Congress नेता गुलाम नबी आजाद के बयान के बाद राज्यसभा में क्यों उठे विरोध के स्वर, जाने अनजाने में क्या बोल गए नेता जी
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Congress नेता गुलाम नबी आजाद के बयान के बाद राज्यसभा में क्यों उठे विरोध के स्वर, जाने अनजाने में क्या बोल गए नेता जी

 Rajyasabha News: कांग्रेस के कुछ नेताओं की ओर से की गई अपनी आलोचना को लेकर पूर्व कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने मंगलवार को कहा कि इन लोगों की गंदी सोच है और इन्हें राजनीति का ‘क ख ग’ सीखने के लिए किंडरगार्टन वापस जाना होगा. आजाद के इस बयान के बाद से राज्यसभा के अंदर राजनीति और गर्मा गई है.

पूर्व कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद

Congress party leader: राज्यसभा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा की गई तारीफ पर कांग्रेस के कुछ नेताओं की ओर से की गई अपनी आलोचना को लेकर पूर्व कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने मंगलवार को कहा कि इन लोगों की गंदी सोच है और इन्हें राजनीति का ‘क ख ग’ सीखने के लिए किंडरगार्टन वापस जाना होगा. आजाद के इस बयान के बाद से राज्यसभा के अंदर राजनीति और गर्मा गई है. राज्यसभा में विपक्ष के पूर्व नेता आजाद ने अपने आलोचकों को जवाब देते हुए कहा कि जो लोग विदाई भाषणों और नियमित भाषण में अंतर नहीं कर सकते उनकी राजनीतिक समझ पर सवाल उठता है.

अपनी बुनियादी समझ को टटोलते रहना चाहिए

आजाद ने कहा कि ऐसे लोगों को राजनीति की अपनी बुनियादी समझ को टटोलते रहना चाहिए. राज्यसभा से आजाद की विदाई के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उच्च सदन में भावनात्मक भाषण दिया था. जब आजाद ने कांग्रेस छोड़ी तो कुछ पार्टी नेताओं ने मोदी के इस भाषण को याद करते हुए इसमें एक तरह का एजेंडा होने का आरोप लगाया. आजाद के तीखे शब्दों में लिखे त्यागपत्र का जिक्र करते हुए कांग्रेस के मीडिया विभाग के अध्यक्ष पवन खेड़ा ने पूर्व केंद्रीय मंत्री पर निशाना साधते हुए कहा था कि हमने मोदी और आजाद का प्यार देखा है, यह संसद में भी दिखा था. इस पत्र में उस प्यार का असर दिख रहा है.

20 वक्ताओं ने दिए थे भाषण

राज्यसभा से 15 फरवरी 2021 को सेवानिवृत्त हुए आजाद ने कहा कि उच्च सदन से उनकी विदाई के समय 20 वक्ताओं ने भाषण दिया था और उनमें प्रधानमंत्री भी थे. जब आजाद को याद दिलाया गया कि उन्हें मोदी के उक्त भाषण के तत्काल बाद भाजपा का एजेंट करार दिया गया था तो उन्होंने कहा, ये अपमानजनक है. इसका मतलब है कि कुछ लोगों की सोच गंदी है. आजाद ने अपनी किताब में राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष के रूप में अपने कार्यकाल के बारे में भी लिखा है. उन्होंने कहा कि इस दौर में उन्हें प्रधानमंत्री को अंदर और बाहर से समझने का मौका मिला.

आजाद ने कहा कि नेता प्रतिपक्ष के रूप में मैंने सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक महत्व के मुद्दों को उठाने का सर्वश्रेष्ठ प्रयास किया और सदन में हर बार प्रधानमंत्री और उनके सहयोगी नेताओं का सामना किया, लेकिन उन्होंने अपनी सरकार के कामकाज के खिलाफ मेरे कड़े शब्दों पर कभी प्रतिक्रिया नहीं दी. मैंने पाया कि वह एक श्रेष्ठ श्रोता हैं, जिनमें आलोचना सहन करने की क्षमता है.

किस मुंह से मतदाताओं के पास जाएंगे

उन्होंने संसद में कांग्रेस पार्टी द्वारा किए जा रहे लगातार अवरोध की आलोचना करते हुए कहा कि वे किस मुंह से मतदाताओं के पास जाएंगे. उन्होंने कहा कि संसद में मेरे कार्यकाल के दौरान, मैंने सुनिश्चित किया कि काम हो. आजाद ने कहा कि राज्यसभा में उनके कार्यकाल के समानांतर लोकसभा के पांच साल के कामकाज को देखा जाए तो आपको सरकार के खिलाफ मुश्किल से कोई भाषण मिलेगा क्योंकि वे रोजाना बहिष्कार कर देते थे और उन्हीं दिनों में (राज्यसभा में) सबकुछ रिकॉर्ड में मिलेगा.

उन्होंने कहा कि आज शोर-शराबे में विधेयक पारित कर दिए जाते हैं क्योंकि सांसदों को चर्चा में रुचि नहीं है. आजाद ने राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष के रूप में अपने कार्यकाल का उल्लेख करते हुए कहा कि मैं नहीं सुनता था और सुनिश्चित करता था कि सदन की कार्यवाही चले जबकि मेरी पार्टी के कुछ नेता खुश नहीं होते थे.

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