Opinion: भाई! कोहरे में बाइक चलती नहीं वो तो प्लेन है, पायलट को पीटने से क्या मिलेगा?
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Opinion: भाई! कोहरे में बाइक चलती नहीं वो तो प्लेन है, पायलट को पीटने से क्या मिलेगा?

Indigo Pilot Beaten: हर आदमी को जल्दी है. अस्पताल में जल्दी, खाने में जल्दी, टीवी देखने में जल्दी, पढ़ने में जल्दी, आने जाने में जल्दी. ठीक है जो चीज आपके हाथ में है करिए जल्दी लेकिन अगर कोहरा है और प्लेन उड़ाने में पायलट जल्दी करेगा तो सैकड़ों जानों की जिम्मेदारी कौन लेगा? पायलट पर हमले से पहले उस यात्री को सोचना चाहिए था. 

Opinion: भाई! कोहरे में बाइक चलती नहीं वो तो प्लेन है, पायलट को पीटने से क्या मिलेगा?

Indigo Pilot Attacked: आमतौर पर प्रयागराज, बनारस या बिहार जाने वाले लोग दिसंबर-जनवरी के महीने में ट्रेन की यात्रा करने से बचते हैं. हां, रेल 10 घंटे लेट हो या 15 घंटे कुछ कह नहीं सकते. फिर भी कोई इमर्जेंसी में जाता है तो यह मानकर कि सुबह के चले शाम को पहुंचे या दूसरे दिन, देखा जाएगा. हालांकि कम समय में लंबी दूरी की प्लानिंग कर प्लेन पकड़ने वाले सफर को हमेशा झटपट मान लेते हैं, यह बिल्कुल गलत है. थंडरस्टॉर्म हो, घना कोहरा या कोई तकनीकी खामी, प्लेन की यात्रा पर असर तो पड़ेगा ही. ट्रेन के मुसाफिर तो देरी की वजह को समझ चुके हैं, प्लेन वाले कब समझेंगे? यह सवाल इसलिए पूछा जाना चाहिए क्योंकि सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा एक वीडियो बिल्कुल हैरान करने वाला है. यह एक गलत ट्रेंड की तरफ इशारा कर रहा है. अस्पताल में मरीज की मौत हो जाए तो डॉक्टर को पीट दो जिसे हम पहले 'भगवान' कह रहे थे, बस यात्रा में किसी कारण देरी हो तो ड्राइवर-कंडक्टर को पीट दो. प्लेन घने कोहरे के कारण उड़ नहीं पा रहा तो पायलट पर हाथ उठा दो. यह कैसी समझदारी है? ताजा मामला इंडिगो फ्लाइट में एक यात्री के पायलट पर हमला करने का है. 

कोहरे में कर क्या सकते हैं?

रविवार-सोमवार को दिल्ली-नोएडा समेत पूरे उत्तर भारत मे घना कोहरा छाया रहा. जमीन से लेकर आसमान तक ट्रैफिक रेंग रहा था. लेकिन हवाई जहाज में पैदल चलने का विकल्प नहीं होता. उसने उड़ान भरी तो एक नियत रफ्तार से उसे उड़ना ही होगा. ऐसे में अंदर बैठे 200-300 यात्रियों की जान एयरलाइंस, एयर ट्रैफिक कंट्रोल और खासतौर पर पायलट, को-पायलट के हाथों में होती है. दिल्ली से गोवा इंडिगो की फ्लाइट जाने वाली थी लेकिन कोहरे ने उड़ान कई घंटे लेट कर दी. इस पर एक पुरुष यात्री ने पायलट पर हमला कर दिया. फ्लाइट अटेंडेंट की चीखें बता रही हैं कि वह कितनी डर गई थी. (ऊपर वीडियो फिर से देखिए)

वीडियो में दिखाई देता है कि पायलट पैसेंजर केबिन में फ्लाइट स्टेटस के बारे में जानकारी दे रहे थे जब दोपहर 1 बजे उन पर हमला हुआ. फ्लाइट 6ई-2175 सुबह 7.40 बजे उड़ने वाली थी लेकिन कोहरे के चलते शाम 6 बजे उड़ी. 

