नई आबकारी नीति पर घमासान के बीच पीछे हटी 'कट्टर ईमानदार' सरकार, पुरानी व्यवस्था होगी लागू
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नई आबकारी नीति पर घमासान के बीच पीछे हटी 'कट्टर ईमानदार' सरकार, पुरानी व्यवस्था होगी लागू

New Excise Policy : बीजेपी का कहना है कि आबकारी नीति के जरिये केजरीवाल सरकार ने भ्रष्‍टाचार किया. दिल्‍ली में शराब के कई छोटे वेंडर्स दुकानें बंद कर चुके हैं.  कुछ बड़े प्‍लेयर्स अपने यहां स्‍टोर्स पर भारी डिस्‍काउंट और ऑफर दे रहे हैं, इससे उनके लिए बिजनेस कर पाना नामुमकिन हो गया है.

नई आबकारी नीति पर घमासान के बीच पीछे हटी 'कट्टर ईमानदार' सरकार, पुरानी व्यवस्था होगी लागू

नई दिल्ली : नई आबकारी नीति (New Excise Policy) पर मचे घमासान और उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना (Lieutenant Governor Vinay Kumar Saxena) द्वारा सीबीआई जांच की सिफारिश के बाद दिल्ली की कट्टर ईमानदार सरकार बैकफुट पर आ गई है. केजरीवाल सरकार (Kejriwal Government) ने बीते साल लागू हुई New Excise Policy को वापस लेने का फैसला किया है.

6 महीने में नई पॉलिसी 

आबकारी विभाग के अधिकारियों के मुताबिक, डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया (Deputy CM Manish Sisodia) के पास उत्पाद शुल्क विभाग भी है.

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गुरुवार को उन्होंने 1 अगस्त से अगले 6 महीनों के लिए आबकारी नीति की पुरानी व्यवस्था ( old system) को वापस करने का निर्देश दिया. 6 महीने में फिर से नई पॉलिसी लाई जाएगी. 

विपक्ष ने लगाया था भ्रष्टाचार का आरोप 

नई आबकारी नीति दिल्ली को 32 जोन में बांटती है. इसके मुताबिक बाजार में केवल 16 बड़े प्लेयर्स को इजाजत दी जा सकती है. विपक्षी दलों का आरोप है कि यह नीति व्यापार ने एकाधिकार को बढ़ावा देगी.

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बीजेपी का कहना है कि आबकारी नीति के जरिये केजरीवाल सरकार ने भ्रष्‍टाचार किया. दिल्‍ली में शराब के कई छोटे वेंडर्स दुकानें बंद कर चुके हैं.  उनका कहना है कि कुछ बड़े प्‍लेयर्स अपने यहां स्‍टोर्स पर भारी डिस्‍काउंट और ऑफर दे रहे हैं, इससे उनके लिए बिजनेस कर पाना नामुमकिन हो गया है.

वहीं नई पॉलिसी लागू होने के बाद दिल्ली के 32 जोन में कुल 850 में से 650 दुकानें खुल चुकी हैं. दिल्ली सरकार का कहना था कि नई नीति से सरकार के राजस्व में इजाफा होगा. एलजी विनय कुमार सक्सेना ने दिल्ली सरकार की एक्साइज पॉलिसी के मामले में हुई कथित गड़बड़ियों की सीबीआई जांच की सिफारिश की थी. उपराज्यपाल ने जांच में जिस रिपोर्ट को आधार बनाया था, उसमें कहा गया कि शराब विक्रेताओं की लाइसेंस फीस माफ करने से सरकार को 144 करोड़ रुपये के रेवेन्यू का नुकसान हुआ.