E Fasting: मोबाइल फोन ने इंसान की जिंदगी को आसान बनाने में मदद तो दी है लेकिन उसकी लत अब उसे भारी भी पड़ रही है. इसी लत को छुड़वाने के लिए एक राज्य में इन दिनों अनोखा पर्व चल रहा है.
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E Fasting in Jain Community: मध्य प्रदेश के रायसेन जिले के बेगमगंज में एक अलग तरह का उपवास किया जा रहा है, जिसको लेकर काफी चर्चा हो रही है. इस उपवास में यहां सैकड़ों लोगों ने एक दिन के लिए मोबाइल, टैबलेट, लैपटॉप सहित तमाम इलेक्ट्रॉनिक गैजेट से दूरी बनाने का संकल्प लिया है. इस डिजिटल उपवास में सभी ने अपने गैजेट मंदिर में जमा कर दिए हैं. दरअसल जैन समाज के पर्यूषण चल रहे हैं और उन्होंने इस 'ई-उपवास' (E Fasting) की शुरुआत की है. इसमें करीब 1000 लोगों ने हिस्सा लिया. जिसमें 600 लोगों ने एक दिन के लिए और 400 लोगों ने 10 दिन के लिए अपने मोबाइल सहित सभी गैजेट से दूरी बनाने का संकल्प किया है. इसमें 100 बच्चे और 300 से ज्यादा महिलाएं भी शामिल हैं.
जैन समुदाय रख रहा ई उपवास
पर्यूषण पर्व जैन समुदाय (Jain Community) द्वारा आत्म-शुद्धि, आत्मनिरीक्षण और आध्यात्मिक विकास के लिए प्रतिवर्ष मनाए जाने वाले प्रमुख त्योहारों में से एक है. समुदाय के सदस्य उपवास, पूजा एवं अन्य धार्मिक अनुष्ठान करके त्योहार में भाग लेते हैं. आयोजकों का कहना है इसका मकसद लोगों से मोबाइल की लत को छुड़वाना है. इस डिजिटल उपवास (E Fasting) की सबसे बड़ी बात ये देखने को मिली कि इसमें छोटे-छोटे बच्चे भी हिस्सा ले रहे है.
डिजिटल गैजेट की लत छुड़ाने की कोशिश
आप अक्सर उपवास करते हैं. उपवास की धार्मिक मान्यताएं है. लेकिन इसका एक बड़ा वैज्ञानिक पहलू भी है. उपवास करने से शरीर स्वस्थ रहता है. भोजन नहीं करने या एक समय भोजन करने या केवल फल खाने से पाचनतंत्र को आराम मिलता है. शरीर की शुद्धि होती है. आध्यत्मिक शक्ति बढ़ती है. मन शांत और पवित्र होता है. इसलिए आपने ये गौर किया होगा कि जब आप उपवास करते हैं को अच्छा महसूस करते हैं. इसी तरह ई-उपवास भी शरीर को कई नुकसानों से बचाता है. सामान्य तौर पर हम चाहकर भी खुद को मोबाइल और दूसरे गैजेट से अलग नहीं कर पाते हैं. लेकिन जब ई-उपवास (E Fasting) का सहारा लेते हैं जिससे गैजेट से दूरी बनाना आसान हो जाता है.
कई बीमारियों की जड़ बन गया मोबाइल फोन
दरअसल आज के मोबाइल युग में ई-उपवास बेहद अहम है. क्योंकि मोबाइल (Side Effects of Mobile Phones) कई बीमारियों की वजह बन चुका है. आज मोबाइल के जुड़ी एक बीमारी आम हो गई है जिसे नोमोफोबिया कहा जाता है. इससे आप अंदाजा लगा सकते हैं कि मोबाइल हमारी जरुरत के साथ-साथ बड़ी समस्या बन गई है. नोमोफोबिया में मोबाइल के नहीं मिलने या खो जाने पर काफी घबराहट होने लगती है. बार-बार कॉल के आने का आभास होता है. कई बार ऐसा लगता है कि मोबाइल का रिंग बज रहा है. जबकि ऐसा कुछ नहीं होता है. इस बीमारी में हमें मोबाइल से संबंधित सपने आने लगते हैं जैसे हमारा मोबाइल चोरी हो गया है या गिर गया है. घबराहट में हम नींद से उठ जाते हैं.
लोगों की नजरें हो रही हैं कमजोर
इसलिए आज ई-उपवास (E Fasting) की जरुरत सामने आई है. वैसे ज्यादा मोबाइल के इस्तेमाल से कई बीमारियां होने लगी है जैसे तनाव होना, सिरदर्द होना, नींद नहीं आना, याद करने की क्षमता कम होगा, सुनने में दिक्कत होना, जोड़ों में दर्द होना, आंखें कमजोर होना, मोटापा बढ़ना शामिल है. इसके अलावा कई मामलों में कैंसर जैसी गंभीर समस्याएं भी सामने आई है. इससे साफ है कि मोबाइल का कितना खतरनाक असर हमारे स्वास्थ्य पर हो रहा है और ई-उपवास कितना जरुरी है.
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