कीनन स्टेडियम में ही 'युवा धोनी' पर पड़ी थी यशपाल शर्मा की नजर, फिर कुछ इस तरह बदली माही की 'किस्मत'
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कीनन स्टेडियम में ही 'युवा धोनी' पर पड़ी थी यशपाल शर्मा की नजर, फिर कुछ इस तरह बदली माही की 'किस्मत'

Jharkhand Samachar: जमशेदपुर के ऐतिहासिक कीनन स्टेडियम से यशपाल शर्मा का काफी गहरा लगाव रहा, चाहे उनके द्वारा खेला गया 1984 में आस्ट्रेलिया के खिलाफ एक मैत्री मैच हो या 1988 मे कर्नाटक के खिलाफ विल्स ट्रॉफी वनडे टूर्नामेंट का क्वार्टर फाइनल मैच.

कीनन स्टेडियम में ही 'युवा धोनी' पर पड़ी थी यशपाल शर्मा की नजर.

Ranchi: अपने बयालीस एकदिवसीय मैचों में कभी भी शून्य पर आउट नहीं होने वाले यशपाल शर्मा (Yashpal Sharma) का कीनन स्टेडियम (Keenan Stadium) जमशेदपुर से हमेशा गहरा लगाव रहा. विश्व कप 1983 में फाइनल शानदार 89 रनों की पारी खेलने वाले यशपाल शर्मा अब हमारे बीच नहीं हैं. लेकिन उनके क्रिकेट प्रेमी उन्हें हमेशा याद रखेंगे. 

बात उन दिनों की है जब वह 2003 में भारतीय टीम के चयनकर्ता के रुप में जमशेदपुर के दौरे पर आए थे. उस समय झारखंड और हरियाणा के बीच रणजी मैच खेला जा रहा था. उस मैच में धोनी (MS Dhoni) ने शानदार बल्लेबाजी कर यशपाल शर्मा को प्रभावित किया था और इस मैच के बाद ही धोनी को राष्ट्रीय टीम में शामिल करने की कवायद शुरु हुई थी. आगे चलकर धोनी ने भारतीय क्रिकेट को एक अलग पहचान दिलाई. 

जमशेदपुर के ऐतिहासिक कीनन स्टेडियम से यशपाल शर्मा का काफी गहरा लगाव रहा, चाहे उनके द्वारा खेला गया 1984 में आस्ट्रेलिया के खिलाफ एक मैत्री मैच हो या 1988 मे कर्नाटक के खिलाफ विल्स ट्रॉफी वनडे टूर्नामेंट का क्वार्टर फाइनल मैच. यशपाल शर्मा ने दोनो मैंचो में अपने शानदार खेल से स्टेडियम में मौजूद दर्शकों का काफी मनोरंजन किया. 3 अक्टूबर 1984 को जब शर्मा आस्ट्रेलिया के खिलाफ अंतराष्ट्रीय एकदिवसीय मैच खेलने जमशेदपुर पहुंचे तो उनकी एक झलक पाने के लिए दर्शक बेताब हो गए थे. लेकिन बारिश के कारण दोनों टीमों की किट नियमित समय पर नहीं पहुंची तो मैच को रद्द कर दिया गया उसके बाद स्टेडियम में मौजूद दर्शकों ने उत्पात मचाना शुरु कर दिया. दर्शकों के उग्र रुप को देखते हुए टाटा स्टील के तत्कालीन प्रबंधक रुसी मोदी के आग्रह पर दोनों टीम मैत्री मैच खेलने के लिए राजी हुई. यशपाल शर्मा ने अपने खेल से सबको प्रभावित किया था. 

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वहीं, 1983 के विश्व कप में कपिल देव के बाद सबसे ज्यादा रन बनाने वाले यशपाल शर्मा एक बार फिर 1988 में विल्स ट्रॉफी वनडे टूर्नामेंट का क्वार्टर फाइनल मैच खेलने कीनन स्टेडियम पहुंचे. विल्स ट्रॉफी वनडे टूर्नामेंट का क्वार्टर फाइनल मैच कर्नाटक और हरियाणा के बीच खेला गया. हरियाणा की टीम में कपिलदेव, चेतन शर्मा के साथ यशपाल शर्मा जैसे सितारे मौजूद थे, तो वहीं कर्नाटक टीम में भी गुंडप्पा विश्वनाथ और रोजर बिन्नी जैसे शानदार आलराउंडर थे. कर्नाटक ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी करने का फैसला किया. पहले बल्लेबाजी करते हुए कर्नाटक टीम ने 50 ओवर में सात विकेट खोकर 202 रन बनाए. जिसमें गुंडप्पा विश्वानाथ ने पचपन रनों का योगदान दिया. 

इस पारी में दर्शंकों के हिरो यशपाल शर्मा ने मशहूर बल्लेबाज गुंडप्पा विश्वनाथ व केए जसवंत को आउट किया था. सबसे बड़ी बात जब भी मैच में यशपाल ने विकेट लिया, स्टेडियम में मौजूद दर्शकों ने तालियों की गड़गड़ाहट से उनका स्वागत किया. लेकिन जवाबी पारी खेलने उतरी हरियाणा की टीम केवल 167 रन पर सिमट गई और यह मैच हरियाणा 35 रन से हार गया. लेकिन उस मैच में यशपाल शर्मा ने शानदार 37 रन बनाए थे. उनके इस हरफनमौला खेल ने सबको उनका दिवाना बना दिया था.

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