Delhi Election 2025: दिल्ली में कांग्रेस की भूमिका अहम है. अगर कांग्रेस अपने पुराने वोटबैंक को वापस हासिल कर लेती है, तो बीजेपी के लिए चुनाव जीतना और कठिन हो जाएगा.
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Delhi Election 2025: दिल्ली विधानसभा चुनाव में बीजेपी पूरे दमखम से उतरी है. मोदी से लेकर योगी तक सारे स्टार प्रचारक दिल्ली की गलियों में चुनाव प्रचार के लिए उतर चुके हैं. लेकिन बीजेपी के लिए दिल्ली जीतना आसान नहीं है. भगवा पार्टी को जीत चाहिए तो कांग्रेस से बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद करनी पड़ेगी. बता दें कि दिल्ली में बीजेपी को तभी जीत मिलती है, जब कोई तीसरी पार्टी मजबूती से चुनाव लड़ती है. 1993 में जनता दल की मेहरबानी से बीजेपी की सरकार बनी थी. जनता दल ने उस वक्त बड़ी मजबूती से चुनाव लड़ा था और करीब 13 फीसदी वोट हासिल किए थे. यही बीजेपी की जीत की बड़ी वजह थी. अगर कांग्रेस को इस बार भी 12 फीसदी से कम वोट मिले तो बीजेपी के लिए दिल्ली जीतने का सपना सिर्फ सपना रह जाएगा.
दिल्ली की राजनीतिक तस्वीर
दिल्ली का चुनावी इतिहास बताता है कि यहां की राजनीति परंपरागत तौर पर त्रिकोणीय रही है. एक तरफ आम आदमी पार्टी (आप) ने अपनी पकड़ मजबूत की है, वहीं कांग्रेस अब भी अपनी खोई जमीन तलाशने की कोशिश कर रही है. दूसरी ओर, बीजेपी के लिए यहां सत्ता हासिल करना बीते तीन दशकों से एक सपना ही रहा है. 2015 और 2020 के विधानसभा चुनावों में आम आदमी पार्टी ने प्रचंड बहुमत से जीत दर्ज की. अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में 'आप' ने शिक्षा, स्वास्थ्य और बिजली जैसे मुद्दों पर ध्यान केंद्रित कर जनता का भरोसा जीता. इस दौरान बीजेपी ने कई बार अपनी रणनीतियां बदलीं, लेकिन परिणाम उम्मीद के मुताबिक नहीं रहे.
वोट प्रतिशत और रणनीतिक बाधाएं
दिल्ली में बीजेपी के लिए सबसे बड़ी चुनौती वोट प्रतिशत का है. आंकड़े बताते हैं कि बीजेपी तब ही जीत दर्ज कर पाती है, जब कोई तीसरी पार्टी चुनाव में मजबूती से उतरती है. 1993 का उदाहरण लिया जाए, तो उस वक्त जनता दल ने लगभग 13% वोट हासिल किए थे. इसका सीधा फायदा बीजेपी को हुआ और उसने सत्ता में जगह बनाई. लेकिन वर्तमान परिदृश्य में ऐसा कोई राजनीतिक दल नहीं दिखता जो कांग्रेस और आम आदमी पार्टी दोनों के वोटबैंक को काट सके. कांग्रेस पिछले चुनावों में बेहद खराब प्रदर्शन कर चुकी है. अगर इस बार भी कांग्रेस का वोट शेयर 12% से नीचे रहता है, तो बीजेपी को नुकसान हो सकता है.
आप की मजबूती और बीजेपी की रणनीति
आम आदमी पार्टी की पकड़ शहरी इलाकों और गरीब वर्ग में मजबूत है. 'मुफ्त बिजली', 'मुफ्त पानी' और मोहल्ला क्लीनिक जैसे मुद्दों ने 'आप' को एक भरोसेमंद विकल्प बना दिया है. बीजेपी को इन मुद्दों का तोड़ निकालने की जरूरत है. साथ ही, बीजेपी को शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे लोकल मुद्दों पर ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है. इसके अलावा, बीजेपी को अपनी जमीनी कार्यशैली में बदलाव लाने की जरूरत है. चुनाव प्रचार में बड़े चेहरे और भारी भीड़ जुटाना पर्याप्त नहीं है. दिल्ली की जनता मुद्दों और योजनाओं पर ज्यादा ध्यान देती है.
कांग्रेस की भूमिका
दिल्ली में कांग्रेस की भूमिका को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता. अगर कांग्रेस अपने पुराने वोटबैंक को वापस पाने में सफल होती है, तो बीजेपी के लिए राह और मुश्किल हो जाएगी. हालांकि, अगर कांग्रेस कमजोर पड़ती है और उसका वोटबैंक सीधे 'आप' की तरफ जाता है, तो यह बीजेपी के लिए घातक साबित हो सकता है.
बीजेपी के लिए जीत की राह
बीजेपी को जीत के लिए एक सशक्त रणनीति तैयार करनी होगी. इसमें मुख्यत: तीन पहलुओं पर ध्यान देना जरूरी है.
स्थानीय मुद्दों को प्राथमिकता: जनता के दिलों में जगह बनाने के लिए बिजली, पानी, स्वास्थ्य और रोजगार जैसे मुद्दों पर काम करना होगा.
युवाओं और मध्यम वर्ग पर फोकस: दिल्ली का युवा वर्ग और मध्यम वर्ग बीजेपी के लिए निर्णायक हो सकता है. इनके लिए रोजगार और इंफ्रास्ट्रक्चर जैसे मुद्दे प्रभावी साबित हो सकते हैं.
वोट प्रतिशत बढ़ाना: कांग्रेस के कमजोर प्रदर्शन का फायदा उठाने के साथ-साथ 'आप' के वोटबैंक में सेंध लगाने की रणनीति अपनानी होगी.
नतीजे क्या हो सकते हैं?
दिल्ली के चुनावों में जाति, धर्म और क्षेत्रीय समीकरणों का खासा प्रभाव नहीं है. यहां की राजनीति पूरी तरह से मुद्दों और पार्टी की छवि पर निर्भर करती है. ऐसे में बीजेपी को अपने चुनाव प्रचार में आम आदमी पार्टी के मुद्दों का बेहतर विकल्प पेश करना होगा. दिल्ली की राजनीति को देखते हुए यह कहा जा सकता है कि बीजेपी के लिए यह चुनाव आसान नहीं होगा. लेकिन अगर पार्टी सही रणनीति अपनाती है और कांग्रेस के वोटबैंक को अपनी तरफ मोड़ने में सफल होती है, तो जीत का सपना साकार हो सकता है.
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