Chandigarh News: हरियाणा के पूर्व मंत्री ने भाजपा का साथ छोड़ थामा कांग्रेस का हाथ
Advertisement
trendingNow0/india/delhi-ncr-haryana/delhiharyana1889750

Chandigarh News: हरियाणा के पूर्व मंत्री ने भाजपा का साथ छोड़ थामा कांग्रेस का हाथ

Chandigarh News: हरियाणा के पूर्व मंत्री ने भाजपा का साथ छोड़कर कांग्रेस का हाथ थाम लिया है. जगदीश यादव ने पूर्व मंत्री जगदीश यादव पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हु़ड्‌डा के जरिये कांग्रेस में शामिल हुए.

Chandigarh News: हरियाणा के पूर्व मंत्री ने भाजपा का साथ छोड़ थामा कांग्रेस का हाथ

Chandigarh News: हरियाणा के पूर्व मंत्री जगदीश यादव ने भाजपा का साथ छोड़ कांग्रेस का हाथ थाम लिया है. पूर्व मंत्री जगदीश यादव पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हु़ड्‌डा के जरिये कांग्रेस में शामिल हुए.

बता दें कि जगदीश यादव गुरुग्राम से अपने समर्थकों के साथ पहले राज्यसभा सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा की कोठी पर पहुंचे, उसके बाद उन्होंने पूर्व सीएम भूपेन्द्र सिंह हुड्‌डा और अन्य नेताओं की मौजूदगी में कांग्रेस ज्वाइन की. जगदीश यादव बीजेपी छोड़कर कांग्रेस में शामिल होने से रेवाड़ी जिले की कसोली विधानसभा के राजनीतिक समीकरण बदल सकते हैं. कसोली विधानासभा सीट पर जगदीश यादव की मजबूत पकड़ मानी जाती है.

ये भी पढ़ें: Delhi Crime: आखिरी सांस तक युवक मांगता रहा जान की भीख, पर निर्दयी भीड़ पोल से बांधकर बरसाती रही लाठियां

जगदीश यादव बंसीलाल सरकार में पहली बार 1996 में मंत्री बने थे. इसके बाद वे INLD की कसती में सवार हो गए. इसके बाद वे इनेलो की टिकट पर कांग्रेस उम्मीदवार से चुनाव हार गए. इसके बाद 2014 वे बीजेपी उम्मीदवार से हार गए. इसके बाद उन्होंने 2019 में बीजेपी ज्वाइन कर ली, लेकिन उन्हें 2019 के चुनावों में टिकट नहीं मिल पाई, जिसके बाद भी वे बीजेपी में बने रहे, लेकिन अब काफी समय से उनकी पूर्व सीएम भूपेन्द्र सिंह हुड्‌डा से नजदीकियों की खबरें आ रही थी और उनके कांग्रेस में शामिल होने की खबरें थी. वहीं अब उनके निजी सचिव की तरफ से उनके कांग्रेस में शामिल होने का मैसेज दिया गया है.

पूर्व मंत्री जगदीश यादव कसोली से टिकट की आस में भाजपा में शामिल हुए थे, लेकिन यहां भाजपा ने अपने पुराने पदाधिकारी और राव इन्द्रजीत सिंह की पसंद से लक्ष्मण सिंह यादव को टिकट दिया, जिन्हें जीत भी मिली. टिकट नहीं मिलने के कारण जगदीश यादव चुनाव भी नहीं लड़ पाए और तभी से उनके अलग राह पकड़ने की झलक दिखने लग गई थी.