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NCERT Books: देश में जी-2- समिट के दौरान इंडिया का नाम भारत करने पर खूब चर्चा की गई. जी-20 के निमंत्रण में भी इंडिया की जगह भारत लिखा गया. वहीं इसी कड़ी में आज एनसीआरटी की किताबों में भी इंडिया का नाम बदलकर भारत करने की सिफारिश खुद एनसीआरटी की तरफ से दी गई है.
स्कूल किताबाों में नाम बदलने के लिए राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (NCERT) की गठित सामाजिक विज्ञान की एक उच्च स्तरीय समिति ने सिफारिश की है. उन्होने कहा कि सभी कक्षाओं के लिए में 'INDIA' को 'BHARAT' से बदल दिया जाना चाहिए. समिति के अध्यक्ष सीआई इसाक को पैनल ने किताबों में इंडिया की जगह पर भारत नाम देने, सिलेबस में 'प्राचीन इतिहास' के स्थान पर 'शास्त्रीय इतिहास' को शामिल करने और साथ ही सभी विषयों के लिए भारतीय ज्ञान प्रणाली (IKS-Indian Knowledge System) को शामिल करने का सुझाव दिया है.
हालांकि NCERTके अधिकारियों ने कहा कि पैनल की सिफारिशों पर अभी तक कोई निर्णय नहीं लिया गया है. समिति के अध्यक्ष सीआई इसाक का कहना है कि समिति ने सर्वसम्मति से सिफारिश की है कि सभी कक्षाओं के छात्रों के लिए पाठ्यपुस्तकों में 'भारत' नाम का इस्तेमाल किया जाना चाहिए. कहा कि किताबों में 'प्राचीन इतिहास' के बजाय 'शास्त्रीय इतिहास' को शामिल करने की भी सिफारिश की है.
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उन्होंने कहा कि समिति ने एनसीआरटी कि किताबों में विभिन्न लड़ाइयों में हिंदू जीत को उजागर करने की भी सिफारिश की है. इसहाक जो भारतीय ऐतिहासिक अनुसंधान परिषद (ICHR) के सदस्य भी हैं. उनरा कहना है कि वर्तमान में किताबों में हमारी विफलताओं का उल्लेख है, लेकिन मुगलों और सुल्तानों पर हमारी जीत का उल्लेख नहीं है.
एनसीईआरटी राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP- National Education Policy 2020) के अनुरूप स्कूली किताबों में सिलेबस में बदलाव किया जा कर रहा है. परिषद ने हाल ही में सिलेबस, किताबों और शिक्षण सामग्री को अंतिम रूप देने के लिए 19 सदस्यीय राष्ट्रीय पाठ्यक्रम और शिक्षण शिक्षण सामग्री समिति (NSTC) का गठन किया है.
समिति के अध्यक्ष ने कहा कि समिति ने सभी विषयों के पाठ्यक्रम में भारतीय ज्ञान प्रणाली (IKS) को शामिल करने की भी सिफारिश की है. समिति के अन्य सदस्यों में आईसीएचआर के अध्यक्ष रघुवेंद्र तंवर, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) की प्रोफेसर वंदना मिश्रा, डेक्कन कॉलेज डीम्ड विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति वसंत शिंदे और हरियाणा के एक सरकारी स्कूल में समाजशास्त्र पढ़ाने वाली ममता यादव शामिल रहीं.