Brijbhushan Singh: 'संजय सिंह मेरे रिश्तेदार नहीं, WFI में मेरा रोल खत्म', सरकार के फैसले पर बोले बृजभूषण
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Brijbhushan Singh: 'संजय सिंह मेरे रिश्तेदार नहीं, WFI में मेरा रोल खत्म', सरकार के फैसले पर बोले बृजभूषण

WFI Controversy: बृजभूषण ने आगे कहा,  सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर लोकतांत्रिक तरीके से चुनाव हुए और संस्था का गठन किया गया. अब यह उनका (महासंघ के सदस्यों का) निर्णय है कि वे सरकार से बात करना चाहते हैं या कानूनी कदम उठाना चाहते हैं. मेरा इससे कोई लेना-देना नहीं है.

Brijbhushan Singh: 'संजय सिंह मेरे रिश्तेदार नहीं, WFI में मेरा रोल खत्म', सरकार के फैसले पर बोले बृजभूषण

Brijbhushan Singh Vs Wrestlers: भारतीय कुश्ती महासंघ यानी WFI की नवनिर्वाचित संस्था को केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने अगले आदेश तक निलंबित कर दिया है. सरकार का कहना है कि संस्था ने सही प्रकिया का पालन नहीं किया और पहलवानों को तैयारी के लिए पर्याप्त समय दिए बिना अंडर-15 और अंडर-20 राष्ट्रीय चैंपियनशिप के आयोजन की जल्दबाजी में घोषणा कर दी. अब इस मामले पर डब्ल्यूएफआई के पूर्व अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह ने सफाई दी है.

उन्होंने कहा, नए अध्यक्ष संजय सिंह मेरे रिश्तेदार नहीं हैं. नंदिनी नगर में अंडर-15 और अंडर-20 नेशनल आयोजित करने की घोषणा यह सुनिश्चित करने के लिए की गई थी कि खेल आयोजन फिर से शुरू हों. बृजभूषण ने कहा, मैं काम करता रहूंगा. हम एकेडमी चलाते रहेंगे. एकेडमी में 100-150 बच्चे हैं और मैंने खुद कुश्ती खेली है, कुश्ती के बल पर ही मैं आज यहां पर पहुंचा हूं. हम अपनी एकेडमी बंद नहीं करेंगे.'

फैसले पर क्या बोले पहलवान

दरअसल, बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ ही हरियाणा के कई पहलवानों ने मोर्चा खोला हुआ है. बृजभूषण पर यौन शोषण तक के आरोप लगाए गए. WFI की नवनिर्वाचित संस्था को निलंबित करने पर पहलवान साक्षी मलिक ने कहा, 'हमारी लड़ाई सरकार से नहीं है, हमारी लड़ाई सिर्फ एक आदमी से थी, हमारी लड़ाई महिलाओं के लिए है.' वहीं विनेश फोगाट ने इस मामले पर साहिर लुधियानवी का एक शेर ट्वीट किया है, जिसमें लिखा है, बस इस बात का सबर है...ऊपर वाले को सब खबर है.'

बृजभूषण ने आगे कहा,  सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर लोकतांत्रिक तरीके से चुनाव हुए और संस्था का गठन किया गया. अब यह उनका (महासंघ के सदस्यों का) निर्णय है कि वे सरकार से बात करना चाहते हैं या कानूनी कदम उठाना चाहते हैं. मेरा इससे कोई लेना-देना नहीं है. मैंने 12 साल पहलवानों के लिए काम किया है. समय ही बताएगा कि मैंने न्याय किया या नहीं. अब फेडरेशन के चुने हुए लोग ही सरकार के साथ बात करके फैसला लेंगे.'

केंद्र सरकार ने लिया फैसला?

दरअसल खेल मंत्रालय ने कहा कि नई संस्था पूरी तरह से पूर्व पदाधिकारियों के कंट्रोल में काम कर रही थी जो राष्ट्रीय खेल संहिता के मुताबिक नहीं है. डब्ल्यूएफआई के चुनाव 21 दिसंबर को हुए थे जिसमें पूर्व अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के करीबी संजय सिंह और उनके पैनल ने बड़े अंतर से जीत दर्ज की थी. खेल मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया, 'नए पैनल ने डब्ल्यूएफआई संविधान का पालन नहीं किया. महासंघ अगले आदेश तक निलंबित रहेगा. डब्ल्यूएफआई कुश्ती के दैनिक कामकाम को नहीं देखेगा.

खिलाड़ियों ने लौटाए थे पुरस्कार

विनेश फोगाट और साक्षी मलिक के साथ बृजभूषण के खिलाफ आंदोलन की अगुआई करने वाले पहलवान बजरंग पूनिया ने संजय सिंह के डब्ल्यूएफआई अध्यक्ष बनने के विरोध में शुक्रवार को अपना पद्मश्री पुरस्कार सरकार को लौटा दिया था. इससे एक दिन पहले साक्षी ने भी कुश्ती को अलविदा कह दिया था. 

क्या है मामला

सूत्र ने निलंबन के कारणों के बारे में बताते हुए कहा, 'डब्ल्यूएफआई के नवनिर्वाचित अध्यक्ष संजय सिंह ने 21 दिसंबर 2023 को अध्यक्ष चुने जाने के दिन ही घोषणा की कि कुश्ती के लिए अंडर-15 और अंडर-20 राष्ट्रीय चैंपियनशिप साल खत्म होने से पहले ही उत्तर प्रदेश के गोंडा के नंदिनी नगर में होगी.' उन्होंने कहा, 'यह घोषणा जल्दबाजी में की गई है. उन पहलवानों को पर्याप्त सूचना दिए बिना जिन्हें उस राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भाग लेना है. डब्ल्यूएफआई के संविधान के प्रावधानों का पालन भी नहीं किया गया.'

मंत्रालय के सूत्र ने कहा, 'डब्ल्यूएफआई के संविधान की प्रस्तावना के नियम 3 (ई) के अनुसार, डब्ल्यूएफआई का मकसद अन्य बातों के अलावा कार्यकारी समिति के चुनी जगहों पर यूडब्ल्यूडब्ल्यू (यूनाईटेड वर्ल्ड रेस्लिंग) के नियमों के अनुसार सीनियर, जूनियर और सब जूनियर राष्ट्रीय चैंपियनशिप आयोजित करने की व्यवस्था करना है.'

सूत्र ने कहा कि नई संस्था ने उसी परिसर (बृजभूषण का आधिकारिक बंगला) में काम करना शुरू कर दिया है, जहां से पिछले पदाधिकारी काम करते थे और जहां कथित तौर पर खिलाड़ियों के यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया गया है. सूत्र ने कहा, 'ऐसा लगता है कि नवनिर्वाचित निकाय पूर्व पदाधिकारियों के पूर्ण नियंत्रण में है जो खेल संहिता का पूर्ण उल्लंघन है.'

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