Panipat Hindi News: लंदन से फाइनेंस की डिग्री लेने के बाद भारत देश अपने शहर पानीपत में अपने पति आदित्य भाटिया के फार्मास्यूटिकल व्यवसाय से अलग कुछ करने की मन में ठानकर 5 एकड़ जमीन पर टमाटर की ऐसी खेती शुरू की.
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Panipat News: इंसान पढ़ लिखकर अपने परिवारिक व्यवसाय के साथ जुड़ जाता है या फिर अलग से कोई व्यवसाय करने की सोचता है, लेकिन कुछ इंसान विदेश से डिग्री लेकर बड़े सपनों के साथ दुनिया से अलग करने की चाहत में अपने देश वापस लौट आते हैं. गुंजन भाटिया भी उन्ही इंसानो में एक हैं, जिसने लंदन से फाइनेंस की डिग्री लेने के बाद भारत देश अपने शहर पानीपत लौटी और महिला सशक्तिकरण का एक अद्भुत व सराहनीय उदाहरण पेश किया .
गुंजन भाटिया दूसरी महिलाओं के लिए भी प्रेरणा बनती जा रही है.
पानीपत की गुंजन भाटिया ने अपने पति आदित्य भाटिया के फार्मास्यूटिकल व्यवसाय से अलग कुछ करने की मन में ठानकर 5 एकड़ जमीन पर टमाटर की ऐसी खेती शुरू की जो आज तक हरियाणा में किसी ने सोची भी नहीं थी.
गुंजन भाटिया ने हाइड्रोपोनिक खेती की शुरुआत कर प्रदेश की पहली महिला होने का गौरव हासिल किया. गुंजन भाटिया ने इस खेती के माध्यम से अच्छा मुनाफा भी कमा रही है. आज जब गुंजन भटिया के पोली हाउस में पहुंचे तो खेती की सारी व्यवस्था अपनी देखरेख में करने के साथ दूसरी महिलाओं को भी इस खेती की ट्रेनिंग देकर स्वावलंबी व आत्मनिर्भर बनाने का रास्ता प्रसस्त कर रही है.
गुंजन भाटिया ने हाइड्रोपोनिक खेती की जानकारी देते हुए बताया कि बिना मिट्टी की खेती यानी कि जल के माध्यम से ही खेती, जिससे पौधे की जड़ो तक न्यूट्रिशन पहुंचता है. गुंजन ने बताया कि फाइनेंस की डिग्री करने के बाद जब अपने देश वापस आई तो एक सपना था. कहा कि बिना कीटनाशक के हरी सब्जी कम से कम दाम में आम जनता तक पहुंचाने के साथ जल की बचत हो सके. उन्होंने बताया कि हाइड्रोपोनिक खेती ही अपने सपने को पूरा करने का एकमात्र मार्ग था.
गुंजन ने बताया कि हाइड्रोपोनिक खेती के लिए एक विशेष तरह के चेंबर बनाकर वाटर टैंक के जरिये पौधों को जल दिया जाता है. उन्होंने बताया कि वाटर टैंक में ही न्यूट्रिशन व ऑर्गेनिक मिलाने के बाद चेंबर में जल छोड़ते हैं. उन्होंने बताया जितनी पौधे को न्यूट्रिशन की आवश्यकता होती है. वह उतना अवशोषित कर वापिस जल उसी टैंक में चला जाता है. इससे 80% जल की बचत होती है.
उन्होंने बताया कि यूनाइटेड नेशन के अनुसार आज पूरे विश्व में 8 मिलियन जनसंख्या है. जबकि 2050 में 9.8 बिलियन जनसंख्या होने का अनुमान है. इसलिए भविष्य को देखते हुए खाद की खेती को छोड़कर भविष्य की खेती के बारे में सोचना होगा. उन्होंने बताया कि जमीन में 70% जल है जोकि खेती के काम आता है. गुंजन ने कहा कि अब समय आ गया है कि नई व बेहतर तकनीक के साथ खेती के दूसरे रास्ते चुनने चाहिए. जोकि हाइड्रोपोनिक खेती ही नई तकनीक है. उन्होंने कहा कि यह कोई विज्ञान का चमत्कार या नई पीढ़ी की खेती नहीं है. बल्कि 17वीं शताब्दी में भी खेती पानी के जरिये ही की जाती थी.
गुंजन ने कहा कि जैसे-जैसे विकास होता गया लोगों ने मिट्टी से खेती करनी शुरू कर दी, लेकिन मिट्टी की खेती में बड़ी चुनौतियां थी. क्योंकि सब्जियों को उगाने में कीटनाशक दवाइयों का अधिक प्रयोग होने लगा जिससे कैंसर जैसी खतरनाक बीमारियां ने जन्म लिया. उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है कि हमे अलग से खेती करने का रास्ता चुनना पड़ेगा और नई तकनीक को अपनाना होगा.
गुंजन भाटीया ने बताया कि हाइड्रोपोनिक खेती करने के लिए पोली हाउस सेटअप के साथ ग्रोइंग चेंबर व आईओटी तंत्र, जिसमें सेंसर ,कंट्रोल व मास्टर का सबसे अधिक प्रयोग होता है.
गुंजन ने जानकारी दी कि सेंसर हर 10 मिनट में पोली हाउस की नमी को चेक करने के बाद मास्टर जिसमें डाटा फिक्स होता है उसको भेजता है. उन्होंने बताया कि डाटा में जाने के बाद इस बात की जानकारी मिलती है कि पौधे को कितनी नमी व टेंपरेचर की आवश्यकता है. जिसके बाद कंट्रोलर ऑटोमेटिक अपने आप ही कंट्रोल कर देता है.
उन्होंने बताया कि टेंपरेचर, पर्यावरण की मात्रा व न्यूट्रिशन कितना व कब चाहिए यह सब कंट्रोलर द्वारा तय किया जाता है. उन्होंने बताया कि इस खेती से पौधा अधिक स्वास्थ्यवर्धक व 6 महीने तक सब्जी उगा सकते है. जबकि मिट्टी से खेती वाले पौधे कम लाभकारी होते है. गुंजन ने जानकारी दी कि एक पॉलीहाउस में 14000 किलो टमाटर की होता है. उन्होंने बताया कि अलग-अलग तरह के पॉलीहाउस को तैयार करने में लगभग 20 लाख से 1 करोड़ रुपये तक कि राशि खर्च होती है. उन्होंने कहा कि 5 एकड़ में ऐसे 5 पॉलीहाउस में आधुनिक खेती कर रहे है. गुंजन ने बताया कि केंद्र सरकार ने पॉलीहाउस के लिए 50% की सब्सिडी व हरियाणा सरकार 65% सब्सिडी देती है. जिसके लिए एनएचबीएच में अप्लाई कर दिया गया है. गुंजन ने कहा कि 100 महिलाएं मेरे साथ काम कर रही हैं उन सब को नई तकनीक की खेती के साथ ट्रेनिंग भी दी जा रही है ताकि महिलाएं स्वावलंबी व आत्मनिर्भर बन सके.
Input: राकेश भयनाया