Agnipath Protest: अग्निपथ योजना पर धराशायी हुई विपक्षी एकता, कांग्रेस सांसद ने विरोध पत्र पर नहीं किए दस्तखत
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Agnipath Protest: अग्निपथ योजना पर धराशायी हुई विपक्षी एकता, कांग्रेस सांसद ने विरोध पत्र पर नहीं किए दस्तखत

Agnipath Scheme Protest: रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने विपक्षी दलों के साथ बैठक कर अग्निपथ योजना के बारे में बताया. इस बैठक के बाद कई नेताओं ने इसका लिखित विरोध किया लेकिन कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने विरोध पत्र पर साइन नहीं किए.

Agnipath Protest: अग्निपथ योजना पर धराशायी हुई विपक्षी एकता, कांग्रेस सांसद ने विरोध पत्र पर नहीं किए दस्तखत

Agnipath Scheme Protest: केंद्र की अग्निपथ योजना (Agnipath Scheme) का पूरे देश में विरोध हुआ. इस दौरान कई शहरों में हिंसक प्रदर्शन तक हुए लेकिन इसके बावजूद सरकार ने योजना वापस नहीं ली और भर्ती प्रक्रिया भी शुरू कर दी. लेकिन इस बीच बड़ी बात ये है कि कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मनीष तिवारी ने 'अग्निपथ योजना' को लेकर विपक्षी दलों के विरोध पत्र पर साइन करने से इनकार कर दिया. 

रक्षा मंत्री ने की विपक्षी दलों के साथ बैठक

दरअसल, केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (Rajnath Singh) ने सोमवार को सभी विपक्षी दलों के साथ एक बैठक की और इस दौरान अग्निपथ योजना के बारे में प्रस्तुति दी. इस बैठक के बाद कुछ विपक्षी दलों के सांसदों ने योजना को लेकर आपत्ति दर्ज कराई और इसे वापस लेने की मांग की.

कांग्रेस सांसद ने नहीं किए साइन

इसके बैठक के बाद विपक्षी दलों को एक पत्र दिया गया जिसमें योजना की वापसी के संबंध में बात कही गई. इस पत्र पर कांग्रेस नेता मनीष तिवारी के अलावा अन्य सभी सांसदों ने हस्ताक्षर किए. हालांकि, तिवारी ने मौखिक रूप से अग्निपथ योजना के विरोध का समर्थन किया, लेकिन उन्होंने पत्र पर साइन नहीं किए. 

कांग्रेस सांसद ने दिया ये तर्क

इसके पीछे मनीष तिवारी ने तर्क दिया कि वह सेना के आधुनिकीकरण के पक्ष में हैं लेकिन अग्निपथ का विरोध करते हैं. बता दें कि इस पत्र पर कांग्रेस के शक्ति सिंह गोहिल, TMC के सुदीप बंद्योपाध्याय और सौगत रॉय, NCP की सुप्रिया सुले और RJD के एडी सिंह समेत छह विपक्षी सांसदों ने साइन किए. सूत्रों के मुताबिक, शक्ति सिंह गोहिल ने कहा कि इसे एक पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर शुरू किया जाना चाहिए और प्रशिक्षित लोगों को सेना में भर्ती करना चाहिए. 

योजना का हुआ जमकर विरोध

उल्लेखनीय है कि जब इस योजना को लॉन्च किया गया तो यूपी, बिहार समेत कई उत्तरी राज्यों में हिंसक विरोध प्रदर्शन हुए थे. करीब सप्ताह भर तक चले इस विरोध को कई विपक्षी दलों ने समर्थन भी दिया और योजना को वापस लेने की भी मांग की.

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