Kalkaji जा रहे हैं तो जरा संभलकर! लाचार पुलिसकर्मियों की मौजूदगी में मंदिर के 'सेवादार' महिलाओं से कर रहे दुर्व्यवहार
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Kalkaji जा रहे हैं तो जरा संभलकर! लाचार पुलिसकर्मियों की मौजूदगी में मंदिर के 'सेवादार' महिलाओं से कर रहे दुर्व्यवहार

Delhi Temple: भक्तों का कहना था कि कालकाजी मेट्रो स्टेशन के नजदीक इस मंदिर जितनी अव्यवस्था उन्होंने किसी मंदिर में नहीं देखी. मंदिर प्रशासन ने न तो जगह-जगह दिशासूचक बोर्ड लगवाए और न ही अलग-अलग गेट के पास कोई ऐसी व्यवस्था की, जहां रास्तों से अनजान श्रद्धालु जूते चप्पल उतार सकें.

Kalkaji जा रहे हैं तो जरा संभलकर! लाचार पुलिसकर्मियों की मौजूदगी में मंदिर के 'सेवादार' महिलाओं से कर रहे दुर्व्यवहार

 

Kalkaji Mandir Delhi: चैत्र नवरात्रि पर दिल्ली के तमाम मंदिरों में सुबह से लेकर शाम तक श्रद्धालुओं का हुजूम उमड़ रहा है. इस भीषण गर्मी में लोग अपने परिवार वालों के साथ माता का आशीर्वाद पाने की लालसा लिए घंटों लाइन में खड़े होकर अपनी बारी का इंतजार करते दिख रहे हैं. अब मैं कहां पीछे रहने वाला था. गुरुवार को मैं भी मन में आस्था की ज्योत जलाए दक्षिणी दिल्ली के कालकाजी मंदिर पहुंच गया. शाम करीब 5.30 बज रहे होंगे कि माता के भवन पहुंचने से पहले ही मैं लंबी लाइन देख ठिठक गया. इसके बाद भवन के बाहर लगी एलईडी स्क्रीन पर ही माता के दर्शन किए. पलटकर जाने की अभी सोच ही रहा था, तभी एक झुंड में आए मंदिर के सेवादारों या यूं कहें मुश्टण्डों ने भक्तों को वहां से खदेड़ना शुरू कर दिया. 

खुद को सेवादार कहने वाले बेलगाम युवक वहां खड़ी महिलाओं से दुर्व्यवहार पर उतारू हो गए. तैश में आए एक छह फीटिए युवक ने वहां फर्श साफ करने के बहाने श्रद्धालुओं के ऊपर ही पानी उड़ेल दिया. बच्चे-महिलाओं समेत कुछ भक्तों के कपड़े पानी में तरबतर हो गए. दरअसल माता के दर्शन के लिए दिल्ली के अलग-अलग हिस्सों से आए भक्तों ने मंदिर में घुसने से पहले एक गेट के पास अपने जूते-चप्पल उतार दिए थे. स्थानीय रास्तों से अनजान भक्त जिस तरफ से आए थे, वे उसी रास्ते से वापस जाना चाह रहे थे, लेकिन खुद को मंदिर का सेवादार बताने वाले युवक श्रद्धालुओं से तू तड़ाक पर उतर आए. 

पुलिस के सामने ही युवकों ने की तू तड़ाक 
भक्तों का कहना था कि कालकाजी मेट्रो स्टेशन के नजदीक इस मंदिर जितनी अव्यवस्था उन्होंने किसी मंदिर में नहीं देखी. उनकी नाराजगी इसलिए भी थी, क्योंकि लाइन में काफी  जद्दोजहद के बाद वो कपाट तक पहुंचे थे, लेकिन फिर भी दर्शन नहीं कर पाए. मंदिर में वीआईपी दर्शन तो कराए जा रहे थे, लेकिन बाकी भक्तों को रात 9 बजे तक कपाट खुलने का इंतजार करने को कहा गया. हद तो तब हो गई, जब महिलाओं ने वहां मौजूद पुलिसकर्मी से सेवादारों के व्यवहार की शिकायत की तो उन्होंने शिकायतकर्ताओं को बातों को हवा में उड़ाकर उन्हें वहां से जाने को कह दिया. शांति, सेवा और न्याय स्लोगन वाली दिल्ली पुलिस लाचार सी नजर आई, क्योंकि उनके सामने ही सेवादार ने महिला से बदतमीजी की. जब पुलिस ने कुछ नहीं किया तो मजबूरन श्रद्धालुओं को अपने मान सम्मान के लिए उनसे बहस करनी पड़ी. 

भक्तों के लिए पर्याप्त सुविधाओं का अभाव 
भक्तों का कहना था कि कई रास्ते होने की वजह से कन्फ्यूजन हुआ. मंदिर प्रशासन ने न तो जगह-जगह दिशासूचक बोर्ड लगवाए और न ही अलग-अलग गेट के पास कोई ऐसी व्यवस्था की, जहां रास्तों से अनजान श्रद्धालु जूते चप्पल उतार सकें. ऐसे में उन्होंने जिस तरफ से मंदिर में प्रवेश किया, उसी तरफ एक साइड में अपने जूते चप्पल उतार दिए. कुछ भक्तों का कहना था कि मंदिर में दर्शन की टाइमिंग के बारे में जानकरी मंदिर जाने वाले रास्तों पर ही जगह-जगह देनी चाहिए, ताकि छोटे-छोटे बच्चों और बुजुर्गों के साथ आए लोग मंदिर की लाइनों में घंटों तक न फंसें, क्योंकि मंदिर प्रशासन जगह-जगह गेट पर ताले डाल रखे थे. ऐसे में अगर कोई दर्शन किए बिना लौटना भी चाह रहा था तो इस भीषण गर्मी में वो बंधक बनकर रह जा रहे थे. 

भीड़ में जान जोखिम में डालने की कोशिश कतई न करें 
सवाल ये है कि मां के मंदिर में खुद को सेवादार बताने वाले लोगों को किसी की मां-बहन से दुर्व्यवहार करने की छूट किसने दी. इनकी मनमर्जी पर कोई लगाम क्यों नहीं लगाता? श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए पुलिस मौजूद तो है पर सिर्फ मौजूद ही है, असली ड्यूटी करती कब दिखाई देगी. कुछ भक्तों ने सेवादारों की शिकायत वरिष्ठ अधिकारियों से करने की बात कही. मतलब साफ है कि भक्त और भगवान के बीच सेवादार का लेबल चिपकाए कुछ मुश्टण्डे तैनात हैं जो मंदिर के प्रांगण में पाप पुण्य से मुक्त होकर आपकी मां-बहन की बेइज्जती करने के लिए तत्पर हैं. तो लाख टके की एक बात कि ईश्वर हर जगह है. भक्तों पर माता का आशीर्वाद किसी सीमा विशेष में ही नहीं बरसता. कोशिश करें कि आप घर में ही या आसपास के मंदिरों में ही जाकर मत्था टेकें. इस भीषण गर्मी में बच्चों, महिलाओं और बुजुर्गों को भीड़ में फंसाकर दर्शन की जद्दोजहद न करें, क्योंकि अव्यवस्था कभी भी भगदड़ में तब्दील हो सकती है. जान जोखिम में डालने से बचें. 

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