तिहाड़ जेल के अंदर से अपनी पहचान बदलकर महाठग सुकेश चंद्रशेखर के द्वारा 200 करोड़ रुपये की ठगी की गई, इस मामले में दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (EoW) ने बुधवार को जैकलीन फर्नांडीज से पूछताछ की तो वहीं आज नोरा फतेही से पूछताछ की जाएगी.
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Money Laundering Case: दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (EoW) ने सुकेश चंद्रशेखर 200 करोड़ रुपये की ठगी के मामले में बुधवार को जैकलीन फर्नांडीज से पूछताछ की तो वहीं आज नोरा फतेही को पूछताछ के लिए बुलाया गया है. नोरा सुबह करीब 11 बजे EoW के ऑफिस पहुंचेगी, जहां उन्हें पिंकी ईरानी के सामने बिठाकर पूछताछ की जाएगी. इसके पहले 2 सितंबर को भी नोरा से पूछताछ की गई थी.
पूछताछ के दौरान घबराई जैकलीन
दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा ने बुधवार सुबह 11 बजकर 45 मिनट पर जैकलीन फर्नांडीज से पूछताछ शुरू की इस दौरान 8 घंटे से ज्यादा पूछताछ की गई. इसमें ठगी के मुख्य आरोपी सुकेश चंद्रशेखर से उनके रिश्ते और लेन-देन की जानकारी लेने की कोशिश की गई. कार्रवाई से दौरान जैकलीन काफी ज्यादा घबराई नजर आई को वहीं 1-2 बार वह बेहद भावुक भी हो गई और अपने सामने पिंकी ईरानी को देख उसी पर आरोप लगाने लगी. EOW के अधिकारी जैकलीन के जवाब से पूरी तरह संतुष्ट नहीं है, इसलिए उन्हें दोबारा पूछताछ के लिए अगले हफ्ते बुलाया जाएगा.
क्या है पूरा मामला
तिहाड़ जेल के अंदर से अपनी पहचान बदलकर महाठग सुकेश चंद्रशेखर ने 200 करोड़ रुपये की ठगी की, इन्ही पैसों से चंद्रशेखर के द्वारा जैकलीन को करोड़ो के महंगे गिफ्ट दिए गए साथ ही परिवार के लोगों के लोगों को भी पैसे दिए थे. इस पूरे मामले में सुकेश चंद्रशेखर, उसकी पत्नी और अन्य आरोपियों पर मकोका की धारा भी लगाई है. साथ ही इस पूरे मामले में सुकेश की मदद करने के आरोप में तिहाड़ के कुछ अधिकारी गिरफ्तार भी हो चुके है. साथ ही तिहाड़ जेल के करीब 70 कर्मचारियों के खिलाफ भी प्रिवेंशन ऑफ करप्शन एक्ट के तहत एक अलग FIR भी दर्ज की है.
मकोका क्या है?
महाराष्ट्र सरकार के द्वारा साल 1999 में मकोका (महाराष्ट्र कंट्रोल ऑफ ऑर्गेनाइज्ड क्राइम एक्ट) बनाया गया था, संगठित और अंडरवर्ल्ड अपराध को खत्म करना इस एक्ट का उद्देश्य था. महाराष्ट्र के बाद साल 2002 में दिल्ली सरकार ने भी इसे लागू कर दिया.
ये एक्ट जबरन वसूली, फिरौती, हत्या, अपरहण, धमकी और बड़े पैमाने पर पैसे बनाने के लिए किए गए अपराधों पर लगाया जाता है. मकोका लगाने से पहले एडिशनल कमिश्नर ऑफ पुलिस से मंजूरी लेनी होती है. इस एक्ट में अधिकतम फांसी तक की सजा हो सकती है, वहीं न्यूनतम पांच साल जेल का प्रावधान है. इस एक्ट के लगने के बाद आरोपियों को आसानी से जमानत नहीं मिलती