Hindenburg Report: हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट सामने आने के बाद मचे सियासी संग्राम के बीच बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी (Subramanian Swamy) ने भी इस मुद्दे को उठाया है और सेबी चीफ के पोस्ट पर किसी ईमानदार व्यक्ति की नियुक्ति की मांग की है.
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Subramanian Swamy PIL: हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट सामने आने के बाद सियासी संग्राम मचा हुआ है और सरकार लगातार निशाने पर है. विपक्ष ने सेबी चीफ से इस्तीफे की मांग की है तो बीजेपी ने इसे बेबुनियाद बताया है. हिंडनबर्ग की रिपोर्ट सेबी ने तो सिरे से खारिज कर दिया है, लेकिन विपक्ष मानने को तैयार नहीं है. इस बीच बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी (Subramanian Swamy) ने भी इस मुद्दे को उठाया है और सेबी चीफ के पोस्ट पर किसी ईमानदार व्यक्ति की नियुक्ति की मांग की है. बता दें कि अमेरिकी संस्था हिंडनबर्ग रिसर्च ने अपनी एक रिपोर्ट में दावा किया है कि सेबी की चेयरपर्सन और उनके पति की अडानी मनी साइफनिंग घोटाले में उपयोग किए गए ऑफशोर फंड्स में हिस्सेदारी रही है.
किसी ईमानदार को बनाया जाए SEBI चीफ: स्वामी
सुब्रमण्यम स्वामी (Subramanian Swamy) ने सेबी प्रमुख माधबी पुरी बुच (Madhabi Puri Buch) को हटाने की मांग की है. हिंडनबर्ग की ताजा रिपोर्ट आने के बाद सोशल मीडिया एक्स पर किए एक पोस्ट में सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा, 'सेबी अध्यक्ष के खिलाफ हितों के टकराव का मामला दूसरी बार उठा है. वैश्विक निवेशकों के बीच भारत की छवि बचाने के लिए उनकी जगह किसी ईमानदार व्यक्ति को लाया जाना चाहिए. मेरी एक्सिस जनहित याचिका (PIL) सोमवार को दिल्ली हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस की प्रथम पीठ में सूचीबद्ध है. मैंने पहले ही हितों के टकराव को लेकर हलफनामा दायर कर दिया है.'
2nd time conflict of interest issue arose against SEBI Chairperson. Replace her with someone honest to save India’s image amongst global investors. My Axis PIL is listed in Delhi High Court CJ ‘s First Bench tomorrow. I had already filed an affidavit on the conflict.…
— Subramanian Swamy (@Swamy39) August 11, 2024
हिंडनबर्ग की रिपोर्ट में क्या है?
हिंडनबर्ग रिपोर्ट में कहा गया है कि सेबी चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच भी अडानी ग्रुप के साथ मिली हुई हैं. यही वजह है कि अडानी ग्रुप के खिलाफ उन्होंने 18 महीने में भी कार्रवाई नहीं की है. हिंडनबर्ग रिसर्च ने इस खुलासे के बारे में सोशल मीडिया एक्स पर ऐलान किया. तो चलिए आपको बताते हैं कि आखिरकार हिंडनबर्ग ने सेबी चेयरपर्सन और अडानी ग्रुप के बीच रिश्ते पर सवाल कैसे उठाए हैं और हिंडनबर्ग की रिपोर्ट में क्या है? हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक, मॉरीशस आधारित शेल संस्थाओं के जाल का खुलासा किया गया था, जिसका उपयोग संदिग्ध अरबों डॉलर के अघोषित लेन-देन, अघोषित स्टॉक हेरफेर के लिए किया जाता था. हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक, अडानी घोटाले में इस्तेमाल की गई ऑफशोर संस्थाओं में सेबी चेयरपर्सन की हिस्सेदारी थी. अप्रैल 2017 से लेकर मार्च 2022 के दौरान माधबी पुरी बुच SEBI की होलटाइम मेंबर होने के साथ चेयरपर्सन थीं. सिंगापुर में उनका अगोरा पार्टनर्स नाम से कंसलटिंग फर्म में 99 फीसदी स्टेक था. हिंनडबर्ग की दावे के मुताबिक, कंपनी की आय पर सवाल उठे, लेकिन कार्रवाई नहीं की गई.
माधबी पुरी बुच पर आरोपों के बाद सेबी ने तोड़ी चुप्पी
हिंडनबर्ग की रिपोर्ट आने के बाद कटघरे में खड़ी सेबी चीफ माधबी पुरी बुच (Madhabi Puri Buch) पर सेबी ने चुप्पी तोड़ते हुए हिंडनबर्ग रिसर्च की सभी रिपोर्टों को सिरे से खारिज कर दिया है. सेबी ने आंकड़ों के आधार पर हिंडनबर्ग के दावों को खारिज करते हुए कहा कि इन आरोपों में कोई दम नहीं है. मामले पर जांच करने के बाद सेबी ने भी हिंडनबर्ग की रिपोर्ट को खारिज कर दिया है. सेबी ने कहा कि हिंडनबर्ग के दावे बेबुनियाद हैं और इनका कोई ठोस सबूत नहीं है. अडानी ग्रुप ने सभी नियमों का पालन किया है और कंपनी के खिलाफ कोई भी अनियमितता का मामला नहीं है. इसके साथ ही सेबी ने निवेशकों को सतर्क रहने की सलाह दी है और कहा है कि केवल आधिकारिक सूचनाओं पर भरोसा करें.
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हिंडनबर्ग ने अडानी ग्रुप पर क्या लगाए थे आरोप?
इससे पहले हिंडनबर्ग ने आरोप लगाया था कि अडानी ग्रुप ने अपने खातों में गड़बड़ी की है और कंपनी की वास्तविक स्थिति को छुपाने की कोशिश की है. हिंडनबर्ग ने दावा किया है अडानी ग्रुप के शेयरों में शॉर्ट सेलिंग की थी. रिपोर्ट में ये भी दावा किया गया कि अडानी परिवार कंपनी के संसाधनों का निजी लाभ के लिए उपयोग कर रहा है.