Maharashtra Chunav 2024: बीजेपी के लिए बागी बने सिरदर्द, एनसीपी ने भी दी टेंशन
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Maharashtra Chunav 2024: बीजेपी के लिए बागी बने सिरदर्द, एनसीपी ने भी दी टेंशन

Maharashtra Vidhan Sabha Chunav 2024: भाजपा के बागियों में एक बड़ा नाम गोपाल शेट्टी का है. वह दो बार विधायक और मुंबई से लोकसभा सदस्य रह चुके हैं.

Maharashtra Chunav 2024: बीजेपी के लिए बागी बने सिरदर्द, एनसीपी ने भी दी टेंशन

Maharashtra Elections: महाराष्‍ट्र चुनाव में पर्चा भरने की अंतिम तारीख 29 अक्‍टूबर को निकल गई. टिकटों की मारामारी के बीच जिनको टिकट नहीं मिला ऐसे नेता सत्तारूढ़ महायुति (बीजेपी-शिवसेना-एनसीपी) और विपक्षी एमवीए (शरद पवार-उद्धव ठाकरे-कांग्रेस) के लिए सिरदर्द बनेंगे. सभी दलों की बात की जाए तो 288 सदस्‍यीय विधानसभा में सबसे ज्‍यादा 148 सीटों पर बीजेपी ने अपने प्रत्‍याशी उतारे लेकिन इसके बावजूद बागियों से सबसे ज्‍यादा भाजपा ही परेशान है. भाजपा को मुंबई के साथ-साथ राज्य के अन्य हिस्सों में बागियों से संभावित नुकसान को रोकने के लिए कड़ा संघर्ष करना पड़ रहा है.

गोपाल शेट्टी
भाजपा के बागियों में एक बड़ा नाम गोपाल शेट्टी का है. वह दो बार विधायक और मुंबई से लोकसभा सदस्य रह चुके हैं. उन्होंने मुंबई की बोरीवली विधानसभा सीट से पार्टी के आधिकारिक उम्मीदवार संजय उपाध्याय के खिलाफ निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में नामांकन दाखिल किया है. शेट्टी को तब झटका लगा, जब उन्हें 2024 में लोकसभा चुनाव का टिकट नहीं दिया गया, जिससे केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल के लिए रास्ता साफ हो गया. हालांकि कई लोगों को उम्मीद थी कि शेट्टी को विधानसभा चुनाव में बोरीवली से मैदान में उतारा जाएगा, लेकिन भाजपा ने उनके बजाय उपाध्याय को चुना.

भाजपा की मुंबई इकाई के प्रमुख आशीष शेलार और विधायक योगेश सागर द्वारा उन्हें मनाने का प्रयास किए जाने के बावजूद शेट्टी ने अपना नामांकन दाखिल कर दिया.

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अतुल शाह
वहीं, एक अन्य स्थानीय भाजपा नेता अतुल शाह ने मुंबई शहर की मुंबादेवी सीट से अपना नामांकन दाखिल किया है, जहां पार्टी की राष्ट्रीय प्रवक्ता शाइना एनसी सहयोगी शिवसेना की आधिकारिक उम्मीदवार हैं. चंद्रपुर जिले में भाजपा ने राजुरा निर्वाचन क्षेत्र से देवराव भोंगले को मैदान में उतारा है. इस फैसले से नाराज होकर भाजपा के दो पूर्व विधायकों- संजय धोटे और सुदर्शन निमकर ने निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में अपना नामांकन दाखिल किया है.

नागपुर जिले में भाजपा के मौजूदा विधायक कृष्णा खोपड़े को नागपुर पूर्वी विधानसभा सीट पर एनसीपी की बागी आभा पांडे से चुनौती मिल रही है.

एनसीपी के कारण टेंशन
राजनीतिक पर्यवेक्षक अभय देशपांडे के अनुसार, सत्तारूढ़ गठबंधन में एनसीपी के प्रवेश ने भाजपा और शिवसेना के लिए चुनौतियां खड़ी कर दी हैं. उन्होंने कहा, ‘‘विधानसभा चुनाव आम तौर पर उम्मीदवारों की छवि पर लड़ा जाता है. दोनों पक्षों (महायुति और एमवीए) में कम से कम तीन प्रमुख राजनीतिक दल हैं, और यह स्पष्ट है कि प्रत्येक पार्टी को चुनाव लड़ने के लिए सीमित संख्या में सीट मिली हैं. भाजपा और शिवसेना द्वारा पारंपरिक प्रतिद्वंद्वी राकांपा के साथ हाथ मिलाए जाने से उनके समर्पित पार्टी कार्यकर्ताओं के लिए जमीन पर एक बड़ी चुनौती पैदा हो गई है.’’

जहां आपस में भिड़े सहयोगी
ऐसे मामले भी हैं, जहां सहयोगी दलों ने एक-दूसरे के खिलाफ उम्मीदवार खड़े किए हैं. उदाहरण के लिए सोलापुर दक्षिण निर्वाचन क्षेत्र से कांग्रेस ने दिलीप माने को नामांकित किया लेकिन उन्हें आधिकारिक उम्मीदवार का दर्जा नहीं मिला क्योंकि उसकी सहयोगी शिवसेना (यूबीटी) ने अमर पाटिल को टिकट दिया है. निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में अपना नामांकन दाखिल करने के बाद पत्रकारों से बातचीत में माने ने कहा, ‘‘मुझे बताया गया था कि कांग्रेस की ओर से एबी फॉर्म मुझे दिया जाएगा. वह कभी नहीं आया, इसलिए मैंने निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में अपना नामांकन दाखिल करने का फैसला किया.’’

सोलापुर जिले के पंढरपुर-मंगलवेधा निर्वाचन क्षेत्र में कांग्रेस और इसकी सहयोगी एनसीपी (एसपी) ने अपने-अपने उम्मीदवार उतारे हैं. पीजेंट्स एंड वर्कर्स पार्टी (पीडब्ल्यूपी) एमवीए की एक घटक है, फिर भी इसके बाबासाहेब देशमुख ने सोलापुर जिले के सांगोला निर्वाचन क्षेत्र में शिवसेना (यूबीटी) के उम्मीदवार के खिलाफ अपना नामांकन दाखिल किया है.

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