फर्जी पासपोर्ट मामले में अबू सलेम सहित 2 आरोपियों को 3 साल की जेल, CBI की स्पेशल कोर्ट ने सुनाई सजा
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फर्जी पासपोर्ट मामले में अबू सलेम सहित 2 आरोपियों को 3 साल की जेल, CBI की स्पेशल कोर्ट ने सुनाई सजा

Abu Salem: फर्जी तरीके से पासपोर्ट पाने से संबधिंत मामले में दो आरोपियों को तीन साल की साधारण कारावास की सजा सुनाई. CBI की स्पेशल कोर्ट लखनऊ ने यह सजा सुनाई है.

फर्जी पासपोर्ट मामले में अबू सलेम सहित 2 आरोपियों को 3 साल की जेल, CBI की स्पेशल कोर्ट ने सुनाई सजा

Gangster Abu Salem: सीबीआई मामलों के विशेष दंडाधिकारी, लखनऊ ने फर्जी तरीके से पासपोर्ट प्राप्त करने से संबधिंत मामले में दो आरोपियों (अबू सलेम एवं मोहम्मद परवेज आलम) को तीन वर्ष की साधारण कारावास की सजा सुनाई. सीबीआई ने दिनांक 16 अक्टूबर 1997 को श्री अबू सलेम अब्दुल कयूम अंसारी और अन्यों के विरुद्ध मामला दर्ज किया. 

फर्जी तरीके से पाए पासपोर्ट

बता दें कि यह आरोप है कि वर्ष 1993 में बॉम्बे बम विस्फोट के बाद, अबू सलेम फरार था और उसने देश से भागने के उद्देश से अकील अहमद आजमी के नाम पर पासपोर्ट कार्यालय, लखनऊ से धोखाधड़ी कर पासपोर्ट प्राप्त कर लिया. उनकी पत्नी समीरा जुमानी ने भी कपटपूर्ण तरीके से सबीना आजमी के नाम से पासपोर्ट प्राप्त कर लिया. पासपोर्ट एजेंट, मोहम्मद परवेज आलम के माध्यम से उक्त पासपोर्ट प्राप्त किया गया था. अबू सलेम एवं उनकी पत्नी समीरा जुमानी फरार थे.

मुंबई बम बिस्फोट में आरोपी था अबू सलेम

जांच के बाद तारीख 1 जुलाई 1999 को विशेष न्यायिक दंडाधिकारी, सीबीआई, लखनऊ के न्यायालय में आरोप पत्र दाखिल किया गया. अबू सलेम अब्दुल कयूम अंसारी बंबई बम विस्फोट से जुड़े एक अन्य मामले में भी फरार आरोपी था. विचारण अदालत ने उसे भगोड़ा अपराधी घोषित कर दिया था. उनके विरुद्ध गिरफ्तारी का गैर जमानती वारंट भी जारी किया गया था. आई पी एस जी (इंटरपोल) ने अबू सलेम के विरुद्ध रेड कॉर्नर नोटिस कंट्रोल (Red Corner Notice Control) भी जारी किया था.

जब मुंबई कोर्ट में अबू सलेम को किया गया पेश

18 सितंबर 2002 को अबू सलेम को लिस्बन (पुर्तगाल) में हिरासत में लिया गया. लिस्बन की अपीलीय न्यायालय व पुर्तगाल के संवैधानिक न्यायालय में चली लंबी कार्यवाही के बाद अबू सलेम के प्रत्यर्पण की अनुमति दी गई और उसकी हिरासत दिनांक 10 नवंबर 2005 को भारतीय अधिकारियों को सौंप दी गई. अबू सलेम को भारत लाया गया और 11 नवंबर 2005 को नामित अदालत, मुंबई के समक्ष पेश किया गया और उसके बाद विशेष दंडाधिकारी, सीबीआई, लखनऊ के माननीय न्यायालय में पेश किया गया.

विचारण अदालत ने दोनों आरोपियों को कसूरवार पाया और उन्हें दोषी ठहराया.

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