पूर्व भाजपा प्रवक्ता नूपुर शर्मा की पैगंबर मुहम्मद के बारे में कथित अपमानजनक टिप्पणी से पैदा हुए विवाद के बाद कट्टरपंथी इस्लामवादियों से भाजपा नेता और उनके समर्थकों को हिंसा और मौत की धमकियों का दौर जारी है. इस दौरान आईएएनएस-सीवोटर इंडिया ट्रैकर ने सर्वे कराकर लोगों की राय जानी.
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नई दिल्ली: पूर्व भाजपा (BJP) प्रवक्ता नूपुर शर्मा के बयान के बाद से कट्टरपंथी इस्लामवादियों से भाजपा नेताओं और उनके समर्थकों को लगातार धमकियां दी जा रही हैं. हाल ही में सलमान चिश्ती जो कि अजमेर दरगाह का खादिम है, उसने नूपुर शर्मा को धमकी देते हुए कहा है कि जो भी नूपुर शर्मा का सिर काटने वाले को अपना घर उपहार में दूंगा. सलमान चिश्ती की ओर से यह धमकी कन्हैया लाल और उमेश प्रह्लाद राव कोल्हे की उदयपुर और अमरावती में नृशंस हत्याओं के बाद आई है.
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आईएएनएस-सीवोटर इंडिया ट्रैकर ने लोगों की राय जानने के लिए आईएएनएस की ओर से एक राष्ट्रव्यापी सर्वेक्षण किया. इसमें उन्होंने लोगों से पूछा कि क्या नूपुर शर्मा की गिरफ्तारी से भाजपा नेता और उनके समर्थकों को कट्टरपंथी मुसलमानों से मिल रही हिंसा और धमकियों पर रोक लगेगी. सर्वेक्षण के दौरान, उत्तरदाता इस मुद्दे पर अपने विचारों में गहराई से विभाजित दिखे. सर्वेक्षण के आंकड़ों के मुताबिक, जहां 49 फीसदी उत्तरदाताओं का मानना है कि भाजपा नेता की गिरफ्तारी से हिंसा और धमकियां खत्म हो जाएंगी, वहीं 51 फीसदी इससे असहमत हैं.
इस मुद्दे पर एनडीए और विपक्षी मतदाताओं के विचारों में राजनीतिक ध्रुवीकरण स्पष्ट था. सर्वे के दौरान जहां 62 फीसदी विपक्षी समर्थकों ने कहा कि नूपुर शर्मा को जेल में डालने से हिंसा और धमकियां खत्म हो जाएंगी. वहीं एनडीए के 65 फीसदी मतदाताओं ने कहा कि नूपुर शर्मा की गिरफ्तारी से कोई फर्क नहीं पड़ेगा. सर्वे के दौरान इस मुद्दे पर विभिन्न सामाजिक समूहों के विचार बंटे हुए थे.
सर्वेक्षण के आंकड़ों के अनुसार अधिकांश उच्च जाति हिंदुओं (UCH)-75 % और अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC)- 60 % ने कहा कि नूपुर शर्मा को हिरासत में लेने से हिंसा और धमकियां समाप्त नहीं होंगी. अधिकांश मुस्लिम- 81 फीसदी ने पूरी तरह से अलग विचार व्यक्त किए. वहीं, इस मुद्दे पर अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) की राय बंटी हुई थी. सर्वेक्षण के दौरान जहां 52 प्रतिशत एससी उत्तरदाताओं ने कहा कि नूपुर शर्मा की गिरफ्तारी से हिंसा और धमकी बंद हो जाएगी, वहीं 52 प्रतिशत एसटी उत्तरदाताओं ने अपनी भावना साझा नहीं की.
विशेष रूप से सर्वेक्षण के दौरान अधिकांश भारतीयों- 81 प्रतिशत ने कहा कि धर्म के नाम पर धमकी देने वालों को सलाखों के पीछे डाल दिया जाना चाहिए. दिलचस्प बात यह है कि इस मुद्दे पर एनडीए के मतदाताओं और विपक्षी समर्थकों के विचारों में एकमत थी. सर्वे के आंकड़ों के मुताबिक, एनडीए के 80 फीसदी वोटर और 82 फीसदी विपक्षी समर्थकों का मानना है कि धर्म के नाम पर धमकियां देने वालों को गिरफ्तार किया जाना चाहिए. इसी तरह विभिन्न सामाजिक समूहों के अधिकांश उत्तरदाताओं ने धर्म के नाम पर धमकी देने वालों की गिरफ्तारी की मांग की. सर्वेक्षण के दौरान 80 फीसदी यूसीएच, 81 फीसदी ओबीसी, 83 फीसदी मुस्लिम, 79 फीसदी एससी और 79 फीसदी एसटी उत्तरदाताओं ने जोर देकर कहा कि आतंक और हिंसा फैलाने के लिए धर्म का इस्तेमाल करने वालों को गिरफ्तार किया जाना चाहिए.
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