नाराज होना लाजिमी है पर...

रविवार को दिल्ली और नॉर्थ इंडिया के ज्यादातर क्षेत्रों में मौसम काफी खराब था. एयरपोर्ट पर हजारों की संख्या में यात्री फंसे हुए थे. यात्री झल्ला जाते हैं. उन्होंने जल्दी पहुंचने और उसके आगे का प्लान बनाया होता है. सब बिगड़ता दिखता है तो वे गुस्सा जाते हैं. ऐसे तर्क उस यात्री के सपोर्ट में दिए जा सकते हैं लेकिन क्या पायलट को पीटने से समाधान हो जाएगा? और आपकी नाराजगी कोहरे पर होनी चाहिए. वैसे भी प्रकृति से भला कौन लड़ पाएगा? क्या उस पायलट के कारण प्लेन रुका था. यात्रियों को यह समझना होगा कि कोहरे के कारण दर्जनों प्लेन ग्राउंड पर रुक जाते हैं. ऐसे समय में अगर प्लेन उड़े तो एक नहीं, सैकड़ों लोगों की जान खतरे में पड़ सकती है. 

तड़के निकलकर देखो ना

इसका साधारण सा उदाहरण आप सुबह 5-6 बजे सड़क पर निकल कर देख लीजिए. पार्किंग लाइट जला कर जाने वाले लोग अगर 60-70 की स्पीड से दूसरे दिनों की तरह निकले तो हादसे को दावत दे सकते हैं. यही कारण है कि ऐसे समय जब कोहरा ज्यादा होता है बेहद जरूरी काम होने पर ही लोग सड़क पर निकलते हैं. 

उस पायलट की क्या गलती थी, जिसे पीटने की कोशिश हुई. पायलट बचने के लिए कॉकपिट की तरफ हो गया और एक फीमेल फ्लाइट अटेंडेंट ने हमलावर यात्री को रोकने की कोशिश की. यात्री कहता सुनाई देता है- चलता है तो चला, नहीं तो मत चला, खोल दे. खबर है कि बाद में उस यात्री को प्लेन से उतारा गया तो उसने माफी मांगी. पुलिस जांच हो रही है. पायलट ने यात्री के अभद्र व्यवहार की शिकायत की है. संभव है कि यात्री को कुछ दिनों के लिए उड़ने से बैन कर दिया जाए. 

वीडियो देखने के बाद कई एयर सेफ्टी एक्सपर्ट ने कहा है कि सुरक्षा के लिहाज से कॉकपिट के दरवाजे लॉक रहने चाहिए थे. उड़ान में देरी के कारण गुस्साए यात्री बड़ा बवाल कर सकते हैं. अमित सिंह का कहना है कि इस मामले को हल्के में नहीं लिया जाना चाहिए. यात्री को गिरफ्तार किया जाना चाहिए. 

कहानी का दूसरा पहलू

कुछ लोगों ने सोशल मीडिया पर लिखा है कि लोगों को 30 मिनट से ज्यादा समय तक लॉक रखना एक तरह का उत्पीड़न है. अगर उड़ान में देरी हो रही थी तो दरवाजे खोल देने चाहए थे और लोगों को एयरपोर्ट पर जाने दिया जाना चाहिए था. हालांकि कई लोग ऐसे भी हैं जिन्होंने नाराजगी तो जताई लेकिन पायलट पर हाथ उठाने को बिल्कुल गलत बताया. दरअसल, प्लेन कोई साइकिल या स्कूटर नहीं है कि झट से उतरकर साइड में खड़े हो जाएं. एयरपोर्ट पर झटपट प्लेन में बिठाने फिर उतारकर कहीं और ले जाने से उथल-पुथल मच सकती है. ऐसे में एयरलाइंस या क्रू को काफी सोच-विचारकर फैसले लेने होते हैं. यह हमें समझना होगा.   

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