प्रशांत महासागर और हिमालय के ऊपर से विमान क्यों नहीं उड़ाए जाते?
Zee Bihar-Jharkhand Web Team
Dec 05, 2024
नेविगेशन रडार सर्विस
प्रशांत महासागर और हिमालय के ऊपर से विमानों की उड़ान नहीं भरी जाती है, क्योंकि इन इलाकों में नेविगेशन रडार सर्विस काफी कम होता है.
संपर्क
नेविगेशन रडार सर्विस कमजोर होने की वजह से पायलट को जमीन से संपर्क साधने में दिक्कत हो सकती है, जिस कारण संपर्क टूट सकता है और विमान रास्ता भटक सकता है.
आपात स्थिति
प्रशांत महासागर और हिमालय के इलाकों में आपात स्थिति में लैंडिंग की सुविधा नहीं होती है.
खतरनाक
हिमालय की ऊंचाई और मौसम की वजह से भी वहां से उड़ान भरना खतरनाक साबित हो सकता है, इसलिए प्रशांत महासागर और हिमालय के ऊपर से विमानों की उड़ानें नहीं भरी जाती है.
ऑक्सीजन का स्तर
हिमालय की चोटियां समुद्र तल से 20 हजार फीट से ज्यादा ऊंची होती है. जहां हवा पतली होती है और ऑक्सीजन का स्तर काफी कम होता है.
ऑक्सीजन
विमान में इमरजेंसी के दौरान 20-25 मिनट के लिए ऑक्सीजन शेष होता है, जिस वजह से विमान को 8 से 10 हजार फीट ऊंचाई से नीचे आने के लिए उतना ही समय मिल पाता है.
अनिश्चित मौसम
हिमालय के ऊपर का मौसम हर समय अनिश्चित रहता है. प्लेन में यात्रियों के हिसाब से एयर प्रेशर रखा जाता है, इसलिए बदलता मौसम यात्रियों के लिए खतरनाक साबित हो सकता है.
बेहतर विकल्प
यही वजह है कि प्रशांत महासागर और हिमालय के ऊपर से विमानों की उड़ान नहीं भरी जाती है. प्लेन को घुमाकर उड़ाना ही बेहतर विकल्प माना जाता है.