Haryana में अब सिंगल फादर भी ले सकेंगे 730 दिन की Child Care Leave, नोटिफिकेशन जारी
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Haryana में अब सिंगल फादर भी ले सकेंगे 730 दिन की Child Care Leave, नोटिफिकेशन जारी

Single father child care leave: दिसबंर 2022 में हरियाणा कैबिनेट मीटिंग में सिंगल फादर सरकारी कर्मचारी को भी 2 साल की चाइल्ड केयर लीव (child care leave) देने के संशोधन को मंजूरी दी गई थी, जिसके बाद अब इसका नोटिफिकेशन भी जारी कर दिया गया है. 

Haryana में अब सिंगल फादर भी ले सकेंगे 730 दिन की Child Care Leave, नोटिफिकेशन जारी

Single father child care leave: कैबिनेट मीटिंग में साल 2022 में हरियाणा सरकार ने सिंगल फादर (Single Father) के लिए एक अहम फैसला सुनाया था, जिसके अनुसार सिंगल फादर सरकारी कर्मचारी को भी 2 साल की चाइल्ड केयर लीव (child care leave) लेने की अनुमति होगी. सरकार के इस फैसले के बाद अब वित्त विभाग द्वारा इसका नोटिफिकेशन भी जारी कर दिया गया है. 

हरियाणा सिविल सेवा (अवकाश) नियम, 2016 में किया गया संशोधन
हरियाणा सिविल सेवा (अवकाश) नियम, 2016 में किए गए संशोधन के अनुसार, सिंदल फादर सरकारी कर्मचारी (अविवाहित, विधुर या तलाकशुदा) भी केवल 18 साल की उम्र तक के अपने दो सबसे बड़े बच्चों की देखभाल के लिए अपनी पूरी सर्विस लाइफ के दौरान अधिकतम 2 साल (यानी 730 दिन) की अवधि के लिए चाइल्ड केयर लीव का फायदा उठा सकते हैं. दिव्यांग बच्चों की देखभाल के मामले में आयु की सीमा निर्धारित नहीं होगी. साथ ही बदलाव के बाद इस नियम को हरियाणा सिविल सेवा (अवकाश) संशोधन नियम, 2022 कहा जाएगा.

23 फरवरी 2023 से लाभ ले सकेंगे कर्मचारी
हरियाणा के वित्त विभाग के अतिरिक्त सचिव अनुराग रस्तोगी द्वारा जारी किए गए नोटिफिकेशन के अनुसार ये संशोधन 23 फरवरी 2023 से लागू हो गया है और पात्र कर्मचारी इसका लाभ ले सकते हैं. 

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पहले केवल महिला कर्मचारियों को मिलती थी सुविधा 
इससे पहले केवल महिला सरकारी कर्मचारियों को 18 वर्ष की आयु तक के अपने दो बड़े बच्चों की देखभाल लिए पूरी नौकरी के दौरान अधिकतम दो साल (यानी 730 दिन) के लिए चाइल्ड केयर लीव दी जाती थी, जबकि केन्द्र सरकार द्वारा महिला और पुरुष दोनों को ये सुविधा दी जा रही थी. 

दिव्यांग बच्चों के लिए हैं ये नियम
दिव्यांग बच्चों की देखभाल के मामले में आयु की सीमा निर्धारित नहीं होगी, लेकिन यह केवल तब होगा जब सक्षम स्वास्थ्य अधिकारी की तरफ से जारी प्रमाण पत्र के अनुसार बच्चे में 40 प्रतिशत से अधिक अशक्तता होगी. साथ ही वह पूरी तरह से महिला या एकल पुरुष सरकारी कर्मचारी पर निर्भर होगा.

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