पिता के जख्मों को देख बदला खेती करने का तरीका, अब चलाता रहता है मोबाइल उधर पड़ती रहती है खाद
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पिता के जख्मों को देख बदला खेती करने का तरीका, अब चलाता रहता है मोबाइल उधर पड़ती रहती है खाद

सिरसा में एक 11 वीं के छात्र ने एक ऐसा उपकरण बनाया है, जिसे देखने के बाद हर कोई उसकी तारीफ कर रहा है. उसने खेत में खाद डालने वाली मशीन बनाई है, जो कि एक रिमोट कंट्रोल कार की तरह इस्तेमाल होगी. आइये नीचे खबर में जानते हैं उसके बारे में...

पिता के जख्मों को देख बदला खेती करने का तरीका, अब चलाता रहता है मोबाइल उधर पड़ती रहती है खाद

विजय कुमार/सिरसा: कहते हैं मन में अगर कुछ भी करने की इच्छा हो तो कोई भी मुकाम हासिल किया जा सकता है. यही कर दिखाया है गांव जोधका निवासी 11 कक्षा के साइंस के छात्र भरत कुमार ने, गरीब परिवार से संबंध रखने वाले व जिले के राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय गांव पतली डाबर में पढ़ने वाले भारत कुमार बचपन से ही वह अपने पिता को हाथ से खेत में खाद डालते हुए देखता था. इसलिए उसने एक ऐसी मशीन इजाद कि यह मशीन खाद को मिक्स करने के साथ खेत में डालने का काम भी खुद ही करेगी. 

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बता दें कि 11वीं कक्षा के छात्र  ने अपने पिता की मदद के लिए एक ऐसी मशीन इजाद की है कि जिससे अब उसके पिता को खेतों में खाद नहीं जालना पड़ेगा. दरअसल, भरत ने अपने पिता को बचपन से ही खेतों में काम करते देखा है, जिस कारण उसके पिता के हाथ भी काफी खराब हो जाते थे. इससे बचाव करने के लिए उसने एक मशीन ही तैयार कर दी. जिस में खाद को मिलाने व उसका खेत में छिड़काव करने तक का काम ऑटोमेटिक तरीके से होता है. 

खेत के बाहर बैठकर पड़ेगा खाद
भरत कुमार ने रिमोट कंट्रोल फर्टिलाइजर थ्रोइंग मशीन बनाई है. यह मशीन पूरी तरह से ऑटोमेटिक हैं, जिससे विद्यार्थी ने घर पर रखी पानी की पाइपों की सहायता से बनाया है. यह मशीन किसान के एंड्रॉयड फोन से चालू की जाती है और फोन से ही मशीन को किसान नियंत्रित कर सकता है. पहले खाद को मिक्स करने का काम भी मशीन स्वयं ही करेगी फिर मिक्स करने के बाद खेतों में हर जगह पर खाद डालने का काम भी मशीन स्वयं करेगी. इसे किसान बस खेत के बाहर से ही फोन के जरिये कंट्रोल कर सकता है. छात्र की लगन को देखते हुए गांव जोधका की पंचायत की ओर से उसे 5100 रूपये की नगद राशि और गांव के ही एक बिजनेसमैन की और से 5100 रुपये की राशि से भी प्रोत्साहित भी किया गया है तो वहीं शिक्षा विभाग की ओर से 5000 और एक मेडल और सर्टिफिकेट देकर इस बच्चे को सम्मानित किया गया है.

1500 में तैयार हुई मशीन
छात्र भारत कुमार ने बताया कि उसके पिता खेतों में खाद डालने का कार्य करते हैं और उसने अपने पिता को हाथों से खाद डालते देखा और उनके हाथ जब खराब हुए तो उसने सोचा कि क्यों न एक ऐसी मशीन बनाई जाए, जिससे खेतों में खाद डाली जाए. उसने एक मशीन बनाई है जो खेतों में खाद डालने का कार्य करेगी और किसी एंड्रॉयड फोन से ऑपरेट भी किया जा सकता है. छात्र ने बताया कि इसको बनाने के लिए तीन-चार दिन लगे और लगभग 1500 सौ रुपए का खर्च आया है. छात्र ने कहा अगर सरकार सहयोग करें तो इस मॉडल को बड़े स्तर पर भी ले जाया जा सकता है.

उधार सामान लेकर बनाई मशीन
वहीं छात्र भारत के पिता अमित ने बताया कि उसके लड़के ने उसकी मजबूरी को देखते हुए कि दूसरे के खेतों में खाद डालने जाते हैं और तेज केमिकल होने के कारण हाथ में दस्ताने डालने के बावजूद भी हाथ खराब हो रहे हैं. उनके हाथों में जख्म होने के कारण उसका बेटा रोज देखता था और उनसे पूछा था कि आपके हाथों को क्या हो गया. तब वह उसे बताते थे कि दवाइयां असर कर गई है तो उसके बेटे ने उससे कुछ सामान मांगा, लेकिन पैसे न होने के कारण उधार में सामान उठाकर लाए और उसके बेटे ने यह मशीन तैयार कर दी. दिन रात की लगन और मेहनत के बाद तब जाकर यह मशीन बनकर तैयार हुई.  इस पर भारत के पिता ने कहा कि वह गरीब आदमी है जितना हो सकेगा अपने बेटे के लिए करेंगे अगर किसी से सहायता मांगनी पड़े तो लेंगे. साथ ही उन्होंने सरकार से भी मांग की है कि उसके बेटे के हुनर को देखते हुए उसकी सहायता की जाए. 

छात्र के स्कूल के प्राचार्य अशोक कुमार ने बताया कि इस छात्र ने अपने पिता को जब खेतों में खाद डालते देखा तो बच्चे के मन में मशीन बनाने का विचार आय, जिसके बाद आर्थिक रूप से कमजोर होने के बावजूद भी इस बच्चे ने इसको तैयार किया है. उन्होंने बताया कि बच्चे के मॉडल को पहले ब्लॉक स्तर पर, फिर जिला स्तर पर और अब राज्य स्तर पर चयनित हुआ हैं. उन्होंने बताया कि स्कूल में यह छात्र दूसरे छात्रों के लिए भी रोल मॉडल बना है, जिसे दूसरे छात्र भी इससे प्रभावित हुए हैं. उन्होंने कहा कि इस छात्र का भविष्य अच्छा है.