पानीपत में रैन बसेरे छीन रहे बेसहारा लोगों का चैन, ज़ी मीडिया के रियलिटी चेक में खुलासा
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पानीपत में रैन बसेरे छीन रहे बेसहारा लोगों का चैन, ज़ी मीडिया के रियलिटी चेक में खुलासा

सरकार के दिशा-निर्देशों के बाद हर साल प्रशासन रैम बसेरों की व्यवस्था करता है. वहीं व्यवस्था के नाम पर प्रसाशन रैन बसेरों की अनदेखी करता है, जिसके कारण बेसहारा और राहगीर परेशानी उठाते हैं. 

पानीपत में रैन बसेरे छीन रहे बेसहारा लोगों का चैन, ज़ी मीडिया के रियलिटी चेक में खुलासा

राकेश भयाना/पानीपत: सर्दी के आते ही निगम व प्रशासन द्वारा हाईवे पर सोने वाले राहगीरों, बेसहारा लोगों के लिए रैन बसेरों को दुरुस्त किया जाता है. रैन बसेरों में पानी पीने और टॉयलेट की व्यवस्था का खासतौर पर ध्यान दिया जाता है. 

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ज़ी मीडिया की टीम ने पानीपत के रैन बसेरों का रियलिटी चेक करने के लिए रात 11 बजे और सुबह 7 बजे हाईवे पर पहुंची तो तस्वीरें कुछ और बयान कर रही थी. पानीपत के सीनियर डिप्टी मेयर दुष्यंत भट्ट ने फोन पर बताया कि पानीपत में तीन रेन बसेरे हैं. 

पहला रैन बसेरा निगम कार्यालय के पास लाल बत्ती चौक बस स्टैंड से महज कुछ ही मीटर की दूरी पर है. जहां पर गद्दे व हल्के कंबल की व्यवस्था तो की गई थी, लेकिन पीने के पानी की व्यवस्था नहीं थी तो दूसरी तरफ शौचालय पर ताले लगे हुए थे. मौके पर मौजूद निगम के कर्मचारी ने बताया कि गद्दे और कंबल तो हैं, लेकिन पीने के पानी की व्यवस्था नहीं है.

दूसरा रेन बसेरा लघु सचिवालय के सामने है, जहां ताला लगा हुआ था, लेकिन अंदर गड्ढे व हल्के कंबल रखे थे. यदि हम वहां शौचालय की बात करें शौचालय के बदहाली की तस्वीरें साफ नजर आ रही थी. बदबू व गंदगी का आलम यह था कि चंद सेकंड भी वहां खड़े रहना बीमारी को न्योता देना था. यहां भी पीने के पानी की व्यवस्था नहीं थी.

वार्ड 11 में दुष्यंत भट्ट ने रैन बसेरे के बारे में बताया तो वहां पहुंचने पर मामला अलग ही निकला. वह जगह तो रैन बसेरे के नाम से है, लेकिन उसे ओल्ड ऐज होम का नाम देकर रोटरी पानीपत संस्था को के सौंप दिया गया है. वहां रहिगिरों और बेसहारा को नहीं ठहराया नही जाता है. केवल बुजुर्ग लोग पिछले कई साल से रह रहे हैं.

मौजूदा पार्षद कोमल सैनी के ससुर व पूर्व पार्षद राजकुमार सैनी ने बताया कि ओल्ड एज होम के नाम से रेन बसेरा बुजुर्ग लोगों के रहने के लिए है. खाने पीने की व्यवस्था अच्छी है. वहीं उन्होंने बताया कि निगम के सरकारी कागजों में यह रेन बसेरा है, लेकिन इसे ओल्ड एज होम बना दिया गया है.

वहीं जब रात को हाईवे पर सो रहे राहगीरों से बातचीत हुई तो उन्होंने बताया कि जब भी हम रैन बसेरे में रहने जाते हैं तो हमें वहां से भगा दिया जाता है. आप सोचिये हद तो तब हो गई जब एक राहगीर की बेटी भी उसके साथ हाईवे पर रजाई में सोई हुई थी. बहरहाल रेन बसेरे की व्यवस्थाओं के नाम पर गड्ढे और कंबल तो है, लेकिन पीने के पानी व शौचालय की व्यवस्था की तस्वीरे निगम की तैयारी की पोल खोल रही थी.

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