ACB Action Againt Corruption: अधिकारियों ने प्लॉट ट्रांसफर, कंप्लीशन सर्टिफिकेट जारी करने और भूमि विवाद का फैसला शिकायतकर्ता के पक्ष में करने के एवज में रिश्वत मांगी थी. शिकायत मिलने के बाद Anti Corruption Bureau ने तीन जिलों में कार्रवाई की.
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चंडीगढ़: हरियाणा एंटी करप्शन ब्यूरो की टीम ने रिश्वतखोरी के अलग-अलग मामलों में सहकारिता विभाग के सब-इंस्पेक्टर और हरियाणा राज्य औद्योगिक एवं आधारभूत सरंचना विकास निगम (HSIIDC) के दो अधिकारियों समेत 4 लोगों को गिरफ्तार किया है. चारों की गिरफ्तारी जींद, फरीदाबाद और पलवल में हुई.
एंटी करप्शन ब्यूरो (Anti Corruption Bureau) के प्रवक्ता ने आज बताया कि पहले मामले में एसीबी ने को-ऑपरेटिव हाउस बिल्डिंग सोसायटी में प्लॉट ट्रांसफर करने की एवज में 50,000 रुपये की रिश्वत लेते सहकारिता विभाग जींद के सब इंस्पेक्टर को रंगे हाथों गिरफ्तार किया है.
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नारनौंद निवासी ओमप्रकाश ने एंटी करप्शन ब्यूरो को दी शिकायत में बताया कि उसने को-ऑपरेटिव हाउस बिल्डिंग सोसायटी में प्लाट ट्रांसफर करवाने के लिए सब इंस्पेक्टर प्रदीप कुमार से संपर्क किया. करीब 2 माह तक प्रदीप कुमार चक्कर कटवाता रहा और बाद में आरोपी सब इंस्पेक्टर ने 50,000 रुपये की डिमांड की. शिकायत मिलने के बाद एसीबी ने एक एक टीम बनाई और छापेमारी कर आरोपी सब-इंस्पेक्टर को पकड़ लिया.
कंप्लीशन सर्टिफिकेट जारी करने के नाम पर मांगे 1.50 लाख
एक अन्य मामले में एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) की टीम ने औद्योगिक प्लाट का कंप्लीशन प्रमाणपत्र देने के नाम पर 50,000 रुपये रिश्वत के मामले में एचएसआईआईडीसी, फरीदाबाद के इस्टेट मैनेजर विकास चौधरी और सीनियर मैनेजर मनोज कुमार को गिरफ्तार कर लिया है. आरोप है कि मनोज इस्टेट HSIIDC का अधिकारी ने पूर्णलाल शर्मा से प्लाट का कंप्लीशन प्रमाणपत्र देने के नाम पर 1.50़ लाख रुपये मांगे.
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शिकायतकर्ता 75,000 रुपये पहले दे चुका था, बाकी बचे रुपये के लिए उस पर लगातार दबाव बनाया जा रहा था. शिकायत मिलने के बाद एसीबी ने जाल बिछाकर मनोज कुमार को 50,000 रुपये की रिश्वत लेते रंगे हाथ गिरफ्तार कर लिया.
जमीन के मामले को निपटाने के लिए मांगी रिश्वत
एसीबी की टीम ने गत वर्ष अक्टूबर में दर्ज रिश्वतखोरी के एक मामले में पलवल के तत्कालीन जिला राजस्व अधिकारी (डीआरओ) सुशील शर्मा को गिरफ्तार किया है. आरोपी सुशील शर्मा ने भूमि विवाद का फैसला शिकायतकर्ता के पक्ष में करने के एवज में एक लाख रुपये रिश्वत मांगी थी.