ने से जुड़ी हुई है. गांव के तत्कालीन सरपंच कैलाश नारायण पंडित से उनकी दुश्मनी चली और उसी के चलते मलखान सिंह को बागी होना पड़ा. मलखान सिंह को डकैत कहलाना कभी रास नहीं आया. वह अपने को हमेशा बागी कहता रहा. 

बात करते हैं मलखान सिंह के बीहड़ में कूदने की. उनके गांव में एक मंदिर से जुड़ी जमीन थी, जिस पर उस दौर के सरपंच कैलाश पंडित ने कब्जा कर रखा था. इसी बात से मलखान सिंह नाराज था और वह इस जमीन को मुक्त कराना चाहता था. 1972 में उसका विवाद हुआ और उसके बाद उन्होंने बंदूक उठा ली. वह 1972 से 75 तक बीहड़ में रहा और डकैती के काम में लगा रहा. इस दौरान उस पर तीन मामले भी दर्ज हुए. 

पुलिस की उड़ा दी नींद

वर्ष 1976 में मलखान सिंह (Dacoit Malkhan Singh Crime History) ने कैलाश को मारने की कोशिश की. मगर वह उसमें असफल रहा, हां एक अन्य व्यक्ति जरूर उनकी गोली का शिकार हुआ और उसकी मौत हो गई. इसके बाद मलखान सिंह ने उत्तर प्रदेश के जालौन में शरण ली, धीरे-धीरे उसने डकैत गिरोह बनाया और भिंड के अलावा मुरैना, उत्तर प्रदेश के इटावा, जालौन, आगरा और राजस्थान के धौलपुर में कई वारदातों को अंजाम दिया. मलखान सिंह ने लगभग एक दशक में न केवल मजबूत डकैत गिरोह बनाया बल्कि उसके बढ़ते अपराधों ने पुलिस की नींद उड़ा दी थी.

महिलाओं पर अपराध नहीं थे सहन

1980 के आते-आते उनके गिरोह पर लगभग 100 मामले दर्ज हो चुके थे और पुलिस लगभग एक लाख का इनाम घोषित कर चुकी थी. चंबल के बीहड़ का मलखान सिंह (Dacoit Malkhan Singh Crime History) ऐसा डकैत रहा है, जिसने लूटपाट, डकैती और अपहरण तो खूब किए, मगर उसके गिरोह के अपने सिद्धांत हुआ करते थे कि कोई भी डकैत किसी महिला पर बुरी नजर नहीं डालेगा. अगर कोई ऐसा करेगा तो उसे चौराहे पर खड़ा करके गोली मार दी जाएगी.कहा जाता है कि मलखान सिंह ने महिला अपराध में लिप्त कई लोगों को मौत के घाट उतारने में भी हिचक नहीं दिखाई.

हर तरह के हथियार चलाने में माहिर

चंबल के बीहड़ का मलखान सिंह (Dacoit Malkhan Singh Crime History) ऐसा डकैत रहा, जो सेमी-ऑटोमेटिक और ऑटोमेटिक राइफल चलाने में महारत रखता था. बागी मलखान सिंह के नाम पर 1982 तक हत्या के 12, अपहरण के 28, हत्या के प्रयास के 19 और डकैती के लगभग दो दर्जन मामले दर्ज हो चुके थे. इसी दौरान मलखान सिंह के मन में आत्मसमर्पण का ख्याल आया और उसके लिए एक जिम्मेदार व्यक्ति ने मध्यस्थता निभाई.

वर्ष 1982 में कर दिया था सरेंडर

मध्य प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह की मौजूदगी में मलखान सिंह (Dacoit Malkhan Singh Crime History) ने 15 जून 1982 को आत्मसमर्पण कर दिया. मलखान सिंह छह साल तक जेल में रहा और उसके बाद 1989 में उसे सभी मामलों से बरी किए जाने के साथ रिहा कर दिया गया. मलखान सिंह लगभग एक दशक से सियासत की राह पर चल रहा है और अब उसने कांग्रेस का दामन थामकर नई पारी की शुरुआत की है.

(एजेंसी आईएएनएस) 

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