क्या इस बार फीका होगा दुर्गापूजा का रंग, इन शर्तों के साथ हो रही आस्था के त्योहार की तैयारी
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क्या इस बार फीका होगा दुर्गापूजा का रंग, इन शर्तों के साथ हो रही आस्था के त्योहार की तैयारी

इसके अलावा विसर्जन जुलूस की अनुमति नहीं होगी. विसर्जन के लिए जिन जगहों की पहचान जिला प्रशासन करेगा, वहीं विसर्जन होगा. 25 अक्टूबर यानी विजया दशमी के दिन ही विसर्जन का काम पूरा होगा. 

क्या इस बार फीका होगा दुर्गापूजा का रंग, इन शर्तों के साथ हो रही आस्था के त्योहार की तैयारी.

पटना: दुर्गापूजा 17 अक्टूबर से शुरू हो रही है. बिहार में दुर्गा पूजा आस्था और भव्यता दोनों के साथ-साथ मनाई जाती है, लेकिन राज्य सरकार ने कोरोना को देखते हुए कुछ दिशा-निर्देश जारी किए हैं. दरअसल, दुर्गा पूजा में जिस तरह से भीड़ होती है उससे बिहार सरकार को कोरोना संक्रमण के बड़े पैमाने पर फैलने की आशंका है.

लिहाजा, गृह विभाग ने भी अपनी तरफ से दिशा निर्देश जारी कर बताया है कि पूजा समितियों को क्या करना है और क्या नहीं करना है. बिहार राज्य धार्मिक न्यास परिषद के अध्यक्ष अखिलेश जैन ने कहा कि पूजा पर किसी तरह की कोई पाबंदी नहीं है. पंडाल जरूर बनाए जाएंगे लेकिन ये थीम पर आधारित नहीं होंगे. पंडाल में प्रसाद का वितरण भी नहीं होगा.

अखिलेश जैन के अनुसार, सबसे पहले लोगों को ये जान लेना चाहिए कि दुर्गा पूजा के आयोजन पर किसी तरह की रोक नहीं लगाई गई है. हां, बिहार सरकार ने जरूर कुछ दिशा-निर्देश जारी किए हैं और इन निर्देशों का पालन पूजा समितियों को करना होगा. कोरोना के मामले अभी खत्म नहीं हुए है. लिहाजा सावधानी के साथ ही दुर्गा पूजा का आयोजन हो.  

दुर्गा पूजा किन शर्तों के साथ होगी, किन छूटों के साथ होगी. आइए वो जानते हैं...

- सबसे पहले कंटेनमेंट जोन में किसी भी तरह का आयोजन नहीं होगा. हालांकि बिहार में कंटेनमेंट जोन की संख्या काफी कम है. 
- मंदिरों में पूजा पांडाल या मंडप का निर्माण किसी विशेष थीम पर नहीं होगा 
- पूजा पंडाल के करीब किसी तरह का तोरण द्वार या स्वागत द्वार नहीं बनाया जाएगा 
- जिन जगहों में मूर्तियां रखी गई है वहां का बाकी भाग खुला होगा 
- सार्वजनिक उद्घोषणा प्रणाली यानि माइकिंग नहीं होगी 
- किसी तरह के मेले का आयोजन नहीं होगा 
- पूजा स्थल के करीब खाने पीने का स्टॉल नहीं लगाया जाएगा, 

विसर्जन जुलुस की नहीं होगी अनुमति
इसके अलावा विसर्जन जुलूस की अनुमति नहीं होगी. विसर्जन के लिए जिन जगहों की पहचान जिला प्रशासन करेगा, वहीं विसर्जन होगा. 25 अक्टूबर यानी विजया दशमी के दिन ही विसर्जन का काम पूरा होगा. 

साथ ही सामुदायिक भोज या प्रसाद का वितरण नहीं होगा. पूजा समितियों की तरफ से किसी तरह का आमंत्रण पत्र नहीं जारी किया जाएगा. सांस्कृतिक कार्यक्रमों जैसे डांडिया, गरबा का आयोजन नहीं होगा. वही, मंदिरों में पूजा आयोजकों की तरफ से पर्याप्त सेनिटाइजर की व्यवस्था होगी. 

नहीं होगा रावण दहन का कार्यक्रम
सबसे बड़ी बात यह है कि इस बार रावण दहन का कार्यक्रम नहीं होगा. फेस मास्क का इस्तेमाल और सामाजिक दूरी का पालन जरूरी होगा. जो भी लोग पूजा पंडाल पहुंचेंगे उनकी थर्मल स्क्रीनिंग होगी. इसके साथ ही बिहार राज्य धार्मिक न्यास परिषद ने भी अपनी तरफ से दिशानिर्देश जारी किए हैं. 

मंदिर के अंदर सभी घंटे कपड़े से बंधे रहेंगे. प्रसाद में सिर्फ तुलसी के पत्ते होंगे. मंदिर में चरणामृत का वितरण होगा और एक स्थान पर एक समय में 5 से अधिक लोग नहीं होंगे. 65 वर्ष से अधिक और 10 साल से कम उम्र के बच्चों को मंदिर में नहीं जाने की सलाह दी गई है.

शुरू हो गया है पंडाल निर्माण का कार्य
दूसरी तरफ पटना में छोटे स्तर पर पंडाल का निर्माण शुरू हो गया है. जहां केवल कलश स्थापना होगा. इनकम टैक्स चौराहे और डाक बंगला पर छोटा पंडाल बनाया जा रहा है. 

हालांकि, पूजा समितियां सरकार के फैसले से खुश नहीं दिख रही है. पटना में 98 साल से पूजा का आयोजन करने वाली अदालतगंज पूजा समिति के अध्यक्ष किंगशिप मुखर्जी के मुताबिक सरकार ने अपनी तरफ से निर्देश जारी कर दिए और पूजा समितियों से सलाह भी नहीं ली गई. 

लगता नहीं कि परसों से दुर्गा पूजा शुरू हो रही है. सरकार ने निर्देश जारी कर दिए और अब उसी के मुताबिक काम करेंगे. पिछली बार जलजमाव था इस बार कोरोना है. 

ये बात सही है कि आस्था के साथ कोई समझौता नहीं होना चाहिए लेकिन लोगों की जान भी मायने रखती है. कोरोना का संक्रमण जिस तरह से फैला है उसने होली, रामनवमी, सावन के त्योहार को भी फीका कर दिया था. अब कोरोना के कारण दुर्गा पूजा भी फीकी रहने की संभावना है. हालांकि सरकार ने भी साफ किया है कि पूजा के आयोजन पर रोक नहीं है.