Karwa Chauth: याची चाहता था कि विधवाएं करें करवाचौथ का व्रत, समय की बर्बादी पर हाईकोर्ट ने लगाया जुर्माना
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Karwa Chauth: याची चाहता था कि विधवाएं करें करवाचौथ का व्रत, समय की बर्बादी पर हाईकोर्ट ने लगाया जुर्माना

Karwa Chauth 2025: पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की गई, जिसमें विधवाओं के लिए भी करवाचौथ मनाने की मांग की गई. याचिका में कहा गया कि इस पर्व को उत्सव घोषित किया जाए और इसे विधवा, तलाकशुदा या सहमति संबंध में रहने वाली महिलाओं के लिए भी अनिवार्य बनाया जाए.

Karwa Chauth: याची चाहता था कि विधवाएं करें करवाचौथ का व्रत, समय की बर्बादी पर हाईकोर्ट ने लगाया जुर्माना

Haryana News: करवाचौथ का पर्व सुहागिनों द्वारा मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण त्योहार है. इस दिन महिलाएं अपने पति के लिए व्रत रखती हैं. महिलाएं इस दिन निर्जला उपवास रखती हैं. इस दिन महिलाएं बिना कुछ खाए और पिए अपने पति की लंबी उम्र की कामना करती हैं. यह पर्व पति-पत्नी के रिश्ते को मजबूत बनाने वाला माना जाता है और प्यार-विश्वास, सुख बढ़ाने का प्रतीक है. 

विधवाओं के लिए करवाचौथ की मांग  
हाल ही में, पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की गई, जिसमें विधवाओं के लिए भी करवाचौथ मनाने की मांग की गई. याचिका में कहा गया कि इस पर्व को उत्सव घोषित किया जाए और इसे विधवा, तलाकशुदा या सहमति संबंध में रहने वाली महिलाओं के लिए भी अनिवार्य बनाया जाए. यह मांग सुनकर अदालत ने इसे अस्वीकार कर दिया.  

याचिकाकर्ता पर एक हजार रुपये का जुर्माना
हाईकोर्ट ने याचिका को खारिज करते हुए याचिकाकर्ता पर एक हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया. अदालत ने स्पष्ट किया कि यह एक सामाजिक मुद्दा है, जिसे कानून के माध्यम से नहीं सुलझाया जा सकता. न्यायपालिका का काम केवल नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करना है, न कि नए कानून बनाना. 

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जुर्माना पुअर पेशेंट रिलीफ फंड होगा जमा- कोर्ट
कोर्ट ने याचिकाकर्ता को चेतावनी दी कि उसने कोर्ट का कीमती समय बर्बाद किया है. याचिका में कानून बनाने की मांग को लेकर हाईकोर्ट ने कहा कि यह विधायिका का कार्य है. याचिकाकर्ता को जुर्माना अदा करने के लिए कहा गया, जो कि पीजीआई पुअर पेशेंट रिलीफ फंड में जमा किया जाना है.   

समाज में संवाद की आवश्यकता  
इस घटना से स्पष्ट होता है कि समाज में हर पर्व का अपना महत्व है और यह आवश्यक नहीं कि सभी महिलाएं हर पर्व को समान रूप से मनाएं. करवाचौथ जैसा पर्व सुहागिनों के लिए विशेष है, और इसे विधवाओं के लिए अनिवार्य बनाना उचित नहीं है. समाज में संवाद और समझदारी की आवश्यकता है, ताकि हर वर्ग की भावनाओं का सम्मान किया जा सके.