Haryana Election 2024: हरियाणा चुनाव में समाजवादी पार्टी की 'कुर्बानी' के मायने क्या?
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Haryana Election 2024: हरियाणा चुनाव में समाजवादी पार्टी की 'कुर्बानी' के मायने क्या?

Haryana Election 2024: हरियाणा विधानसभा चुनाव को लेकर सामाजवादी पार्टी और कांग्रेस के बीच गठबंधन के खूब चर्चे थे, लेकिन अंतिम समय तक सीटें नहीं मिलने के कारण एक भी उम्मीदवार नहीं उतार पाई. ऐसे में ये सवाल उठता है कि क्या समाजवादी पार्टी गठबंधन के लिए अपने सीटों की कुर्बानी दी है.

Haryana Election 2024: हरियाणा चुनाव में समाजवादी पार्टी की 'कुर्बानी' के मायने क्या?

Haryana News: हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए गुरुवार को पर्चा भरने का अंतिम दिन था. ऐसे में तमाम मान-मनौव्वल के बाद भी आम आदमी पार्टी तो समझ गई थी कि अब कांग्रेस उनकी पार्टी के साथ गठबंधन में यहां से चुनाव नहीं लड़ेगी. ऐसे में आम आदमी पार्टी ने आनन-फानन में अपने उम्मीदवार मैदान में उतार लिए. लेकिन, सपा तो इसी इंतजार में रही कि शायद कांग्रेस की तरफ से कभी तो इशारा मिलेगा और गठबंधन यहां पूरे दमखम से भाजपा के खिलाफ मैदान में होगा.

समाजवादी पार्टी करती रही इंतजार
हालांकि, कांग्रेस ने अंतिम क्षण तक इस बात पर मुहर नहीं लगाई. शायद सपा मध्य प्रदेश के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस द्वारा सीटें देने का वादा करने और फिर मुकर जाने वाली बात को याद नहीं रख पाई थी. ऐसे में हरियाणा विधानसभा चुनाव में भी समाजवादी पार्टी की झोली खाली रह गई. अंदरखाने की बात यह है कि कांग्रेस ने सपा से दो सीटों का वादा किया था, लेकिन उसे अंत तक एक भी सीट नहीं मिल पाई. सपा को शायद इसकी भनक पहले ही लग चुकी थी. ऐसे में कुछ दिनों पहले सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव कहने लगे थे कि वह भाजपा को हराने के एवज में किसी भी तरह की कुर्बानी देने को तैयार हैं.

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पहले ही समझ गई थी सपा?
अब सबसे बड़ी बात जो राजनीतिक जानकारों के मन में उठ रही है वह यह है कि समाजवादी पार्टी उत्तर प्रदेश में कांग्रेस पार्टी को सम्मानजनक सीटें देती है, वह इंडी गठबंधन के तहत चुनाव लड़ती है. दूसरी तरफ कांग्रेस मध्य प्रदेश और हरियाणा में सपा को सीट देने का वादा तो करती है, लेकिन चुनाव आने पर उससे मुकर क्यों जाती है. जबकि, सपा मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में अच्छा प्रदर्शन कर चुकी है. हालांकि, मध्य प्रदेश में सपा को अपने सिंबल पर अकेले चुनाव लड़ना पड़ा, क्योंकि तब सपा के पास वक्त बचा था. लेकिन, सूत्रों की मानें तो इस बार सपा हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए नामांकन के अंतिम दिन तक इंतजार करती रही, जिसका नुकसान यह हुआ कि सपा एक भी सीट पर अपने उम्मीदवार नहीं उतार पाई. जबकि, आम आदमी पार्टी, कांग्रेस की इस सोच को समझ गई थी और उसने ऐन वक्त पर अपनी पार्टी के उम्मीदवार उतारने का फैसला ले लिया.

कांग्रेस के साथ खड़ी सपा!
राजनीतिक जानकारों की मानें तो ऐसे में सपा अपना दर्द आखिर कैसे बयां करती. ऐसे में वह इस बात को खूब जोरशोर से कहने लगी कि समाजवादी पार्टी न सिर्फ इंडिया गठबंधन के साथ मजबूती से खड़ी है, बल्कि कांग्रेस के साथ भी डटकर खड़ी है. उनका एक और केवल एक लक्ष्य है, भाजपा को हराना. सपा को हरियाणा में सीट मिलती है या नहीं, यह बात कोई मायने नहीं रखती है.

क्या सपा देगी कांग्रेस को टिकट
ऐसे में अब राजनीतिक जानकार इस सवाल को भी उठा रहे हैं कि उत्तर प्रदेश में विधानसभा की 10 सीटों पर उपचुनाव होने हैं. उसके बाद 2027 का विधानसभा चुनाव सामने है. तो क्या सपा कांग्रेस के इन सारे कारनामों को भूलकर बड़ा दिल दिखाते हुए कांग्रेस को उसकी मांगी सीट देगी?

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