झारखंड के साहिबगंज में गंगा के एक हिस्से को डॉल्फिन अभयारण्य बनाने के लिए नया प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है. इस अभयारण्य का उद्देश्य न केवल गंगा नदी में पाई जाने वाली डॉल्फिन की सुरक्षा करना है, बल्कि इको-टूरिज्म को भी बढ़ावा देना होगा.
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रांची: झारखंड का वन विभाग साहिबगंज जिले में गंगा नदी के एक हिस्से को डॉल्फिन अभयारण्य के रूप में नामित करने के लिए राज्य सरकार के लिए नया प्रस्ताव तैयार कर रहा है. इस प्रस्ताव का उद्देश्य गंगा नदी में पाई जाने वाली डॉल्फिन की रक्षा करना और इको-टूरिज्म को बढ़ावा देना है. अधिकारियों ने बताया कि भारतीय वन्यजीव संस्थान (डब्ल्यूआईआई) की एक टीम इस क्षेत्र का दौरा करने वाली है, जो डॉल्फिन के ठिकाने का आकलन करेगी.
साहिबगंज में गंगा नदी के 80 किलोमीटर के हिस्से में डॉल्फिन पाई जाती हैं, जिन्हें वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम 1972 के तहत संरक्षित किया गया है. प्रभागीय वन अधिकारी प्रबल गर्ग ने बताया कि अभयारण्य क्षेत्र को अभी अंतिम रूप नहीं दिया गया है, लेकिन यह संभवतः 40 किलोमीटर के हिस्से में होगा, जहां अधिकांश डॉल्फिन पाई जाती हैं. इस क्षेत्र में डॉल्फिन अभयारण्य की स्थापना की मांग काफी समय से की जा रही है, और इसे बिहार के विक्रमशिला गंगा डॉल्फिन अभयारण्य की तर्ज पर विकसित करने का प्रस्ताव है.
हालांकि, पहले इसे लेकर कुछ चिंताएं उठी थीं. नदी संबंधी गतिविधियों के नियमन को लेकर भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण और अन्य हितधारकों ने चिंता जताई थी. लेकिन अब इन चिंताओं को दूर करते हुए वन विभाग ने एक नया प्रस्ताव तैयार किया है, जिसमें जलमार्ग क्षेत्र को शामिल नहीं किया जाएगा. अधिकारियों का कहना है कि इस नए प्रस्ताव से डॉल्फिन की सुरक्षा को सुनिश्चित किया जा सकेगा और साथ ही इको-टूरिज्म को भी बढ़ावा मिलेगा.
इनपुट एजेंसी- भाषा
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