Narendra Modi की Dr Sudha Yadav से की वो चंद मिनटों की बातचीत, जिसने बदल दिया था Election Result
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Narendra Modi की Dr Sudha Yadav से की वो चंद मिनटों की बातचीत, जिसने बदल दिया था Election Result

2024 Loksabha Chunav : दरअसल सुधा यादव के पति बीएसएफ में डिप्टी कमांडेंट थे और कारगिल युद्ध में ही शहीद हुए थे. जब पार्टी ने सुधा यादव के सामने चुनाव लड़ने का प्रस्ताव रखा तो उन्होंने तुरंत मना कर दिया. इसके बाद उन्हें मनाने की जिम्मेदारी हरियाणा के तत्कालीन पार्टी प्रभारी नरेंद्र मोदी को सौंपी गई. 

 

Narendra Modi की Dr Sudha Yadav से की वो चंद मिनटों की बातचीत, जिसने बदल दिया था Election Result

नई दिल्ली : 2024 का लोकसभा  (2024 Loksabha Chunav) चुनाव बड़ा दिलचस्प होने वाला है. इस बार चुनाव में एक ओर जहां सत्तारूढ़ पार्टी बीजेपी (BJP) होगी, वहीं दूसरी ओर देश की राजनीतिक परिदृश्य में तेजी से जगह बना रही आम आदमी पार्टी समेत अन्य विपक्षी पार्टियां होंगी. चुनाव की तैयारियों से पहले बीजेपी ने पार्टी संगठन को मजबूत करना शुरू कर दिया है. इसी क्रम में बीते दिन यानी बुधवार को बीजेपी ने अपने संसदीय बोर्ड और केंद्रीय चुनाव समिति (Parliamentary Board and central election committee) का गठन किया है. इस समिति में एक मात्र महिला सदस्य के रूप में डॉ. सुधा यादव का चुनाव सबसे ज्यादा चर्चा का विषय बना हुआ है. 

यह चर्चा इसलिए भी हो रही है, क्योंकि सुधा यादव से पहले इस संसदीय बोर्ड में सुषमा स्वराज रह चुकी थीं. इसके अलावा इस बार नितिन गडकरी (Nitin Gadkari) और मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chouhan) संसदीय बोर्ड का हिस्सा नहीं होंगे. नए अन्य चेहरे के तौर पर बीएस येदियूरप्पा, सर्बानंद सोनोवाल, इकबाल सिंह लालपुरा, के. लक्ष्मण और सत्यनारायण जटिया को बोर्ड में शामिल किया है. 

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आखिर बीजेपी ने सुषमा स्वराज के बाद अपने संसदीय बोर्ड और केंद्रीय चुनाव समिति (Parliamentary Board and central election committee) में शामिल करने के लिए डॉ. सुधा यादव को ही क्यों चुना. क्यों पार्टी आलाकमान ने नितिन गडकरी और शिवराज सिंह चौहान से ज्यादा भरोसा डॉ. सुधा यादव पर जताया. 

दरअसल इसके पीछे भी तत्कालीन पार्टी प्रभारी नरेंद्र मोदी की डॉ. सुधा यादव से फोन पर की गई वो चंद मिनटों की बातचीत है, जिसकी वजह से कारगिल युद्ध में शहीद की पत्नी डॉ. सुधा यादव हरियाणा के महेंद्रगढ़ में कांग्रेस के तत्कालीन और सबसे कद्दावर नेता राव इंद्रजीत सिंह को हराने में कामयाब हो पाईं. ऐसे में 2024 के लोकसभा चुनाव में 1999 जैसा जादू चलाने के लिए बीजेपी ने एक बाद फिर उन्हें महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपी है. 

राव इंद्रजीत सिंह को हराने के लिए नरेंद्र मोदी ने सुझाया था यह नाम 

आइए अब डॉ. सुधा यादव (Dr Sudha Yadav) के बारे में जानने के लिए हम लगभग 23 साल पीछे जाते हैं. मौजूदा पीएम नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) उस समय हरियाणा में बीजेपी प्रभारी हुआ करते थे. कारगिल युद्ध के बाद 1999 में हुए लोकसभा चुनावों में बीजेपी के सामने सबसे बड़ी चुनौती यह थी कि कांग्रेस की तरफ से चुनाव मैदान में उतरे हरियाणा के कद्दावर नेता राव इंद्रजीत सिंह के खिलाफ किसे चुनाव लड़ाया जाए. पार्टी आलाकमान ने जब मोदी से किसी मजबूत प्रत्याशी का नाम बताने को कहा तो नरेंद्र मोदी ने उस समय डॉ. सुधा  यादव का नाम ही सुझाया था. 

मोदी की इस प्रेरक बात ने भर दी थी ऊर्जा 

दरअसल सुधा यादव के पति बीएसएफ में डिप्टी कमांडेंट थे और कारगिल युद्ध में ही शहीद हुए थे. जब पार्टी ने सुधा यादव के सामने चुनाव लड़ने का प्रस्ताव रखा तो उन्होंने तुरंत मना कर दिया. ये उनके लिए आसान नहीं था, क्योंकि कुछ समय पहले ही उनके पति का स्वर्गवास हुआ था. 

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मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक बीजेपी ने सुधा यादव को मनाने की जिम्मेदारी हरियाणा प्रदेश प्रभारी नरेंद्र मोदी को सौंपी. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक नरेंद्र मोदी ने डॉ. सुधा यादव से फोन पर संपर्क साधा. उन्होंने डॉ. सुधा  यादव से कहा कि आपकी जितनी जरूरत आपके परिवार को है, उतनी ही जरूरत इस देश को भी है. सुधा यादव के मुताबिक पति की शहादत के बाद वह चुनाव के बारे में सोच भी नहीं सकती थीं, लेकिन नरेंद्र मोदी की बातों ने उन्हें ऊर्जा दी. और उन्होंने हामी भर दी.

सिर्फ वो एक वोट जीतने के लिए चंद मिनटों में जुट गए लाखों रुपये 

जब नरेंद्र मोदी ने उनसे चुनाव लड़ने की हामी भरवा ली तो उन्होंने अपनी मां से आशीर्वाद में मिले 11 रुपये डॉ. सुधा यादव को चुनाव प्रचार के लिए दिए. नरेंद्र मोदी ने कहा था कि जिनके सामने आप चुनाव लड़ रही हैं, वे शाही परिवार से ताल्लुक रखते हैं, लेकिन आप जाइए और क्षेत्रीय लोगों से मिलने के बाद अटल बिहारी वाजपेयी, लाल कृष्ण आडवाणी और कुशाभाऊ ठाकरे के अलावा सुषमा स्वराज से भी मुलाकात करिए. 

इसके बाद गुरुग्राम की अग्रवाल धर्मशाला में बीजेपी की बैठक हुई. इसमें मोदी ने कार्यकर्ताओं से कहा, एक वोट से सरकार गिरी थी और यही वो वोट है जो हमें जीतना है. सुधा यादव की ओर इशारा करते हुए नरेंद्र मोदी ने कहा कि जिनको हम चुनाव लड़वा रहे हैं, उनके पास इतनी पूंजी नहीं है. हम सभी को मिलकर उन्हें चुनाव लड़वाना होगा. मोदी ने कहा, मैं इस बहन को अपनी ओर से 11 रुपये का योगदान दे सकता हूं. उनकी इस जादुई अपील का ही असर था कि अगले 30 मिनट में वहां लाखों रुपये जुट गए. आखिरकार नरेंद्र मोदी का डॉ. सुधा यादव के प्रति विश्वास रंग लाया और वह चुनाव जीत भी गईं.