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Baba Baidyanath: शिव के द्वादश ज्योर्तिलिंगों में से एक कामना लिंग के नाम से प्रसिद्ध झारखंड की तीर्थ नगरी देवघर में स्थित बाबा बैद्यनाथ के लिंग को दीवानी बाबा के नाम से भी जाना जाता है. बताते चलें कि यहां द्वादश ज्योर्तिलिंग के साथ ही मां शक्ति का भी एक अंग गिरा है. ऐस में शक्ति और शिव के एक जगह होने की वजह से इसे कामना लिंग के नाम से जाना जाता है. बाबा रावणेश्वर महादेव के इस लिंग की स्थापना स्वयं रावण ने की थी.
ऐसे में देवघर से सटे ही दुमका जिले में पड़नेवाले बाबा बासुकीनाथ के लिंग के दर्शन की भी महिमा है. जिन्हें फौजदारी बाबा के नाम से जाना जाता है. इसलिए बाबा बैद्यनाथ के जलाभिषेक के बाद बासुकीनाथ के जलाभिषेक के बिना यह यात्रा अधूरी मानी जाती है. कहा जाता है बाबा बैद्यनाथ के दरबार में दीवानी मुकदमों की अर्जी लगती है और यहां से पास होने के बाद फाइल बाबा बासुकीनाथ के पास जाती है जहां से फैसला सुनाया जाता है.
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बाबा नागेश, नागनाथ या कहें तो बाबा बासुकीनाथ के दरबार में मुकदमों की सुनवाई जल्द पूरी हो जाती है. ऐसे में लोग मन्नत मांगने और मनचाही मुराद पाने के लिए फौजदारी बाबा के दरबार में धरना देते हैं. जहां से जल्दी फैसला आ जाता है और बाबा का आशीर्वाद भक्तों को मिलता है.
सावन के इस पावन महीने में लाखों की संख्या में सुल्तानगंज से जल लेकर शिवभक्त कांवड़िया पहले बाबा बैद्यनाथ का जलाभिषेक करते हैं और फिर बाबा बासुकीनाथ की शरण में पहुंचते हैं. बाबा बासुकीनाथ के मंदिर की स्थापना के बारे में कहा जाता है कि वर्तमान मंदिर 16 वीं शताब्दी में स्थापित किया गया था. इस मंदिर का इतिहास सागर मंथन से जुड़ा हुआ है.
सागर मंथन के लिए जिस वासुकी नाग को रस्सी बनाया गया था उन्होंने इसी स्थान पर शिव की पूजा अर्चना की थी. इसलिए यहां बाबा को बासुकीनाथ कहा जाता है. यह दारुक वन का क्षेत्र भी कहलाता है. यह मंदिर तांत्रिक साधाना का भी केंद्र है साथ ही यहां बाबा का दरबार भी लगता है. यहां भक्त बाबा से अपनी मन्नत प्राप्त करने के लिए बैठते हैं और बाबा उनकी इच्छा जरूर पूरी करते हैं.