डीएसपी की फ्री पाठशाला से निकले रहे टॉपर, 60 से ज्यादा बनें पीसीएस
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डीएसपी की फ्री पाठशाला से निकले रहे टॉपर, 60 से ज्यादा बनें पीसीएस

DSP Ki Pathshala: हाल में झारखंड पब्लिक सर्विस कमीशन की सातवीं से दसवीं सिविल सेवा के लिए आयोजित परीक्षा में अंतिम दौर में सफल हुए 252 में से 32 उम्मीदवार ऐसे हैं, जिन्होंने 'डीएसपी की पाठशाला' में पढ़ाई की थी. 

डीएसपी की नि:शुल्क पाठशाला में पढ़कर बने 60 से ज्यादा पीसीएस ऑफिसर.

रांची: DSP Ki Pathshala: झारखंड पुलिस के डीएसपी विकास चंद्र श्रीवास्तव की नि:शुल्क पाठशाला ने प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले सैकड़ों युवाओं की जिंदगी में 'कामयाबी' और 'उम्मीद' की रोशनी बिखेर दी है. उनकी पाठशाला में पढ़ाई करने वाले 60 से ज्यादा स्टूडेंट्स ने झारखंड और बिहार के पब्लिक सर्विस कमीशन की अलग-अलग परीक्षाओं में सफलता हासिल की है.

'डीएसपी की पाठशाला'
इसके अलावा पुलिस, एसएससी, सार्जेंट सहित कई अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं में भी उनके सफल छात्रों की संख्या 100 से ज्यादा है. हाल में झारखंड पब्लिक सर्विस कमीशन की सातवीं से दसवीं सिविल सेवा के लिए आयोजित परीक्षा में अंतिम दौर में सफल हुए 252 में से 32 उम्मीदवार ऐसे हैं, जिन्होंने 'डीएसपी की पाठशाला' में पढ़ाई की थी. 

शिक्षा मंत्री ने डीएसपी को किया सम्मानित
जरूरतमंद छात्रों की मदद और मार्गदर्शन करने वाले डीएसपी विकास चंद्र श्रीवास्तव को राज्य के शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो ने बीते रविवार को अपने आवास पर आमंत्रित कर सम्मानित किया.

6 अन्य छात्रों ने भी पाई सफलता
वर्ष 2012 में जेपीएससी थर्ड बैच की परीक्षा के बाद झारखंड पुलिस में डीएसपी बने विकास हजारीबाग के रहने वाले हैं. खुद प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के दौरान भी वह स्टूडेंट्स को इतिहास और सामान्य ज्ञान पढ़ाया करते थे. जिस वर्ष उन्होंने स्टेट सिविल सर्विस की परीक्षा में सफलता हासिल की, उसी वर्ष उनसे पढ़ने वाले छह अन्य स्टूडेंट्स भी कामयाब हुए थे.

डीएसपी के तौर पर नियुक्ति के बाद भी पठन-पाठन का उनका सिलसिला थमा नहीं. रांची सिटी और देवघर में पोस्टिंग के दौरान भी वह फुर्सत पाकर कभी लाइब्रेरी तो कभी किसी स्कूल या कॉलेज में छात्रों को पढ़ाने पहुंच जाते थे. 

काम के दौरान छात्रों के देते शिक्षा
वह बताते हैं कि जब वह किसी गांव में किसी केस के सुपरविजन में जाते थे, तब भी उनकी कोशिश होती थी कि वक्त चुराकर छात्रों के पास पहुंचें और भविष्य की तैयारियों के लिए उन्हें राह दिखाने की कोशिश करें.

देवघर में दो वर्षों से भी ज्यादा वक्त तक डीएसपी के तौर पर पोस्टिंग के दौरान वह अपने आवास के ठीक पीछे स्थित आंबेडकर लाइब्रेरी में हर रोज नियमित तौर पर प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले छात्रों को पढ़ाया करते थे. इसी तरह रांची में वह वक्त मिलते ही कभी आदिवासी हॉस्टल तो कभी रांची विश्वविद्यालय की सेंट्रल लाइब्रेरी में क्लास लिया करते थे.

ऑनलाइन क्लासेज भी चलाई
कोविड के चलते लॉकडाउन के दौरान जब पठन-पाठन की गतिविधियां ठप पड़ गयी थीं, तब उन्होंने 'जूम' पर ऑनलाइन क्लासेज लेनी शुरू की. उस दौरान सैकड़ों छात्र उनकी कक्षाओं से जुड़े. पिछले वर्ष जुलाई में उन्होंने यूट्यूब पर 'डीएसपी की पाठशाला' नामक एक चैनल बनाया. इस पर वह हर हफ्ते चार से पांच दिन लाइव क्लासेज लेते हैं, जिससे एक समय में पांच से छह सौ स्टूडेंट्स उनसे सीधे कनेक्ट होते हैं. बाद में वह इन क्लासेज की रिकॉडिरिंग भी यू-ट्यूब पर डाल देते हैं, ताकि छात्र अपनी जरूरत के अनुसार इसका उपयोग कर सकें. 

