झारखंड में राज्य निर्वाचन आयोग ने नगर निगम के मेयर और नगर परिषद के अध्यक्ष पद के लिए राज्य निर्वाचन आयोग ने आरक्षण रोस्टर जारी कर दिया है. हालांकि राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के आलोक में स्थानीय निकाय चुनाव में ओबीसी के आरक्षण के बिना ही रोस्टर जारी किया है
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रांचीः झारखंड में राज्य निर्वाचन आयोग ने नगर निगम के मेयर और नगर परिषद के अध्यक्ष पद के लिए राज्य निर्वाचन आयोग ने आरक्षण रोस्टर जारी कर दिया है. हालांकि राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के आलोक में स्थानीय निकाय चुनाव में ओबीसी के आरक्षण के बिना ही रोस्टर जारी किया है. इस कारण आरक्षण केवल अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति को ही दिया जा रहा है. झारखंड की 20 नगर परिषद की सीट में से 7 को रिजर्व कैटेगरी में रखा गया है. दो सीट एससी और तीन एसटी के लिए रिजर्व किया गया है. वहीं ओबीसी आरक्षण नहीं दिए जाने पर विपक्ष हमलावर है.
9 नगर निगम के लिए होंगे चुनाव
झारखंड के 9 नगर निगम के लिए होने वाले चुनाव में 6 नगर निगम को अनारक्षित श्रेणी में शामिल किया गया है. जबकि रांची नगर निगम के मेयर का पद अनुसूचित जाति के लिए इस बार रिजर्व किया गया है. जिसमें महिला या पुरुष कोई भी उम्मीदवार हो सकते हैं. अब तक रांची नगर निगम के मेयर का पद अनुसूचित जनजाति की महिला वर्ग के लिए आरक्षित था. दो नगर निगम के पद अनुसूचित जनजाति के लिए रिजर्व किया गया है, जिसमें हजारीबाग नगर निगम और आदित्यपुर नगर निगम शामिल है. हजारीबाग से महिला या पुरुष कोई भी उम्मीदवार हो सकते हैं, जबकि आदित्यपुर नगर निगम अनुसूचित जनजाति की महिला वर्ग के लिए रिजर्व किया गया है. देवघर, धनबाद और चास नगर निगम अनारक्षित कोटे से महिला के लिए रिजर्व किया गया है. मेदिनीनगर, गिरिडीह और मांगो नगर निगम अनरिजर्व्ड कैटेगरी में रखा गया है. यहां से महिला या पुरुष कोई भी उम्मीदवार हो सकते हैं.
निकाय चुनाव के लिए रोस्टर जारी
बीजेपी प्रदेश प्रवक्ता प्रदीप सिंह ने कहा, सरकार सदन में ओबीसी को हक देने की बात करती है. काम करने के समय राज्य सरकार पीछे भाग जाती है. सरकार की मंशा पर प्रश्न उठता है, सरकार के लोग कहते कुछ हैं करते कुछ हैं. निकाय चुनाव के लिए रोस्टर जारी किए जाने के बाद जे एम एम की राज्य सभा सांसद महुआ माजी ने कहा कि, ओबीसी आरक्षण का मामला है, तो ये तो सुप्रीम कोर्ट के गाइड लाइन से हो रहा है. इसमें राज्य सरकार क्या कर सकती है विपक्ष को भी थोड़ी जानकारी लेकर ही बात करनी चाहिए. विपक्ष बार-बार आरोप लगा रही थी. सरकार विलंब कर रही है. अब तो सब कुछ समय से हो रहा है. शुरू में कोरोना के कारण रुका था. अब हर तरह के काम निपटाएं जा रहे हैं.
'बिहार में ओबीसी आरक्षण एक प्रक्रिया'
पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सुबोधकांत सहाय ने कहा, अभी हाल में बिहार में ओबीसी आरक्षण का एक प्रक्रिया है. उसका कमीशन बनेगा. उसके बाद लिमिटेशन होगा. उस आधार पर बनेगा जहां घोषित हो गया था. चुनाव नॉमिनेशन हो गया था. बिहार का सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर आपने प्रक्रिया पूरी नहीं की तो आप पुराने तरीके से चुनाव कराए जो झारखंड कर रहा है.
इनपुट-कुमार चंदन
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