अथॉरिटी से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक ट्विन टावर को गिराने में इन चार बुजुर्गों की थी अहम भूमिका
Advertisement
trendingNow0/india/delhi-ncr-haryana/delhiharyana1324831

अथॉरिटी से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक ट्विन टावर को गिराने में इन चार बुजुर्गों की थी अहम भूमिका

नोएडा सेक्टर 93ए में सुपरटेक के Twin Tower को रविवार दोपहर 2 बजकर 30 मिनट पर गिरा दिया गया. ट्विन टावर को गिराने में 4 बुजुर्गों ने अदालत में सुपरटेक के खिलाफ लड़ाई लड़ी. इस दौरान लीगल और दूसरे कामों में करीब 1 करोड़ रुपये खर्च हो गए.

अथॉरिटी से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक ट्विन टावर को गिराने में इन चार बुजुर्गों की थी अहम भूमिका

Noida Twin Tower: 28 अगस्त की दोपहर 2 बजकर 30 मिनट पर सुपरटेक के ट्विन टावर को गिराया गया, इन टावरों को बनाने के लिए सुपरटेक ने 200 करोड़ रुपये खर्च किए थे और 800 करोड़ रुपये की आमदनी की उम्मीद थी. इस इमारत को गिराने के लिए सैकड़ों फ्लैट खरीदारों ने 10 साल तक चंदा इकट्ठा करके कानूनी लड़ाई लड़कर भ्रष्टाचार की बुनियाद पर खड़ी गगनचुंबी इमारत को जमीन पर ला दिया, लेकिन क्या आपको पता है इन टावरों को गिराने में किसकी अहम भूमीका रहा है? आइए जानते हैं उनके बारे में.

ये भी पढ़ें: Noida Twin Tower: भ्रष्टाचार के इस गुबार के लिए ये अफसर जिम्मेदार, ये रही पूरी लिस्ट 

ट्विन टावर को गिराने में 4 बुजुर्गों ने अदालत में सुपरटेक के खिलाफ लड़ाई लड़ी. इन बुजुर्गों में यूबूएस तेवतिया (80), एस के शर्मा (70), रवि बजाज (65) और एमके जैन (60) ने लड़ाई लड़ी. इस भ्रष्ट इमारत को गिराने के लेकर इन बुजुर्गों ने 12 साल तक यह लड़ाई लड़ी, जिसके रविवार को अंजाम दिया गया. भ्रष्टाचार के इस अवैध निर्माण के खिलाफ इस लड़ाई में 1 करोड़ रुपये से ज्यादा खर्च हुए.

बता दें कि सेक्टर 93ए में सुपरटेक को 23 दिसंबर 2004 को एमरॉल्ड कोर्ट के नाम पर प्लॉट आवंटित हुआ. इसमें 14 टावर का नक्शा पास हुआ. इसके बाद 3 बार संसोधन होने के बाद 2 नए टावर की भी मंजूरी दे दी गई. ये दोनों टावर ग्रीन पार्क, चिल्ड्रन पार्क और दो मंजिला कॉमर्शियल कॉम्प्लेक्स की जमीन पर बनाए गए. फ्लैट खरीदारों ने इसके खिलाफ पहली बार मार्च 2010 में आवाज उठाई और लड़ाई इलाहाबाद हाईकोर्ट से सुप्रीम कोर्ट तक पहुंची. दोनों ही अदालतों से टावर को गिराने का आदेश दिया था.

करीब 15 साल पहले सुपरटेक ने एमरॉल्ड कोर्ट प्रॉजेक्ट की शुरुआत की थी. इसमें 3, 4 और 5 बीएचके के फ्लैट हैं. यह सोसायटी नोएडा और ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेसवे के नजदीक है. मौजूदा समय में एक फ्लैट की कीमत 1 से 3 करोड़ रुपये तक है. पहले बिल्डर ने नोएडा अथॉरिटी के सामने जो प्लान दिया था, उसके अनुसार 9 मंजिला 14 टावर बनाए जाने थे. इसके बाद इसमें तीन बार संशोधन किया गया. 2012 में सुपरटेक ने 14 की जगह 15 टावर बनाने का फैसला किया और 9 से बढ़ाकर 14 मंजिल करने का प्लान बनाया. साथ ही 40 मंजिला दो टावर बनाने का भी प्लान बनाया था.

इसके बाद इस केस में हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने बिल्डर को दोषी पाया और फ्लैट खरीदारों के हक में फैसला दिया. ट्विन टावर के निर्माण में बिल्डर ने नेशनल बिल्डिंग कोड के नियमों का उल्लंघन किया. सुपरटेक एमरॉल्ड कोर्ट में जब लोगों ने फ्लैट खरीदा तो ट्विन टावर के स्थान पर ग्रीन एरिया का वादा किया था. इसके बाद सुविधाओं को देखते हुए खरीदारों ने एमरॉल्ड कोर्ट प्रॉजेक्ट में फ्लैट बुक करा दिए, लेकिन बाद में बिल्डर ने नोएडा प्राधिकरण के अधिकारियों से साठगांठ करके यहां ट्विन टावर खड़े कर दिए. नियमों के अनुसार टावर के बीच की दूरी 16 मीटर होनी चाहिए, लेकिन यहां पर सिर्फ 9 मीटर दूरी रखी गई. यहां ट्विन टावर का निर्माण शुरू होने पर खरीदारों को धोखे का अहसास हुआ. इसके बाद उन्होंने कोर्ट का रुख किया.

Trending news