यूट्यूब पर 47 हजार सब्सक्राइबर्स
विकास के चैनल के फिलहाल 47 हजार से ज्यादा सब्सक्राइबर्स हैं. इसके अलावा उन्होंने टेलीग्राम पर ग्रुप बना रखे हैं, जिसके जरिए लगभग पांच हजार स्टूडेंट्स उनसे सीधे जुड़े हैं. वह छात्रों को इन ग्रुप्स में नोट्स और टिप्स उपलब्ध कराते हैं.

47 वर्षीय विकास चंद्र श्रीवास्तव इन दिनों रांची में पुलिस की इन्वेस्टिगेशन ट्रेनिंग स्कूल में तैनात हैं. इस वजह से ड्यूटी के बाद हर रात उन्हें छात्रों को पढ़ाने की ड्यूटी के लिए भी वक्त मिल जाता है. इस बार जेपीएससी सिविल सर्विस की पीटी, मेन्स और इंटरव्यू की तैयारी करवाने के लिए उन्होंने ऑनलाइन क्लासेज ली. 

इंटरव्यू की तैयारी के लिए उन्होंने दस दिन खुद से एक फिजिकल सेशन भी आयोजित कराये. मॉक इंटरव्यू के लिए उन्होंने लगभग दस एक्सपर्ट्स को आमंत्रित किया. इसका सुखद परिणाम यह रहा कि अंतिम तौर पर सफल परीक्षार्थियों में 10 फीसदी से ज्यादा अभ्यर्थी ऐसे रहे, जिन्होंने कहीं न कहीं डीएसपी की पाठशाला से मार्गदर्शन हासिल किया था.

'डीएसपी की पाठशाला' से निकल रहे टॉपर
इसके पहले जेपीएससी छठे बैच की परीक्षा में प्रशासनिक सेवा कैडर की टॉपर सुमन गुप्ता और सेकेंड टॉपर अशोक भारती ने विकास चंद्र श्रीवास्तव के मार्गदर्शन में ही तैयारी की थी. इस बैच में उनकी नि:शुल्क कक्षा में पढ़ाई करने वाले 12 अभ्यर्थियों को सफलता मिली थी. इसी तरह पांचवीं बैच की परीक्षा में डीएसपी के लिए चुने गये पांच अभ्यर्थी उनके ही छात्र थे.

प्रतियोगी परीक्षाओं में शानदार रिकॉर्ड
विकास बताते हैं कि अब तक उनके 16 स्टूडेंट डीएसपी और 25 प्रशासनिक सेवा एवं अन्य कैडर के लिए चुने गये हैं. वर्ष 2012 में दरोगा और सार्जेंट की बहाली परीक्षा में उनके 62 छात्रों को सफलता मिली थी.

जब एडमिशन के लिए छात्र को दिया 40 हजार रुपये
विकास गरीब और वंचित तबके के छात्रों को निजी तौर पर मदद करते रहे हैं. दो वर्ष पहले मधुपुर के एक विद्यार्थी ने एनआईटी के लिए क्वालिफाई किया था, लेकिन उसके पास एडमिशन के लिए पैसे नहीं थे. उस वक्त उन्होंने अपनी सैलरी से 40 हजार रुपये की आर्थिक मदद की थी. ऐसे छात्रों की तो बड़ी संख्या है, जिन्हें उन्होंने अपनी ओर से किताबें और जरूरी सामग्री उपलब्ध करायी है.

नौकरी जीविका का साधन
विकास अपने दिवंगत पिता अविनाश चंद्र श्रीवास्तव को अपना आदर्श मानते हैं. उनके पिता हाई स्कूल में अध्यापक थे. उन्होंने कहा, 'पिताजी से मैंने सीखा कि हम समाज में रहकर ज्ञान सहित जो कुछ भी अर्जित करते हैं, उस पर सिर्फ हमारा निजी हक नहीं होता. हम में से हर व्यक्ति को अपने सामथ्र्य के हिसाब से समाज को कुछ देने की कोशिश करनी चाहिए. डीएसपी की नौकरी मेरी आजीविका का साधन है, तो पठन-पाठन मेरा धर्म है.'

(आईएएनएस)

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