Jagarnath Mahto death: तबीयत ज्यादा खराब होने के बाद उन्हें पारस अस्पताल से चेन्नई एयरलिफ्ट किया गया था. चेन्नई जाने से पहले मुख्यमंत्री हेमंत सोरन ने अस्पताल में उनसे मुलाकात की थी और उन्होंने ही चेन्नई में इलाज की सलाह दी थी.
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Jagarnath Mahato passed away: झारखंड में शिक्षामंत्री का पद ग्रहण करने के बाद 12वीं क्लास में एडमिशन लेने को लेकर सुर्खियों रहे मंत्री जगरनाथ महतो का निधन हो गया है. वो कई महीनों से बीमार थे. चेन्नई में उनका इलाज चल रहा था, वहीं पर उन्होंने आखिरी सांस ली. उनके निधन के बाद राज्य के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि टाइगर नहीं रहे. जानकारी के मुताबिक, कुछ दिन पहले ही उनका लंग्स ट्रांसप्लांट किया गया था. महतो का निधन आज सुबह 6.30 बजे हुआ.
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने महतो के निधन पर अपने ट्विटर पेज पर लिखा, 'अपूरणीय क्षति! हमारे टाइगर जगरनाथ दा नहीं रहे! आज झारखण्ड ने अपना एक महान आंदोलनकारी, जुझारू, कर्मठ और जनप्रिय नेता खो दिया. चेन्नई में इलाज के दौरान आदरणीय जगरनाथ महतो जी का निधन हो गया. परमात्मा दिवंगत आत्मा को शांति प्रदान कर शोकाकुल परिवार को दुःख की यह विकट घड़ी सहन करने की शक्ति दे.'
दरअसल, तबीयत ज्यादा खराब होने के बाद उन्हें पारस अस्पताल से चेन्नई एयरलिफ्ट किया गया था. चेन्नई जाने से पहले मुख्यमंत्री हेमंत सोरन ने अस्पताल में उनसे मुलाकात की थी और उन्होंने ही चेन्नई में इलाज की सलाह दी थी.
बाबूलाल मरांडी ने महतो के निधन पर दुख जताया और ट्वीट कर लिखा, 'झारखंड सरकार के मंत्री श्री जगरनाथ महतो जी के चेन्नई के अस्पताल में निधन की बेहद दुःखद सूचना मिली है. लंबे समय से बीमारी को हराते हुए योद्धा की भांति डंटे रहने वाले जगरनाथ जी का चले जाना पूरे झारखंड के लिए अत्यंत दुखदायी है. राजनैतिक भिन्नताओं के बावजूद व्यक्तिगत रूप से उनकी जीवटता का मैं सदैव प्रशंसक रहा हूं. ईश्वर उन्हें अपने श्री चरणों में स्थान दें. भावभीनी श्रद्धांजलि. ॐ शांति ॐ शांति.
28 साल में पास की 10वीं की परीक्षा
झारखंड के शिक्षा मंत्री रहे जगरनाथ महतो का बचपन गरीबी में बीता. उनके परिवार की स्थिति ऐसी नहीं कि वो पढ़ाई पूरी कर सकें. प्राइमरी की पढ़ाई के बाद मैट्रिक पास करने से पहले ही उन्हें पढ़ाई छोड़नी पड़ी थी. ये वहीं समय था जब झारखंड में आंदोलन जोर पकड़ रहा था. उन पर विनोद बिहारी महतो और शिबू सोरेन का गहरा असर हुआ. इसके बाद वो आंदोलन में शामिल हो गए.
इसी दौरान उन्होंने समय निकालकर पढ़ाई भी और साल 1995 में उन्होंने 28 साल की उम्र में 10वीं की परीक्षा पास की. इसके बाद वो फिर से पढ़ाई छूट गई. जब उन्हें सूबे का शिक्षा मंत्री बनाया गया तो उन्होंने मंत्री पद ग्रहण करने के बाद 12वीं क्लास में एडमिशन लिया.
दरअसल, शपथ ग्रहण के दौरान कुछ व्हाइट कॉलर वाले लोगों ने उन पर छींटाकशी की थी, ये बात उन्हें अच्छी नहीं लगी. इसके बाद उन्होंने अपनी पढ़ाई पूरी करने की ठानी. उन्होंने बोकारो जिले के नवाडीह में मौजूद देवी प्रसाद मेमोरियल इंटर कॉलेज में दाखिला लिया. बताया जाता है कि इस कॉलेज को उन्होंने ही खुलवाया था. यहां उन्होंने राजनीतिक विज्ञान के विषय को चुना और 54-55 साल की उम्र में 12वीं में एडमिशन लिया था.