Boy Kidney: 'मां के इलाज के लिए नहीं हैं पैसे, किडनी बेचनी है,' लड़के की बात सुनकर डॉक्टरों की भर आईं आंखें
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Boy Kidney: 'मां के इलाज के लिए नहीं हैं पैसे, किडनी बेचनी है,' लड़के की बात सुनकर डॉक्टरों की भर आईं आंखें

Ranchi News: गया से ताल्लुक रखने वाले दीपांशु को मदर्स डे के बारे में कुछ मालूम नहीं है. वह बस अपनी मां को स्वस्थ देखना चाहता है. एड़ियां रगड़ने के बाद भी जब मां के इलाज के लिए पैसे नहीं मिले तो वह रांची के एक प्राइवेट अस्पताल पहुंचा. यहां वह लोगों से किडनी बेचने के बारे में मालूम करने लगा.

Boy Kidney: 'मां के इलाज के लिए नहीं हैं पैसे, किडनी बेचनी है,' लड़के की बात सुनकर डॉक्टरों की भर आईं आंखें

Mother's Day: 2 दिन बाद यानी 14 मई को पूरी दुनिया मदर्स डे मनाएगी. मां शब्द ही ऐसा है, जिसमें पूरी दुनिया समा सकती है. वो मां ही होती है, जो हर दुख सहकर 9 माह तक बच्चे को अपने गर्भ में रखती है और फिर उसे दुनिया में लाती है. लेकिन मदर्स डे से पहले एक बच्चे की बात, जिसने भी सुनी; वह अपने आंसू नहीं रोक पाया. दरअसल एक लड़का अपनी मां के इलाज के लिए पैसे जुटाने में नाकाम रहा तो वह अपनी किडनी बेचने के लिए एक के बाद एक कई अस्पतालों में जाकर ग्राहक तलाशने लगा.

गया से ताल्लुक रखने वाले दीपांशु को मदर्स डे के बारे में कुछ मालूम नहीं है. वह बस अपनी मां को स्वस्थ देखना चाहता है. एड़ियां रगड़ने के बाद भी जब मां के इलाज के लिए पैसे नहीं मिले तो वह रांची के एक प्राइवेट अस्पताल पहुंचा. यहां वह लोगों से किडनी बेचने के बारे में मालूम करने लगा.

डॉक्टरों ने दिया भरोसा

खबर पहुंची डॉक्टरों के पास. उन्होंने दीपांशु से अपनी मां को रांची लाने को कहा. उन्होंने उसको यह भरोसा भी दिलाया कि वह उसकी मां को स्वस्थ कर देंगे. इसके अलावा डॉक्टरों ने उसकी मां के इलाज का सारा खर्च भी वहन करने का भरोसा दिया. दीपांशु के मुताबिक, उसकी मां का पैर टूट गया था और इलाज कराने के लिए उसके पास फूटी कौड़ी नहीं थी. 

दरअसल जब दीपांशु अस्पताल पहुंचा, तो वहां वह यह मालूम करने लगा कि किडनी की जरूरत किसको है और यह कितने में बिक सकती है. बात फैली तो अस्पताल के कर्मचारियों ने इस बारे में डॉक्टरों को बताया. इसके बाद रिम्स के न्यूरो सर्जरी के सीनियर रेजिडेंट डॉक्टर विकास और अन्य डॉक्टर उसके पास पहुंचे. उन्होंने दीपांशु को बताया कि किडनी बेचना कानूनी तौर पर जुर्म है. 

बचपन में गुजर गए थे पिता

इस पर दीपांशु ने कहा कि उसके पास मां के इलाज के लिए पैसे नहीं हैं. इसलिए किडनी बेचने का विचार आया. उसने आगे कहा कि बचपन में ही उसके पिता की मृत्यु हो गई थी. मजदूरी करके मां ने पाला-पोसा. उससे मां का दुख देखा न गया तो उसने रांची के एक होटल में काम करना शुरू कर दिया. अचानक उसको मां का पैर टूटने की जानकारी मिली. लेकिन उसके पास इतने पैसे नहीं थे, जिससे उनका इलाज हो पाता. इसलिए डॉक्टरों ने इलाज बीच में रोक दिया. इसके बाद उसे  किडनी बेचने का ख्याल आया.

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