EVM Hacking: क्या ईवीएम से हो सकती है किसी भी तरह की छेड़छाड़, सुप्रीम कोर्ट में चुनाव आयोग ने दिए सारे जवाब
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EVM Hacking: क्या ईवीएम से हो सकती है किसी भी तरह की छेड़छाड़, सुप्रीम कोर्ट में चुनाव आयोग ने दिए सारे जवाब

Election Commission on EVM Hacking: बुधवार को यह मामला जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस एस वी एन भट्टी की बेंच के सामने लगा था. लेकिन बेंच ने तुरंत सुनवाई से इनकार करते हुए सुनवाई नवंबर के लिए टाल दी. यही नहीं बेंच ने चुनाव से पहले इस तरह की याचिकाएं दाखिल होने पर सवाल उठाते हुए कहा कि हर साल ये मामला कोर्ट में आ जाता है.

EVM Hacking: क्या ईवीएम से हो सकती है किसी भी तरह की छेड़छाड़, सुप्रीम कोर्ट में चुनाव आयोग ने दिए सारे जवाब

Can anyone Hack EVM Machine: चुनाव आयोग में सुप्रीम कोर्ट में दाखिल जवाब में कहा है कि ईवीएम पूरी तरह सुरक्षित है. इसे ना तो हैक किया जाता है और ना ही इससे छेड़छाड़ मुमकिन है. EVM बिना किसी कंप्यूटर या इंटरनेट नेटवर्क के स्वतंत्र रूप से काम करने वाली वन टाइम प्रोगामेबल चिप वाली मशीन है, जिससे छेड़छाड़ संभव ही नहीं है. 

चुनाव आयोग ने अपनी तरफ से वो तकनीकी या प्रशासनिक कदम उठाए हैं, जिनके जरिये इस मशीन के साथ छेड़छाड़ या गड़बड़ी जैसी किसी भी संभावना को खत्म किया जा सके. चुनाव आयोग का हलफनामा एक ऐसे वक्त में आया है, जब इस साल कई राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं और अगले साल लोकसभा चुनाव प्रस्तावित है.

SC में दाखिल याचिका

दरअसल इलेक्शन कमीशन ने ये हलफनामा एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स की ओर से दायर याचिका के जवाब में दाखिल किया है. ADR की ओर से दायर इस याचिका में वोटर को इस बात की पुष्टि कराए जाने की मांग की  गई थी कि उसका वोट दर्ज हो गया है. मौजूदा व्यवस्था के मुताबिक अभी वोटर वीवीपैट मशीन  पर ये तो दिख जाता है कि उसने जिस उम्मीदवार को वोट देने के लिए बटन दबाया था, उसका वोट उसी को गया है. लेकिन ये वोट रिकॉर्ड हुआ है या नहीं, इसकी व्यवस्था नहीं है.

'मौजूदा VVPAT व्यवस्था पूरी तरह सही'

 चुनाव आयोग ने याचिका का विरोध करते हुए कहा है कि वीवीपीएटी को नए सिरे से डिजाइन करने की जरूरत नहीं है. मौजूदा व्यवस्था में भी  मतदाता VVPAT के जरिये इस बात की तस्दीक कर सकता है कि उसने जो बटन दबाया है उसका वोट उसी को ही गया है. इसके अलावा हर विधानसभा के 5 पोलिंग बूथ से ईवीएम का VVPAT से मिलान किया जाता है, जो रिजल्ट से पहले चुनाव का ऑडिट जैसा है. आयोग का कहना है कि VVPAT के आने के बाद 118 करोड़ लोग पूरी संतुष्टि के साथ वोट डाल चुके हैं. केवल 25 शिकायतें इसको लेकर मिली हैं और वो सब फर्जी पाई गई हैं.

याचिका में रखी मांग अव्यवहारिक: EC

इलेक्शन कमीशन ने सभी VVPAT पर्चियां के शत प्रतिशत मिलान को गैरजरूरी और अव्यवहारिक बताते हुए कहा है कि इससे जटिलताएं बढ़ेंगी. सभी VVPAT पर्चियों की गिनती मानवीय तरीके से होती है. अगर ज्यादा गिनती होगी तो मानवीय गलती की संभावना बढ़ सकती है और इसके जरिये सोशल मीडिया पर EVM को लेकर झूठा नैरेटिव फैलाया जा सकता है. आयोग का कहना है कि यह याचिका औचित्यहीन दलीलों पर आधारित है. 
याचिका का मकसद चुनाव से पहले ईवीएम की कार्यप्रणाली पर शक पैदा करना है और आयोग को आशंका है कि  2024 के लोकसभा चुनाव से पहले EVM पर संदेह करने वाली ये आखिरी याचिका नहीं होगी.

SC ने जल्द सुनवाई से किया इनकार

बुधवार को यह मामला जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस एस वी एन भट्टी की बेंच के सामने लगा था. लेकिन बेंच ने तुरंत सुनवाई से इनकार करते हुए सुनवाई नवंबर के लिए टाल दी. यही नहीं बेंच ने चुनाव से पहले इस तरह की याचिकाएं दाखिल होने पर सवाल उठाते हुए कहा कि हर साल ये मामला कोर्ट में आ जाता है. हर 6 -8 महीने में नई याचिका  दाखिल  हो जाती है. इससे पहले हुई सुनवाई में कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता को इतना भी संदेह नहीं करना चाहिए.

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