Delhi Election 2025: बाबरपुर में हर तीसरे चुनाव में बदलाव की परंपरा, क्या AAP इस बार इतिहास बदल पाएगी?
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Delhi Election 2025: बाबरपुर में हर तीसरे चुनाव में बदलाव की परंपरा, क्या AAP इस बार इतिहास बदल पाएगी?

Babarpur Assembly Constituency of Delhi: बाबरपुर सीट पर जातीय और धार्मिक समीकरण हमेशा अहम भूमिका निभाते हैं. यहां 57% मतदाता गैर-मुस्लिम हैं, जिनमें ब्राह्मण समुदाय की बड़ी संख्या है.

Delhi Election 2025: बाबरपुर में हर तीसरे चुनाव में बदलाव की परंपरा, क्या AAP इस बार इतिहास बदल पाएगी?

Delhi Babarpur Assembly Election 2025 : दिल्ली के बाबरपुर विधानसभा क्षेत्र का इतिहास हमेशा से चुनावी रणनीतिकारों के लिए चुनौतीपूर्ण रहा है. इस सीट पर हर तीसरे चुनाव में जनता ने सत्ता परिवर्तन किया है. 2025 के विधानसभा चुनावों में एक बार फिर यह सीट त्रिकोणीय मुकाबले का केंद्र बन गई है. जहां आम आदमी पार्टी (AAP) के गोपाल राय तीसरी बार जीतने की कोशिश कर रहे हैं, वहीं भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने नरेश गौड़ की जगह ब्राह्मण चेहरे अनिल वशिष्ठ को मैदान में उतारा है. इस बीच कांग्रेस ने इशराक खान पर भरोसा जताया है, जो पहले आप के विधायक रह चुके हैं.

क्या AAP इतिहास बदल पाएगी?
बाबरपुर में आम आदमी पार्टी के लिए इस बार चुनौती दोहरी है. गोपाल राय जो पिछले दो चुनावों (2015 और 2020) में इस सीट पर जीत हासिल कर चुके हैं, तीसरी बार जनता का विश्वास जीतने की कोशिश में जुटे हुए हैं. लेकिन बाबरपुर का इतिहास बताता है कि यहां की जनता हर तीसरे चुनाव में बदलाव का मन बनाती है. बीजेपी के नरेश गौड़ जो इस सीट से 1993, 1998, 2008 और 2013 में जीत चुके हैं, पिछली दो बार गोपाल राय से हार गए. इस बार बीजेपी ने नया चेहरा पेश करते हुए अनिल वशिष्ठ को उम्मीदवार बनाया है.

ब्राह्मण और मुस्लिम वोटरों का समीकरण
बाबरपुर सीट पर जातीय और धार्मिक समीकरण हमेशा से महत्वपूर्ण रहे हैं. यहां 57% मतदाता गैर-मुस्लिम हैं, जिनमें बड़ी संख्या ब्राह्मण समुदाय की है. बीजेपी ने इसी समीकरण को ध्यान में रखते हुए अनिल वशिष्ठ को उम्मीदवार बनाया है. दूसरी ओर 43% मुस्लिम मतदाता कांग्रेस और आप के बीच निर्णायक भूमिका निभा सकते हैं. कांग्रेस ने मुस्लिम वोट बैंक को साधने के लिए इशराक खान को मैदान में उतारा है, जो आप छोड़कर कांग्रेस में शामिल हुए हैं.

स्थानीय मुद्दे और जनता की नाराजगी
बाबरपुर में टूटी सड़कों, जलभराव और सफाई की समस्या जनता के लिए बड़ा मुद्दा बनी हुई है. स्थानीय लोगों का कहना है कि क्षेत्र में नालों की सफाई लंबे समय से नहीं हुई है. बारिश के दौरान जलभराव और गंदगी जनता को परेशान करती है. टूटी सड़कें और खराब स्ट्रीट लाइटें आवागमन में बाधा उत्पन्न करती हैं. इन बुनियादी समस्याओं के कारण मतदाताओं में नाराजगी है, जो चुनाव के नतीजों पर असर डाल सकती है.

216473 मतदाता करेंगे फैसला
इस बार बाबरपुर के 2,16,473 मतदाता तय करेंगे कि इतिहास दोहराया जाएगा या बदला जाएगा. जनता का रुख इस बार त्रिकोणीय संघर्ष को और भी दिलचस्प बना रहा है. क्या AAP अपनी हैट्रिक पूरी कर पाएगी, या जनता बदलाव की ओर बढ़ेगी? यह देखना दिलचस्प होगा.

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