Dementia: अगर आपको भी हो रही है भूलने की बीमारी, AIIMS लेकर आया 'रामबाण'
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Dementia: अगर आपको भी हो रही है भूलने की बीमारी, AIIMS लेकर आया 'रामबाण'

AIIMS Delhi: अगर आपकी याद्दाश्त जा रही है तो दिल्ली का एम्स आपकी याद्दाश्त लौटा सकता है. ऐसे लोग जिन्हें अभी डिमेंशिया यानी भूल जाने की बीमारी की शुरुआत हुई है वो एम्स की इस रिसर्च का हिस्सा बन सकते हैं और अपना इलाज करा सकते हैं.

Dementia: अगर आपको भी हो रही है भूलने की बीमारी, AIIMS लेकर आया 'रामबाण'

Losing Memory: 40 वर्ष से ऊपर के ऐसे लोग जिनकी याद्दाशत कमजोर हो रही है उनके लिए एम्स ने योग वाला प्रयोग शुरु किया है. दरअसल रिसर्च में ऐसा देखा गया है कि भूलने की आदत जब बीमारी में बदलने लगती है तो दवाएं एक लिमिट से ज्यादा मदद नहीं कर पातीं. लेकिन योगासन और प्राणायाम की मदद से मेमोरी की ताकत बढ़ाई जा सकती है. इसीलिए एम्स ने ऐसे लोगों के लिए हेल्पलाइन नंबर जारी किए हैं. भूलने की आदत जब बीमारी बन जाती है तो उसे डिमेंशिया कहा जाता है. ऐसे लोग जिनमें इस बीमारी के शुरुआती लक्षण आए हैं वो एम्स से संपर्क करके इस रिसर्च में शामिल हो सकते हैं.

कैसे पता चलेगा इस बीमारी के बारे में
दरअसल, एम्स का दावा तो यहां तक है कि ये योगासन बढ़ती उम्र को भी रोक सकते हैं. 40 साल से 60 साल की उम्र के ऐसे लोग जिन्हें अभी डिमेंशिया यानी भूल जाने की बीमारी की शुरुआत हुई है वो एम्स की योग वाली रिसर्च का हिस्सा बन सकते हैं. सबसे पहले हम आपको ये बताते हैं कि आपको ये कैसे पता करना है कि आपका चीजें भूलना सिर्फ एक छोटी मोटी आदत है या आप सच में बीमारी की ओर बढ़ रहे हैं.

- अगर आप कोई ज़रुरी अप्वाइंटमेंट – जैसे किसी सामाजिक काम पर या ऑफिस की मीटिंग भूल जाएं  
- अगर आप किताब पढ़ रहे हैं या फिल्म देख रहे हैं और आप उसकी कहानी याद ना रख पाएं  
- आप जाने पहचाने रास्ते भूलने लगें, और  
- आपके परिवार या दोस्त आपको बातें याद दिलाने लगें यानी आपमें हुए बदलाव दूसरे के जरिए नोटिस किए जाने लगें तो आप डिमेंशिया के शिकार हो रहे हैं.

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भ्रामरी प्राणायाम करवाए जाएंगे
एम्स की न्यूरोलॉजी डिपार्टमेंट की प्रोफेसर डॉ मंजरी त्रिपाठी का कहना है कि ऐसे मरीजों को सूक्ष्म व्यायाम, प्राणायाम, सूर्य नमस्कार, नाड़ी शोधन और  भ्रामरी प्राणायाम करवाए जाएंगे. इसके अलावा उनकी शारीरिक सेहत के हिसाब से दूसरे कई आसन करवाए जाएंगे. जो खून का प्रवाह दिमाग की ओर ले जाएं.

प्राणायाम पर रिसर्च
एम्स ने अपनी रिसर्च में पाया है कि योग आसन से दिमाग में ऑक्सीजन बढ़ती है. साथ ही ब्रेन के कई हिस्सों में आई सिकुड़न भी ठीक हो जाती है. केवल कुछ मिनट का भ्रामरी प्राणायाम कितने फायदे दे सकता है इस पर आईआईटी दिल्ली और ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ आयुर्वेद ने मिलकर पिछले वर्ष एक रिसर्च की थी. 70 लोगों पर तकरीबन 1 वर्ष चली इस रिसर्च में यह सामने आया कि भ्रामरी प्राणायाम बढ़ती हुई उम्र के बुरे असर को काफी हद तक घटा सकता है. केवल एक प्राणायाम याददाश्त बढ़ाने के काम आता है, तनाव को कम करता है ब्लड प्रेशर को काबू करता है. 

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कैसे कम होती जाती है याददाश्त
ऐसा कैसे होता है, ये हम आपको समझाते हैं. असल में एम्स की रिसर्च के मुताबिक तनाव, स्मोकिंग, शराब, कम नींद, प्रदूषण या खराब खाना पीना – इन सब वजहों से दिमाग में कोर्टिसोल हॉरमोन निकलता है जिसकी वजह से दिमाग का याद्दाश्त के लिए जिम्मेदार हिस्सा हिपोकैंपस सिकुड़ने लगता है और दिमाग की नर्वस उम्र के साथ साथ ऐसी आदतों को झेलते झेलते सिकुड़ने लगती हैं.

नतीजे बेहतर होते देखे गए 
प्राणायाम दिमाग में ऑक्सीजन भेजने की स्पीड बढ़ाता है जबकि कुछ योग क्रियाएं जैसे सूर्य नमस्कार, विपरीत कर्णी ब्रेन में ब्लड फ्लो यानी खून का प्रवाह बढ़ा सकती हैं. आईआईटी दिल्ली की रिसर्च में कई मरीजों में ईसीजी के नतीजे बेहतर होते देखे गए यानी यह पाया गया कि दिल के मरीजों को भी भ्रामरी प्राणायाम करने से बीमारी से रिकवर होने में तेजी से मदद मिल रही है.

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