DNA Analysis: बहुत दर्द भरी है महाराष्ट्र के नए सीएम एकनाथ शिंदे की कहानी, बेटे-बेटी को गंवा दिया था आंखों के सामने
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DNA Analysis: बहुत दर्द भरी है महाराष्ट्र के नए सीएम एकनाथ शिंदे की कहानी, बेटे-बेटी को गंवा दिया था आंखों के सामने

DNA on Maharashtra New CM Eknath Shinde Bio Profile: शिवसेना के बागी विधायक एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) अब महाराष्ट्र के नए सीएम बन गए हैं. उनका निजी जीवन बेहद दर्द भरा रहा है. ऐसे में आज आपको महाराष्ट्र के नए मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की अनसुनी कहानी जाननी चाहिए.

DNA Analysis: बहुत दर्द भरी है महाराष्ट्र के नए सीएम एकनाथ शिंदे की कहानी, बेटे-बेटी को गंवा दिया था आंखों के सामने

DNA on Maharashtra New CM Eknath Shinde Bio Profile: महाराष्ट्र में कई दिनों तक चली राजनीतिक सरगर्मी के बाद गुरुवार को शिवसेना के बागी विधायक एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) ने राज्य के नए सीएम के रूप में शपथ ले ली. ऐसे में आज आपको महाराष्ट्र के नए मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की अनसुनी कहानी भी जाननी चाहिए. 58 साल के एकनाथ शिंदे का जन्म महाराष्ट्र के सतारा जिले में हुआ था. उनका बचपन काफ़ी गरीबी में बीता. 

वर्ष1970 के दशक में उनका परिवार सतारा से ठाणे ज़िले में शिफ्ट हो गया था. परिवार की कमजोर आर्थिक स्थिति की वजह से एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) को अपनी स्कूल की पढ़ाई बीच में ही छोड़नी पड़ी थी. वो सिर्फ 11वीं कक्षा तक ही पढ़े. इसके बाद उन्होंने अपने परिवार की मदद करने के लिए ऑटो रिक्शा चलाना शुरू कर दिया.

बालासाहेब से प्रभावित होकर शिवसेना में आए

शिंदे (Eknath Shinde) ने शराब की एक फैक्ट्री में भी काफी समय तक काम किया. कहा जाता है कि 1980 के दशक में वो बालासाहेब ठाकरे से काफी प्रभावित हुए और इसके बाद उन्होंने शिवसेना पार्टी Join कर ली. उस समय महाराष्ट्र में शिवसेना अकेली ऐसी पार्टी थी, जो हिन्दुत्व के मुद्दे पर लोगों के बीच जाती थी. इस मामले में बीजेपी भी उससे काफी पीछे थी. एकनाथ शिंदे 2004 में पहली बार विधायक बने. बालासाहेब ठाकरे की मृत्यु के बाद उन्हें शिवसेना के सबसे बड़े नेता के तौर पर देखा जाता था. हालांकि पिछले दो वर्षों में उनका ये कद घट गया और पार्टी में उनसे ज्यादा उद्धव ठाकरे के पुत्र आदित्य ठाकरे को ज्यादा प्राथमिकता दी जाने लगी, जिससे एकनाथ शिंदे खफा हो गए.

नाव हादसे में बेटे-बेटी को खोया

एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) के जीवन में एक क्षण ऐसा भी आया, जब वो डिप्रेशन में चले गए थे. ये बात उस समय की है, जब सतारा में हुए एक नाव हादसे में उनके एक बेटे और एक बेटी की मृत्यु हो गई थी. ये हादसा एकनाथ शिंदे की आंखों के सामने हुआ था. इस घटना के बाद एकनाथ शिंदे इतना टूट चुके थे कि उन्होंने राजनीति छोड़ने का फैसला कर लिया. हालांकि शिवसेना के वरिष्ठ नेता आनंद दीघे उन्हें वापस राजनीति में लाए. 

मंत्री बनने के बाद अधूरी पढ़ाई पूरी की

इसके बाद उनका महाराष्ट्र और शिवसेना में कद बढ़ता चला गया. एकनाथ शिंदे के जीवन से जुड़ी सबसे खास बात ये है कि जब 2014 में वो शिवसेना और बीजेपी की गठबन्धन सरकार में मंत्री बने, तब उन्होंने फिर से अपनी पढ़ाई को शुरू करने का फैसला किया. उन्होंने महाराष्ट्र की Yashwantrao Chavan Open University से ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की. तीन दशकों के अपने लम्बे राजनीतिक जीवन में वो लगातार चार बार विधायक चुने गए और चार साल तक सदन के नेता भी रहे.

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