Republic Day 2025: इस साल गणतंत्र दिवस परेड में कुल 26 झांकियां शामिल थीं. इनमें 16 झांकियां राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की थीं, जबकि 10 झांकियां मंत्रालयों और विभागों से जुड़ी हुई थीं. दिल्ली की झांकी ने खास ध्यान खींचा क्योंकि इसे एक प्रतीकात्मक कदम के रूप में देखा गया.
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Republic Day 2025: गणतंत्र दिवस 2025 का समारोह इस बार खास और अलग नजर आया. 76वें गणतंत्र दिवस परेड में दिल्ली की झांकी का समावेश न केवल परेड का आकर्षण बना, बल्कि आगामी दिल्ली विधानसभा चुनावों से पहले यह झांकी एक राजनीतिक संदेश भी छोड़ गई. शिक्षा के क्षेत्र में किए गए सुधारों और उपलब्धियों को झांकी के माध्यम से पेश कर दिल्ली सरकार ने अपने कामकाज का प्रचार किया.
दिल्ली की झांकी में शिक्षा मॉडल की झलक
दिल्ली की झांकी इस बार 'शिक्षा की गुणवत्ता' पर आधारित थी, जिसमें राजधानी के सरकारी स्कूलों और संस्थानों की झलक को प्रमुखता से प्रदर्शित किया गया. झांकी में क्लासरूम, आधुनिक लैब, लाइब्रेरी और छात्रों की रचनात्मकता को दिखाया गया. यह झांकी तब और खास बन गई जब आखिरी समय में इसे परेड में शामिल किया गया. इससे पहले केंद्र सरकार ने इसे मंजूरी नहीं दी थी, जिसके कारण यह झांकी विवादों में भी रही. दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री और आप संयोजक अरविंद केजरीवाल ने बार-बार यह मुद्दा उठाया था कि 2020 के बाद से दिल्ली की झांकी को गणतंत्र दिवस परेड में जगह नहीं दी गई. उनका कहना था कि यह केंद्र की राजनीति का हिस्सा है. लेकिन, इस बार अंतिम क्षणों में दिल्ली की झांकी को शामिल करने का निर्णय लिया गया.
चुनाव से पहले झांकी का संदेश
दिल्ली विधानसभा चुनावों में महज कुछ दिन शेष हैं. ऐसे में शिक्षा पर आधारित यह झांकी राजनीतिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है. आम आदमी पार्टी का शिक्षा मॉडल पिछले कुछ वर्षों से उसकी मुख्य चुनावी रणनीति का हिस्सा रहा है. सरकारी स्कूलों में सुधार, मोहल्ला क्लीनिक और शिक्षा बजट में बढ़ोतरी जैसे कदम पार्टी की पहचान बने हैं. झांकी के माध्यम से सरकार ने अपने कामों का संदेश लाखों दर्शकों और मतदाताओं तक पहुंचाने की कोशिश की. 77 हजार से अधिक लोगों के सामने निकली यह झांकी यह बताने में सफल रही कि दिल्ली सरकार शिक्षा में क्रांति लाने के अपने दावों में कितनी गंभीर है.
राज्यों की झांकियों के बीच दिल्ली की झांकी का खास महत्व
इस वर्ष गणतंत्र दिवस परेड में कुल 26 झांकियां शामिल थीं, जिनमें 16 झांकियां राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की थीं, जबकि 10 मंत्रालयों और विभागों से संबंधित थीं. दिल्ली के अलावा झारखंड, बिहार, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल और कर्नाटक जैसे राज्यों की झांकियां भी परेड में शामिल थीं. हालांकि, दिल्ली की झांकी ने खास ध्यान आकर्षित किया क्योंकि यह एक प्रतीकात्मक कदम के रूप में देखी गई.
झांकी के पीछे की राजनीति
पिछले कुछ वर्षों से दिल्ली की झांकी को गणतंत्र दिवस परेड में जगह न मिलने पर सवाल उठते रहे हैं. आम आदमी पार्टी और केंद्र सरकार के बीच टकराव का यह एक और उदाहरण बन चुका है. दिल्ली सरकार का कहना था कि उनकी झांकियां शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे मुद्दों पर आधारित होती हैं, जो देश के विकास के लिए महत्वपूर्ण हैं. लेकिन, केंद्र इसे राजनीतिक प्रचार का जरिया मानता रहा. इस बार झांकी को शामिल करना एक सकारात्मक कदम के रूप में देखा गया, लेकिन इसे लेकर राजनीति खत्म नहीं हुई. केंद्र सरकार ने कहा कि झांकी को विशेषज्ञ पैनल की समीक्षा के बाद मंजूरी दी गई, जबकि राज्य सरकार इसे अपनी बड़ी जीत मान रही है.
गणतंत्र दिवस समारोह और विदेशी अतिथि
परेड में इंडोनेशिया के राष्ट्रपति मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद रहे. झांकियों के प्रदर्शन के दौरान संबंधित राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के केंद्रीय मंत्री खड़े होकर उत्साह बढ़ाते नजर आए. इस दौरान सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए, और राजधानी के कई मार्गों को बंद या परिवर्तित किया गया.
दिल्ली के लिए राजनीतिक संदेश
दिल्ली की झांकी को गणतंत्र दिवस परेड में शामिल करना सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी के लिए एक बड़ा राजनीतिक मौका है. चुनावी माहौल में इस झांकी ने दिल्ली के मतदाताओं को यह संदेश देने का प्रयास किया है कि राज्य सरकार शिक्षा के क्षेत्र में किए गए सुधारों को लेकर गंभीर है.
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